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पंजाब मंत्रिमंडल ने बुधवार को अमृतसर और लुधियाना शहरों में विश्व बैंक की सहायता प्राप्त 285.71 मिलियन डॉलर (21,31,02,66,055.50 रुपये) के नहरी जल सप्लाई प्रोजेक्टों को मंजूरी दे दी। स्थानीय निकाय विभाग की तरफ से पंजाब म्युनिसिपल सर्विसेज इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट के अंतर्गत पुनर्वास नीति फ्रेमवर्क अपनाते हुए इस प्रोजेक्ट पर अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक कुल राशि का 70 प्रतिशत खर्च करेगा जो 200 मिलियन डॉलर है। बाकी 30 प्रतिशत राशि 85.71 मिलियन डॉलर पंजाब सरकार खर्च करेगी।
यह फैसला बुधवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंस से हुई पंजाब कैबिनेट की मीटिंग में लिया गया। इस प्रोजेक्ट के चार हिस्से होंगे। 11.61 मिलियन डॉलर की लागत से शहरी और जल सप्लाई सेवा प्रबंधन को मजबूत करना, 240.38 मिलियन डॉलर के साथ जल सप्लाई बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, 15.62 मिलियन डॉलर के साथ जमीन अधिग्रहण और पुनर्वास, 10 मिलियन डॉलर कोविड संकट से निपटने को, 7.6 मिलियन डॉलर प्रोजेक्ट प्रबंधन और 0.5 मिलियन डॉलर फ्रंट एंड फीस पर खर्च किए जाएंगे।
पंजाब सरकार की तरफ से जून, 2018 में भारत सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा विश्व बैंक के पास अमृतसर और लुधियाना शहरों के लिए नहरी आधारित जल सप्लाई प्रोजेक्टों को समर्थन देने की अपील की गई थी। विश्व बैंक की तकनीकी सहायता से 2015 में दोनों शहरों के लिए पूर्व संभावित रिपोर्टें तैयार की गई, जो 2019 में अपडेट की गई।
मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत जहां जल संबंधी बुनियादी ढांचे में निवेश होगा, वहीं जल सप्लाई और सैनिटेशन सेवा की मजबूती के लिए नए संस्थागत मॉडल की स्थापना की जाएगी और वित्तीय उपयोगिता व उपभोक्ताओं के हितों को भी ध्यान में रखा जाएगा। इसके अलावा कोविड -19 की महामारी के मद्देनजर पैदा होने वाली चुनौतियों का सामना करने को पंजाब सरकार और राज्य की म्युनिसिपल काउंसिलों की क्षमता को बढ़ाने के संबंध में मदद इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत मुहैया करवाई जाएगी।
अमृतसर में जमीन अधिगृहित, लुधियाना में तैयारी
अमृतसर और लुधियाना में नहरों के करीबी पंपिंग स्टेशनों और साफ पानी जमा करने वाले टैंकों सहित वाटर ट्रीटमेंट प्लांटों के निर्माण के लिए जमीन की जरूरत क्रमश: 40 एकड़ और 50 एकड़ है। अमृतसर में लैंड एक्युजेशन कलेक्टर द्वारा आपसी सहमति से तय की गई राशि 36.40 करोड़ रुपये की कीमत पर गांव वल्लां में अपर बारी दोआब कैनाल के साथ लगती जमीन अधिगृहित कर ली गई है। लुधियाना में गांव रामपुर के नजदीक जमीन की पहचान कर ली है और बातचीत से जमीन एक्वायर करने की कोशिश जारी है।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में पंजाब मंत्रिमंडल ने बुधवार को जेल वार्डों के 305 पदों को पंजाब अधीनस्थ चयन सेवा बोर्ड (पीएसएसएसबी) के अधिकार क्षेत्र से निकालकर पंजाब पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर भरे जाने को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता के अनुसार यह फैसला जेलों के प्रबंधन में सुधार के लिए उपयुक्त स्टाफ क्षमता मुहैया करवाने में सहायक होगा।
यह समूची भर्ती प्रक्रिया चार महीनों के अंदर पूरी की जाएगी। पंजाब की जेलों में मौजूदा समय 24 हजार से ज्यादा मुजरिम/हवालाती बंद हैं। इनकी निगरानी के लिए जरूरी स्टाफ की कमी है। 27 नवंबर, 2016 में नाभा जेल ब्रेक की घटना के बाद स्टाफ की कमी ज्यादा महसूस की जा रही थी और कैबिनेट के अनुसार ऐसी घटनाओं को रोके जाने के लिए स्टाफ की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है।
नाभा जेल ब्रेक की घटना की जांच के लिए गठित उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी की तरफ से भी जेल में घटना का मुख्य कारण स्टाफ की कमी भी बताया था। इसी दौरान कैबिनेट की तरफ से साल 2017 के लिए गृह मामले और न्याय विभाग की सालाना प्रशासकीय रिपोर्ट को भी मंजूरी दे दी गई है।
पंजाब मंत्रिमंडल ने बुधवार को अमृतसर और लुधियाना शहरों में विश्व बैंक की सहायता प्राप्त 285.71 मिलियन डॉलर (21,31,02,66,055.50 रुपये) के नहरी जल सप्लाई प्रोजेक्टों को मंजूरी दे दी। स्थानीय निकाय विभाग की तरफ से पंजाब म्युनिसिपल सर्विसेज इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट के अंतर्गत पुनर्वास नीति फ्रेमवर्क अपनाते हुए इस प्रोजेक्ट पर अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक कुल राशि का 70 प्रतिशत खर्च करेगा जो 200 मिलियन डॉलर है। बाकी 30 प्रतिशत राशि 85.71 मिलियन डॉलर पंजाब सरकार खर्च करेगी।
यह फैसला बुधवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंस से हुई पंजाब कैबिनेट की मीटिंग में लिया गया। इस प्रोजेक्ट के चार हिस्से होंगे। 11.61 मिलियन डॉलर की लागत से शहरी और जल सप्लाई सेवा प्रबंधन को मजबूत करना, 240.38 मिलियन डॉलर के साथ जल सप्लाई बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, 15.62 मिलियन डॉलर के साथ जमीन अधिग्रहण और पुनर्वास, 10 मिलियन डॉलर कोविड संकट से निपटने को, 7.6 मिलियन डॉलर प्रोजेक्ट प्रबंधन और 0.5 मिलियन डॉलर फ्रंट एंड फीस पर खर्च किए जाएंगे।
पंजाब सरकार की तरफ से जून, 2018 में भारत सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा विश्व बैंक के पास अमृतसर और लुधियाना शहरों के लिए नहरी आधारित जल सप्लाई प्रोजेक्टों को समर्थन देने की अपील की गई थी। विश्व बैंक की तकनीकी सहायता से 2015 में दोनों शहरों के लिए पूर्व संभावित रिपोर्टें तैयार की गई, जो 2019 में अपडेट की गई।
मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत जहां जल संबंधी बुनियादी ढांचे में निवेश होगा, वहीं जल सप्लाई और सैनिटेशन सेवा की मजबूती के लिए नए संस्थागत मॉडल की स्थापना की जाएगी और वित्तीय उपयोगिता व उपभोक्ताओं के हितों को भी ध्यान में रखा जाएगा। इसके अलावा कोविड -19 की महामारी के मद्देनजर पैदा होने वाली चुनौतियों का सामना करने को पंजाब सरकार और राज्य की म्युनिसिपल काउंसिलों की क्षमता को बढ़ाने के संबंध में मदद इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत मुहैया करवाई जाएगी।
अमृतसर में जमीन अधिगृहित, लुधियाना में तैयारी
अमृतसर और लुधियाना में नहरों के करीबी पंपिंग स्टेशनों और साफ पानी जमा करने वाले टैंकों सहित वाटर ट्रीटमेंट प्लांटों के निर्माण के लिए जमीन की जरूरत क्रमश: 40 एकड़ और 50 एकड़ है। अमृतसर में लैंड एक्युजेशन कलेक्टर द्वारा आपसी सहमति से तय की गई राशि 36.40 करोड़ रुपये की कीमत पर गांव वल्लां में अपर बारी दोआब कैनाल के साथ लगती जमीन अधिगृहित कर ली गई है। लुधियाना में गांव रामपुर के नजदीक जमीन की पहचान कर ली है और बातचीत से जमीन एक्वायर करने की कोशिश जारी है।
अब पीएसएसएसबी नहीं करेगा जेल वार्डों की भर्ती
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में पंजाब मंत्रिमंडल ने बुधवार को जेल वार्डों के 305 पदों को पंजाब अधीनस्थ चयन सेवा बोर्ड (पीएसएसएसबी) के अधिकार क्षेत्र से निकालकर पंजाब पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर भरे जाने को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता के अनुसार यह फैसला जेलों के प्रबंधन में सुधार के लिए उपयुक्त स्टाफ क्षमता मुहैया करवाने में सहायक होगा।
यह समूची भर्ती प्रक्रिया चार महीनों के अंदर पूरी की जाएगी। पंजाब की जेलों में मौजूदा समय 24 हजार से ज्यादा मुजरिम/हवालाती बंद हैं। इनकी निगरानी के लिए जरूरी स्टाफ की कमी है। 27 नवंबर, 2016 में नाभा जेल ब्रेक की घटना के बाद स्टाफ की कमी ज्यादा महसूस की जा रही थी और कैबिनेट के अनुसार ऐसी घटनाओं को रोके जाने के लिए स्टाफ की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है।
नाभा जेल ब्रेक की घटना की जांच के लिए गठित उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी की तरफ से भी जेल में घटना का मुख्य कारण स्टाफ की कमी भी बताया था। इसी दौरान कैबिनेट की तरफ से साल 2017 के लिए गृह मामले और न्याय विभाग की सालाना प्रशासकीय रिपोर्ट को भी मंजूरी दे दी गई है।