कोविड-19 के सामुदायिक फैलाव के खतरे को देखते हुए पंजाब सरकार ने शुक्रवार को राज्य में आगामी एक मई तक कर्फ्यू की अवधि बढ़ाने का एलान किया है। यह फैसला मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। प्रवक्ता के अनुसार, कर्फ्यू बढ़ाने का फैसला इसलिए लिया गया ताकि इस महामारी के सामुदायिक फैलाव को रोका जा सके और गेहूं की कटाई/खरीद के सीजन में मंडियों में भीड़ से भी बचा जा सके।
कैप्टन इस फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शनिवार को होने वाली मुख्यमंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भी बताएंगे। आने वाले हफ्तों में महामारी के फैलने की गंभीर आशंका का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्फ्यू की बंदिशें बहुत जरूरी थी ताकि मेडिकल ढांचे पर उसकी क्षमता से अधिक बोझ न पड़ सके।
स्कूलों में छुट्टियां 10 मई तक, बाकी रहते पेपर किए रद्द
शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला ने कहा है कि शुक्रवार को पंजाब कैबिनेट की मीटिंग में राज्य के दोनों सरकारी और निजी स्कूलों की गर्मियों की छुट्टियां पहले करने का फैसला लिया गया है, ताकि कोरोना को फैलने से रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के कारण हो रहे पढ़ाई के नुकसान को कम किया जा सके। सिंगला ने बताया कि अब एक महीने के लिए गर्मी की छुट्टियां 11 अप्रैल से शुरू होंगी और 10 मई तक चलेंगी।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि कैबिनेट ने यह भी फैसला किया कि पांचवी और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों ने कर्फ्यू से पहले जो पेपर दे दिए थे, उनके आधार पर ही पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (पीएसईबी) इन विद्यार्थियों को अगली कक्षाओं में भेजेगा। सिंगला ने कहा कि कर्फ्यू के कारण बच्चों की पढ़ाई के हो रहे नुकसान के कारण अभिभावक चिंतित थे और छुट्टियां जल्द करने के इस फैसले से उन्हें राहत मिलेगी।
उन्होंने कहा कि सभी निजी स्कूलों को भी 11 अप्रैल से छुट्टियों की शुरुआत करनी चाहिए लेकिन वह अपनी जरूरत के अनुसार इन छुट्टियों की समय सीमा बढ़ाने के लिए स्वतंत्र हैं। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि पीएसईबी ने कर्फ्यू लगाने से पहले पांचवीं कक्षा के तीन पेपर ले लिए थे और अब कैबिनेट ने बाकी रहते दो पेपर रद्द करने का फैसला किया है। उन्होंने आगे कहा कि आठवीं कक्षा के संबंध में प्रैक्टिकल परीक्षाएं शेष थीं लेकिन अब बोर्ड दोनों कक्षाओं के लिए कोई अन्य पेपर लिए बगैर ही परिणामों की घोषणा करेगा।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया था कि लॉकडाउन असीमित समय के लिए नहीं हो सकता। पंजाब सरकार राज्य में पाबंदियों को इस तरीके से खत्म करने पर विचार कर रही है, जिससे कोरोना वायरस के चलते भी राज्य में आम दिनों जैसा कामकाज हो सके। उन्होंने कहा कि उच्चस्तरीय कमेटी, जिसमें डॉक्टर, मेडिकल और अन्य क्षेत्रों के माहिर शामिल हैं, की तरफ से हालात का जायजा लिया जा रहा है।
इस कमेटी की तरफ से लॉकडाउन को हटाने के तरीकों संबंधी रिपोर्ट जल्द ही सौंपी जाएगी। भारत में इस बीमारी संबंधी सामने आ रहे तथ्यों और विश्व स्तर पर उभर रहे समीकरणों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल यह जंग की शुरुआत है और भारत में आने वाले महीनों में हालात गंभीर चुनौतियों भरे हो सकते हैं। ऐसे हालात में किसी भी राज्य के लिए लॉकडाउन को खत्म करना आसान नहीं होगा।
लॉकडाउन से निकलने को 15 सदस्यीय टास्क फोर्स
मुख्यमंत्री के प्रस्ताव पर कैबिनेट ने फैसला किया कि कर्फ्यू/लॉकडाउन से धीरे-धीरे बाहर लाने की नीति तैयार करने के लिए एक बहुउद्देशीय टास्क फोर्स बनाई जाए जो 10 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपे। टास्क फोर्स में 15 सदस्य होंगे जो व्यापार, कारोबार, उद्योग, कृषि, सिविल सोसाइटी और स्वास्थ्य क्षेत्रों की नुमाइंदगी करेंगे। कैबिनेट ने मुख्यमंत्री को टास्क फोर्स की रचना संबंधी फैसला लेने के लिए अधिकृत किया।
राज्य को उभारने की सलाह देगी कमेटी
बैठक में इसके साथ ही एक उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी की स्थापना का भी फैसला लिया गया जो राज्य को इस महामारी के बाद खतरे को घटाने और राज्य की अर्थव्यवस्था को उभारने का सुझाव देगी। कैप्टन ने कहा कि वह योजना आयोग के पूर्व डिप्टी चेयरमैन मोंटेक सिंह आहलूवालिया को इस कमेटी का प्रमुख बनने का आग्रह करेंगे।
पंजाब में स्थापित हो वायरोलॉजी का एडवांस सेंटर
कैबिनेट ने यह भी प्रस्ताव पास किया कि केंद्र सरकार से अपील की जाए कि पंजाब में 500 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ वायरोलॉजी का एडवांस सेंटर स्थापित किया जाए। राज्य सरकार की तरफ से इस प्रोजेक्ट के लिए मुफ्त जमीन मुहैया करवाई जाएगी।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार की तरफ से देश में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जारी किए गए 15000 करोड़ रुपये को नाकाफी बताया। उन्होंने कहा कि यह रकम किसी भी तरीके से भारत के 1.4 अरब लोगों के लिए काफी नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य के पास इतने स्रोत नहीं हैं कि वह केंद्र की सहायता के बिना कोरोना के खिलाफ जंग लड़ सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह राज्यों को यह जंग लड़ने के काबिल बनाने के लिए और ज्यादा फंड जारी करने का मामला जोरदार तरीके से उठाएंगे।
मुख्यमंत्री ने इस संकट से निपटने के लिए पंजाब के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की मांग को दोहराते हुए कहा कि केंद्र की तरफ से पंजाब के जीएसटी के लंबित बकाये के एक हिस्से को जारी किया गया है। यह भी राज्य में वेतन आदि की जरूरतों को मुश्किल से ही पूरा करेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र वित्तीय मदद बढ़ाए क्योंकि राज्यों पर जरूरतमंद लोगों के लिए खाद्य सामग्री और रैन बसेरों आदि का प्रबंध करने की जिम्मेदारी भी है। इस संकट के दौरान पंजाब में फंसे हुए लाखों प्रवासी मजदूरों की प्राथमिक जरूरतों का ख्याल रखा जा रहा है। औद्योगिक इकाइयों द्वारा बिना वित्तीय मदद के वर्करों को असीमित समय तक वेतन जारी रखना मुश्किल होगा।
खर्चों में कटौती के लिए वित्तीय प्रबंधन संबंधी कैबिनेट सब-कमेटी का होगा विस्तार
पंजाब कैबिनेट ने कोविड-19 से मुकाबले के तहत खर्च में अपेक्षित कटौती का फैसला लेने के लिए वित्तीय प्रबंधन संबंधी कैबिनेट सब-कमेटी में चार अतिरिक्त सदस्यों को नामित करने का जिम्मा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को सौंप दिया है। कोविड संकट के मद्देनजर राज्य की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करते हुए कैबिनेट ने विभिन्न विभागों को खर्चों में कटौती संबंधी अपने प्रस्ताव सोमवार तक भेजने को कहा। कैबिनेट सब कमेटी मंगलवार को मीटिंग करेगी।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को राज्य मंत्रिमंडल ने डिप्टी कमिश्नरों को अपने-अपने जिलों में नई मंडियों की घोषणा करने का अधिकार दे दिया ताकि मौजूदा हालात में सामाजिक दूरी बनाए रखते हुए गेहूं की निर्विघ्न खरीद को यकीनी बनाया जा सके।
कैबिनेट की वीडियो कांफ्रेंस के बाद सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि यह मंडियां खरीद कामों के लिए इस साल पहले से घोषित की जा चुकी 3800 मंडियों के अलावा होंगी। कैबिनेट ने गेहूं कटाई और खरीद प्रबंधों की तैयारियों का जायजा लिया, जो 15 अप्रैल से शुरू हो रही है।
यह भी फैसला किया गया कि खरीद प्रबंधों को 11 अप्रैल तक अंतिम रूप देकर नोटीफाई कर दिया जाए ताकि क्रमवार तरीके से किसानों की फसल का एक-एक दाना खरीदा जा सके। राज्य सरकार 15 जून तक गेहूं खरीद बढ़ाने का फैसला पहले ही ले चुकी है। सरकार ने केंद्र से कोविड-19 के मद्देनजर मंडियों में क्रमवार गेहूं लाने वाले किसानों को मुआवजा देने भी मांग की है लेकिन केंद्र ने अभी तक कोई स्वीकृति नहीं दी।
मंडियों में 137 लाख टन गेहूं पहुंचने का अनुमान
अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास) विश्वजीत खन्ना ने कैबिनेट को बताया कि मंडियों में लगभग 137 लाख टन गेहूं आने की आशा है, जिसमें से 135 लाख टन सरकारी एजेंसियों द्वारा और 2 लाख टन व्यापारियों द्वारा खरीदी जाएगी। 153 प्रमुख फड़ें, 283 फड़ें, 1430 खरीद केंद्रों और चावल मिलों समेत 3718 खरीद केंद्रों की स्थापना की गई है।
खन्ना ने बताया कि मंडियों में जगह के हिसाब से एक किसान एक दिन या अलग-अलग दिनों के लिए अनेक कूपनों का हकदार होगा, ताकि भीड़भाड़ न हो। मार्केट कमेटियों की तरफ से आढ़तियों को लगभग 27 लाख कूपन जारी किए जाएंगे। एक कूपन पर किसान मंडी में 50 क्विंटल की एक ट्राली लाने का हकदार होगा।
एक सवाल के जवाब में कैप्टन ने कहा कि उनकी सरकार किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए तैयारियां कर रही हैं। चार चरणों में व्यवस्था करने की योजना बनाई गई है। इसके तहत पहले चरण में 2000 मरीज, उसके बाद 10,000, फिर 30,000 और फिर एक लाख मरीजों को एकांतवास और इलाज की जरूरत के हिसाब से तैयारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि इस समय वेंटिलेटर, मास्क आदि सामान अपेक्षित मात्रा में मौजूद है और अन्य के लिए आर्डर दिए गए हैं। अगले कुछ दिनों में यह उपकरण आने शुरू हो जाएंगे।
पीपीई किटों के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी किटें बनाने के लिए लुधियाना के दो मैनुफैक्चरिंग यूनिटों को मंजूरी मिलने से सोमवार से रोजाना 5000 किटें मिलनी शुरू हो जाएंगी और केंद्र सरकार द्वारा या सीधे तौर पर अन्य राज्यों को भेज सकेंगे। मेडिकल स्टाफ के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़ी संख्या में सेवामुक्त डाक्टर साथ जुड़े हैं, जिन्हें मदद के लिए तैयार रखा गया है। टेस्टिंग के विषय पर मुख्यमंत्री ने माना कि राज्य की 2.8 करोड़ की आबादी के मुकाबले अब तक किए 2877 टेस्ट काफी नहीं हैं।
टेस्टिंग में मुश्किलें आई हैं क्योंकि पीजीआई चंडीगढ़ समेत पंजाब में सिर्फ दो अस्पतालों में टेस्ट की इजाजत दी गई। फिलहाल एक-दो प्राइवेट लैब समेत एक अन्य को शामिल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 25000 रैपिड टेस्टिंग किटें भी पहुंचने की उम्मीद है जिससे सोमवार से ज्यादा प्रभावित स्थानों (हॉटस्पॉट) में सार्वजनिक टेस्टिंग शुरू कर दी जाएगी।
पंजाब ने कोविड-19 के खिलाफ जंग में राज्य के निजी अस्पतालों को भी शामिल करने का फैसला किया है। इस संबंध में कैबिनेट ने ‘पंजाब क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) आर्डिनेंस 2020’ को मंजूरी दे दी। अध्यक्षता करते हुए सीएम ने कहा कि कोविड -19 के खिलाफ जंग में निजी अस्पतालों को शामिल करने की जरूरत थी।
कैबिनेट ने इस संबंध में कानूनी पक्ष पर विचार के बाद इस बिल का मसौदा मंजूर करने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया। कैप्टन ने कहा कि लंबी खिंचती इस जंग में राज्य के हित में सभी स्रोतों को लगाने की बहुत ज्यादा जरूरत थी। यह आर्डिनेंस, मेडिकल संस्थानों को रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन मुहैया करेगा, जिससे आम व्यक्तियों के लिए उचित सेहत सेवाएं यकीनी बनाने के उद्देश्य से निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाया जाएगा।
प्रस्तावित कानून के मुताबिक, मेडिकल संस्थानों की रोजाना की कार्यप्रणाली में कोई दखल नहीं दिया जाएगा। यह कानून शुरुआती तौर पर हरियाणा की तरह 50 बिस्तरों या उससे अधिक वाले अस्पतालों पर लागू होगा। यह भी प्रस्ताव किया गया कि ‘पंजाब हेल्थ काउंसिल’ का नेतृत्व किसी अधिकारी की जगह राष्ट्रीय स्तर के किसी माहिर या पेशेवर को सौंपा जा सकता है और इसमें दो और पेशेवरों को सदस्यों के तौर पर शामिल किया जा सकता है।
कोविड-19 के सामुदायिक फैलाव के खतरे को देखते हुए पंजाब सरकार ने शुक्रवार को राज्य में आगामी एक मई तक कर्फ्यू की अवधि बढ़ाने का एलान किया है। यह फैसला मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। प्रवक्ता के अनुसार, कर्फ्यू बढ़ाने का फैसला इसलिए लिया गया ताकि इस महामारी के सामुदायिक फैलाव को रोका जा सके और गेहूं की कटाई/खरीद के सीजन में मंडियों में भीड़ से भी बचा जा सके।
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कैप्टन इस फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शनिवार को होने वाली मुख्यमंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भी बताएंगे। आने वाले हफ्तों में महामारी के फैलने की गंभीर आशंका का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्फ्यू की बंदिशें बहुत जरूरी थी ताकि मेडिकल ढांचे पर उसकी क्षमता से अधिक बोझ न पड़ सके।
स्कूलों में छुट्टियां 10 मई तक, बाकी रहते पेपर किए रद्द
शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला ने कहा है कि शुक्रवार को पंजाब कैबिनेट की मीटिंग में राज्य के दोनों सरकारी और निजी स्कूलों की गर्मियों की छुट्टियां पहले करने का फैसला लिया गया है, ताकि कोरोना को फैलने से रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के कारण हो रहे पढ़ाई के नुकसान को कम किया जा सके। सिंगला ने बताया कि अब एक महीने के लिए गर्मी की छुट्टियां 11 अप्रैल से शुरू होंगी और 10 मई तक चलेंगी।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि कैबिनेट ने यह भी फैसला किया कि पांचवी और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों ने कर्फ्यू से पहले जो पेपर दे दिए थे, उनके आधार पर ही पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (पीएसईबी) इन विद्यार्थियों को अगली कक्षाओं में भेजेगा। सिंगला ने कहा कि कर्फ्यू के कारण बच्चों की पढ़ाई के हो रहे नुकसान के कारण अभिभावक चिंतित थे और छुट्टियां जल्द करने के इस फैसले से उन्हें राहत मिलेगी।
उन्होंने कहा कि सभी निजी स्कूलों को भी 11 अप्रैल से छुट्टियों की शुरुआत करनी चाहिए लेकिन वह अपनी जरूरत के अनुसार इन छुट्टियों की समय सीमा बढ़ाने के लिए स्वतंत्र हैं। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि पीएसईबी ने कर्फ्यू लगाने से पहले पांचवीं कक्षा के तीन पेपर ले लिए थे और अब कैबिनेट ने बाकी रहते दो पेपर रद्द करने का फैसला किया है। उन्होंने आगे कहा कि आठवीं कक्षा के संबंध में प्रैक्टिकल परीक्षाएं शेष थीं लेकिन अब बोर्ड दोनों कक्षाओं के लिए कोई अन्य पेपर लिए बगैर ही परिणामों की घोषणा करेगा।
लॉकडाउन खोलने के तरीकों पर हो रहा विचार
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया था कि लॉकडाउन असीमित समय के लिए नहीं हो सकता। पंजाब सरकार राज्य में पाबंदियों को इस तरीके से खत्म करने पर विचार कर रही है, जिससे कोरोना वायरस के चलते भी राज्य में आम दिनों जैसा कामकाज हो सके। उन्होंने कहा कि उच्चस्तरीय कमेटी, जिसमें डॉक्टर, मेडिकल और अन्य क्षेत्रों के माहिर शामिल हैं, की तरफ से हालात का जायजा लिया जा रहा है।
इस कमेटी की तरफ से लॉकडाउन को हटाने के तरीकों संबंधी रिपोर्ट जल्द ही सौंपी जाएगी। भारत में इस बीमारी संबंधी सामने आ रहे तथ्यों और विश्व स्तर पर उभर रहे समीकरणों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल यह जंग की शुरुआत है और भारत में आने वाले महीनों में हालात गंभीर चुनौतियों भरे हो सकते हैं। ऐसे हालात में किसी भी राज्य के लिए लॉकडाउन को खत्म करना आसान नहीं होगा।
लॉकडाउन से निकलने को 15 सदस्यीय टास्क फोर्स
मुख्यमंत्री के प्रस्ताव पर कैबिनेट ने फैसला किया कि कर्फ्यू/लॉकडाउन से धीरे-धीरे बाहर लाने की नीति तैयार करने के लिए एक बहुउद्देशीय टास्क फोर्स बनाई जाए जो 10 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपे। टास्क फोर्स में 15 सदस्य होंगे जो व्यापार, कारोबार, उद्योग, कृषि, सिविल सोसाइटी और स्वास्थ्य क्षेत्रों की नुमाइंदगी करेंगे। कैबिनेट ने मुख्यमंत्री को टास्क फोर्स की रचना संबंधी फैसला लेने के लिए अधिकृत किया।
राज्य को उभारने की सलाह देगी कमेटी
बैठक में इसके साथ ही एक उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी की स्थापना का भी फैसला लिया गया जो राज्य को इस महामारी के बाद खतरे को घटाने और राज्य की अर्थव्यवस्था को उभारने का सुझाव देगी। कैप्टन ने कहा कि वह योजना आयोग के पूर्व डिप्टी चेयरमैन मोंटेक सिंह आहलूवालिया को इस कमेटी का प्रमुख बनने का आग्रह करेंगे।
पंजाब में स्थापित हो वायरोलॉजी का एडवांस सेंटर
कैबिनेट ने यह भी प्रस्ताव पास किया कि केंद्र सरकार से अपील की जाए कि पंजाब में 500 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ वायरोलॉजी का एडवांस सेंटर स्थापित किया जाए। राज्य सरकार की तरफ से इस प्रोजेक्ट के लिए मुफ्त जमीन मुहैया करवाई जाएगी।
कैप्टन ने 15000 करोड़ के पैकेज को नाकाफी बताया
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार की तरफ से देश में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जारी किए गए 15000 करोड़ रुपये को नाकाफी बताया। उन्होंने कहा कि यह रकम किसी भी तरीके से भारत के 1.4 अरब लोगों के लिए काफी नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य के पास इतने स्रोत नहीं हैं कि वह केंद्र की सहायता के बिना कोरोना के खिलाफ जंग लड़ सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह राज्यों को यह जंग लड़ने के काबिल बनाने के लिए और ज्यादा फंड जारी करने का मामला जोरदार तरीके से उठाएंगे।
मुख्यमंत्री ने इस संकट से निपटने के लिए पंजाब के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की मांग को दोहराते हुए कहा कि केंद्र की तरफ से पंजाब के जीएसटी के लंबित बकाये के एक हिस्से को जारी किया गया है। यह भी राज्य में वेतन आदि की जरूरतों को मुश्किल से ही पूरा करेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र वित्तीय मदद बढ़ाए क्योंकि राज्यों पर जरूरतमंद लोगों के लिए खाद्य सामग्री और रैन बसेरों आदि का प्रबंध करने की जिम्मेदारी भी है। इस संकट के दौरान पंजाब में फंसे हुए लाखों प्रवासी मजदूरों की प्राथमिक जरूरतों का ख्याल रखा जा रहा है। औद्योगिक इकाइयों द्वारा बिना वित्तीय मदद के वर्करों को असीमित समय तक वेतन जारी रखना मुश्किल होगा।
खर्चों में कटौती के लिए वित्तीय प्रबंधन संबंधी कैबिनेट सब-कमेटी का होगा विस्तार
पंजाब कैबिनेट ने कोविड-19 से मुकाबले के तहत खर्च में अपेक्षित कटौती का फैसला लेने के लिए वित्तीय प्रबंधन संबंधी कैबिनेट सब-कमेटी में चार अतिरिक्त सदस्यों को नामित करने का जिम्मा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को सौंप दिया है। कोविड संकट के मद्देनजर राज्य की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करते हुए कैबिनेट ने विभिन्न विभागों को खर्चों में कटौती संबंधी अपने प्रस्ताव सोमवार तक भेजने को कहा। कैबिनेट सब कमेटी मंगलवार को मीटिंग करेगी।
अपने जिलों में नई मंडियां घोषित कर सकते हैं डीसी
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को राज्य मंत्रिमंडल ने डिप्टी कमिश्नरों को अपने-अपने जिलों में नई मंडियों की घोषणा करने का अधिकार दे दिया ताकि मौजूदा हालात में सामाजिक दूरी बनाए रखते हुए गेहूं की निर्विघ्न खरीद को यकीनी बनाया जा सके।
कैबिनेट की वीडियो कांफ्रेंस के बाद सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि यह मंडियां खरीद कामों के लिए इस साल पहले से घोषित की जा चुकी 3800 मंडियों के अलावा होंगी। कैबिनेट ने गेहूं कटाई और खरीद प्रबंधों की तैयारियों का जायजा लिया, जो 15 अप्रैल से शुरू हो रही है।
यह भी फैसला किया गया कि खरीद प्रबंधों को 11 अप्रैल तक अंतिम रूप देकर नोटीफाई कर दिया जाए ताकि क्रमवार तरीके से किसानों की फसल का एक-एक दाना खरीदा जा सके। राज्य सरकार 15 जून तक गेहूं खरीद बढ़ाने का फैसला पहले ही ले चुकी है। सरकार ने केंद्र से कोविड-19 के मद्देनजर मंडियों में क्रमवार गेहूं लाने वाले किसानों को मुआवजा देने भी मांग की है लेकिन केंद्र ने अभी तक कोई स्वीकृति नहीं दी।
मंडियों में 137 लाख टन गेहूं पहुंचने का अनुमान
अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास) विश्वजीत खन्ना ने कैबिनेट को बताया कि मंडियों में लगभग 137 लाख टन गेहूं आने की आशा है, जिसमें से 135 लाख टन सरकारी एजेंसियों द्वारा और 2 लाख टन व्यापारियों द्वारा खरीदी जाएगी। 153 प्रमुख फड़ें, 283 फड़ें, 1430 खरीद केंद्रों और चावल मिलों समेत 3718 खरीद केंद्रों की स्थापना की गई है।
खन्ना ने बताया कि मंडियों में जगह के हिसाब से एक किसान एक दिन या अलग-अलग दिनों के लिए अनेक कूपनों का हकदार होगा, ताकि भीड़भाड़ न हो। मार्केट कमेटियों की तरफ से आढ़तियों को लगभग 27 लाख कूपन जारी किए जाएंगे। एक कूपन पर किसान मंडी में 50 क्विंटल की एक ट्राली लाने का हकदार होगा।
एक लाख मरीजों के इलाज की क्षमता जुटा रहा पंजाब
एक सवाल के जवाब में कैप्टन ने कहा कि उनकी सरकार किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए तैयारियां कर रही हैं। चार चरणों में व्यवस्था करने की योजना बनाई गई है। इसके तहत पहले चरण में 2000 मरीज, उसके बाद 10,000, फिर 30,000 और फिर एक लाख मरीजों को एकांतवास और इलाज की जरूरत के हिसाब से तैयारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि इस समय वेंटिलेटर, मास्क आदि सामान अपेक्षित मात्रा में मौजूद है और अन्य के लिए आर्डर दिए गए हैं। अगले कुछ दिनों में यह उपकरण आने शुरू हो जाएंगे।
पीपीई किटों के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी किटें बनाने के लिए लुधियाना के दो मैनुफैक्चरिंग यूनिटों को मंजूरी मिलने से सोमवार से रोजाना 5000 किटें मिलनी शुरू हो जाएंगी और केंद्र सरकार द्वारा या सीधे तौर पर अन्य राज्यों को भेज सकेंगे। मेडिकल स्टाफ के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़ी संख्या में सेवामुक्त डाक्टर साथ जुड़े हैं, जिन्हें मदद के लिए तैयार रखा गया है। टेस्टिंग के विषय पर मुख्यमंत्री ने माना कि राज्य की 2.8 करोड़ की आबादी के मुकाबले अब तक किए 2877 टेस्ट काफी नहीं हैं।
टेस्टिंग में मुश्किलें आई हैं क्योंकि पीजीआई चंडीगढ़ समेत पंजाब में सिर्फ दो अस्पतालों में टेस्ट की इजाजत दी गई। फिलहाल एक-दो प्राइवेट लैब समेत एक अन्य को शामिल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 25000 रैपिड टेस्टिंग किटें भी पहुंचने की उम्मीद है जिससे सोमवार से ज्यादा प्रभावित स्थानों (हॉटस्पॉट) में सार्वजनिक टेस्टिंग शुरू कर दी जाएगी।
जंग में निजी अस्पतालों को भी शामिल करेगी सरकार
पंजाब ने कोविड-19 के खिलाफ जंग में राज्य के निजी अस्पतालों को भी शामिल करने का फैसला किया है। इस संबंध में कैबिनेट ने ‘पंजाब क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) आर्डिनेंस 2020’ को मंजूरी दे दी। अध्यक्षता करते हुए सीएम ने कहा कि कोविड -19 के खिलाफ जंग में निजी अस्पतालों को शामिल करने की जरूरत थी।
कैबिनेट ने इस संबंध में कानूनी पक्ष पर विचार के बाद इस बिल का मसौदा मंजूर करने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया। कैप्टन ने कहा कि लंबी खिंचती इस जंग में राज्य के हित में सभी स्रोतों को लगाने की बहुत ज्यादा जरूरत थी। यह आर्डिनेंस, मेडिकल संस्थानों को रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन मुहैया करेगा, जिससे आम व्यक्तियों के लिए उचित सेहत सेवाएं यकीनी बनाने के उद्देश्य से निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाया जाएगा।
प्रस्तावित कानून के मुताबिक, मेडिकल संस्थानों की रोजाना की कार्यप्रणाली में कोई दखल नहीं दिया जाएगा। यह कानून शुरुआती तौर पर हरियाणा की तरह 50 बिस्तरों या उससे अधिक वाले अस्पतालों पर लागू होगा। यह भी प्रस्ताव किया गया कि ‘पंजाब हेल्थ काउंसिल’ का नेतृत्व किसी अधिकारी की जगह राष्ट्रीय स्तर के किसी माहिर या पेशेवर को सौंपा जा सकता है और इसमें दो और पेशेवरों को सदस्यों के तौर पर शामिल किया जा सकता है।
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