न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Mon, 22 Jun 2020 08:28 PM IST
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कोरोना के खिलाफ जंग के मद्देनजर पंजाब सरकार ने चार नई टेस्टिंग लैब बनाने और इनमें 131 स्टाफ की नियुक्ति करने का फैसला किया है। इसके साथ ही मंत्रिमंडल ने इन लैब में सहायक प्रोफेसर (माइक्रोबायोलॉजी) के चार नए पदों को भरने के लिए चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। सभी नियुक्तियां आउटसोर्स के जरिए होंगी।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में मोहाली में पंजाब स्टेट फोरेंसिक साइंसिस लैबोरेटरी और पंजाब बायोटेक्नोलॉजी इंकुबेटर लैब बनाने का फैसला किया। इसके अलावा जालंधर में नार्दर्न रीजनल डिजीज डायग्नोस्टिक लैबोरेटरी और लुधियाना में श्री गुरु अंगद देव वैटरनरी एंड एनिमल साइंसिस में लैब स्थापित की जाएगी। इससे प्रतिदिन 13,000 टेस्ट करने की क्षमता हो जाएगी। इस समय पटियाला, अमृतसर और फरीदकोट के मेडिकल कॉलेजों में प्रति दिन 9000 टेस्ट करने की क्षमता है।
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आपदा प्रबंधन फंड से दिया जाएगा वेतन
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि सभी नियुक्तियां बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस फरीदकोट की तरफ से आउटसोर्सिंग के जरिए की जाएंगी। स्टाफ के 131 सदस्यों की नियुक्ति से प्रति महीना 17.46 लाख रुपये जबकि एडहॉक सहायक प्रोफेसरों के पदों के लिए प्रति माह 3.06 लाख का खर्च आएगा। यह रकम प्रांतीय आपदा प्रबंधन फंड से दी जाएगी। इन 131 स्टाफ सदस्यों में रिसर्च साइंटिस्ट (नॉन मेडिकल), रिसर्च साइंटिस्ट, लैब टेक्नीशियन, डाटा एंट्री ऑपरेटर, लैब अटेंडेंट और स्वीपर के पद शामिल हैं।
मेडिकल, आयुर्वेदिक व डेंटल फैकल्टी की पुनर्नियुक्ति को मंजूरी
एक अन्य फैसले में मंत्रिमंडल ने पटियाला-अमृतसर के सरकारी मेडिकल कॉलेज, सरकारी डेंटल कॉलेज और पटियाला के आयुर्वेदिक कॉलेज में सेवाएं निभा रही टीचिंग फैकल्टी की सेवामुक्ति की 62 साल की आयु पूरी होने के बाद उनकी पुनर्नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। मेडिकल/आयुर्वेदिक फैकल्टी के लिए पुनर्नियुक्ति की आयु 70 साल तक जबकि डेंटल फैकल्टी के लिए 65 साल होगी।
यह कदम मेडिकल, डेंटल और आयुर्वेदिक की टीचिंग फैकल्टी की कमी को दूर करने में सहायक होगा। इसके अलावा यह मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया/डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया और सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसन के नियमों के तहत पीजी कोर्स की सीटें बरकरार रखने में भी मददगार सिद्ध होगा।
सार
- पंजाब कैबिनेट ने दी मंजूरी, सहायक प्रोफेसर समेत 135 पद भरे जाएंगे
- प्रतिदिन 13,000 टेस्ट की हो जाएगा क्षमता, अभी 3 कॉलेजों में होते हैं 9000
विस्तार
कोरोना के खिलाफ जंग के मद्देनजर पंजाब सरकार ने चार नई टेस्टिंग लैब बनाने और इनमें 131 स्टाफ की नियुक्ति करने का फैसला किया है। इसके साथ ही मंत्रिमंडल ने इन लैब में सहायक प्रोफेसर (माइक्रोबायोलॉजी) के चार नए पदों को भरने के लिए चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। सभी नियुक्तियां आउटसोर्स के जरिए होंगी।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में मोहाली में पंजाब स्टेट फोरेंसिक साइंसिस लैबोरेटरी और पंजाब बायोटेक्नोलॉजी इंकुबेटर लैब बनाने का फैसला किया। इसके अलावा जालंधर में नार्दर्न रीजनल डिजीज डायग्नोस्टिक लैबोरेटरी और लुधियाना में श्री गुरु अंगद देव वैटरनरी एंड एनिमल साइंसिस में लैब स्थापित की जाएगी। इससे प्रतिदिन 13,000 टेस्ट करने की क्षमता हो जाएगी। इस समय पटियाला, अमृतसर और फरीदकोट के मेडिकल कॉलेजों में प्रति दिन 9000 टेस्ट करने की क्षमता है।
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आपदा प्रबंधन फंड से दिया जाएगा वेतन
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि सभी नियुक्तियां बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस फरीदकोट की तरफ से आउटसोर्सिंग के जरिए की जाएंगी। स्टाफ के 131 सदस्यों की नियुक्ति से प्रति महीना 17.46 लाख रुपये जबकि एडहॉक सहायक प्रोफेसरों के पदों के लिए प्रति माह 3.06 लाख का खर्च आएगा। यह रकम प्रांतीय आपदा प्रबंधन फंड से दी जाएगी। इन 131 स्टाफ सदस्यों में रिसर्च साइंटिस्ट (नॉन मेडिकल), रिसर्च साइंटिस्ट, लैब टेक्नीशियन, डाटा एंट्री ऑपरेटर, लैब अटेंडेंट और स्वीपर के पद शामिल हैं।
मेडिकल, आयुर्वेदिक व डेंटल फैकल्टी की पुनर्नियुक्ति को मंजूरी
एक अन्य फैसले में मंत्रिमंडल ने पटियाला-अमृतसर के सरकारी मेडिकल कॉलेज, सरकारी डेंटल कॉलेज और पटियाला के आयुर्वेदिक कॉलेज में सेवाएं निभा रही टीचिंग फैकल्टी की सेवामुक्ति की 62 साल की आयु पूरी होने के बाद उनकी पुनर्नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। मेडिकल/आयुर्वेदिक फैकल्टी के लिए पुनर्नियुक्ति की आयु 70 साल तक जबकि डेंटल फैकल्टी के लिए 65 साल होगी।
यह कदम मेडिकल, डेंटल और आयुर्वेदिक की टीचिंग फैकल्टी की कमी को दूर करने में सहायक होगा। इसके अलावा यह मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया/डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया और सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसन के नियमों के तहत पीजी कोर्स की सीटें बरकरार रखने में भी मददगार सिद्ध होगा।