न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Fri, 17 May 2019 04:00 PM IST
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पीजीआई चंडीगढ़ की विशेष कमेटी ने हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप अंगदान को लेकर जो सुझाव भेजे हैं उसमें आंकड़े हैरान करने वाले हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि अंगदान को आसान तो बनाया जाना ही चाहिए लेकिन यह भी सुनिश्चित हो कि लोग पैसे के लिए अंग न करें।
पीजीआई ने 16 सूत्रीय सुझावों में कहा है कि तमिलनाडु की तर्ज पर हरियाणा और पंजाब के सभी अस्पतालों को ब्रेन डेड सर्टिफिकेट जारी करने को अनिवार्य किया जाए साथ ही इनका पूरा रिकार्ड भी रखा जाए। जिला स्तरीय कमेटी बनाकर केंद्र सरकार की सहायता से काउंसलरों की नियुक्ति की जानी चाहिए।
ये काउंसलर बेहतर तरीके से ब्रेन डेड मरीजों के रिश्तेदारों को अंगदान के लिए सहमति देने को प्रेरित कर सकते हैं। सभी सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों को काउंसलरों को ब्रेन डेड मरीजों से संपर्क का मौका दिया जाना चाहिए। सभी आईसीयू के गेट पर बोर्ड लगाया जाए जिसमें लिखा जाए कि ब्रेन डेड सर्टिफिकेट अनिवार्य है।
पीजीआई की कमेटी ने कहा कि एक्ट के अनुसार सहमति कौन दे सकता है और नजदीकी रिश्तेदार कौन है, यह स्पष्ट नहीं है। साथ ही नजदीकी रिश्तेदार न होने पर मंजूरी कौन दे सकता है, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है। इसे हाईकोर्ट स्पष्ट करे।
आईओ व एसएचओ को दी जाए ट्रेनिंग
आर्गन ट्रांसप्लांट से जुड़े प्रोसेस में देरी न हो, इसके लिए सभी आईओ और एसएचओ को आवश्यक ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। इनको ट्रेनिंग देकर मंजूरी की वेरिफिकेशन के समय में कमी लाई जा सकती है।
अस्पतालों को रजिस्ट्रेशन की अनुमति मिले
हाईकोर्ट को बताया गया कि अंग प्रत्यारोपण के लिए रजिस्ट्रेशन का प्रोसेस है। हरियाणा व पंजाब में एक भी अस्पताल इसकेलिए रजिस्टर नहीं है। पीजीआई ने सिफारिश की कि 25 बेड, आईसीयू व अच्छे ऑपरेशन थिएटर वाले अस्पतालों को रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी जाए।
पीजीआई चंडीगढ़ की विशेष कमेटी ने हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप अंगदान को लेकर जो सुझाव भेजे हैं उसमें आंकड़े हैरान करने वाले हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि अंगदान को आसान तो बनाया जाना ही चाहिए लेकिन यह भी सुनिश्चित हो कि लोग पैसे के लिए अंग न करें।
पीजीआई ने 16 सूत्रीय सुझावों में कहा है कि तमिलनाडु की तर्ज पर हरियाणा और पंजाब के सभी अस्पतालों को ब्रेन डेड सर्टिफिकेट जारी करने को अनिवार्य किया जाए साथ ही इनका पूरा रिकार्ड भी रखा जाए। जिला स्तरीय कमेटी बनाकर केंद्र सरकार की सहायता से काउंसलरों की नियुक्ति की जानी चाहिए।
ये काउंसलर बेहतर तरीके से ब्रेन डेड मरीजों के रिश्तेदारों को अंगदान के लिए सहमति देने को प्रेरित कर सकते हैं। सभी सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों को काउंसलरों को ब्रेन डेड मरीजों से संपर्क का मौका दिया जाना चाहिए। सभी आईसीयू के गेट पर बोर्ड लगाया जाए जिसमें लिखा जाए कि ब्रेन डेड सर्टिफिकेट अनिवार्य है।
कानूनी पेंच को स्पष्ट करें
पीजीआई की कमेटी ने कहा कि एक्ट के अनुसार सहमति कौन दे सकता है और नजदीकी रिश्तेदार कौन है, यह स्पष्ट नहीं है। साथ ही नजदीकी रिश्तेदार न होने पर मंजूरी कौन दे सकता है, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है। इसे हाईकोर्ट स्पष्ट करे।
आईओ व एसएचओ को दी जाए ट्रेनिंग
आर्गन ट्रांसप्लांट से जुड़े प्रोसेस में देरी न हो, इसके लिए सभी आईओ और एसएचओ को आवश्यक ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। इनको ट्रेनिंग देकर मंजूरी की वेरिफिकेशन के समय में कमी लाई जा सकती है।
अस्पतालों को रजिस्ट्रेशन की अनुमति मिले
हाईकोर्ट को बताया गया कि अंग प्रत्यारोपण के लिए रजिस्ट्रेशन का प्रोसेस है। हरियाणा व पंजाब में एक भी अस्पताल इसकेलिए रजिस्टर नहीं है। पीजीआई ने सिफारिश की कि 25 बेड, आईसीयू व अच्छे ऑपरेशन थिएटर वाले अस्पतालों को रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी जाए।