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किसान आंदोलन के कारण रास्ते बंद होने से सबसे ज्यादा सोनीपत पर असर पड़ता दिख रहा है। जहां दिल्ली में लोग नौकरी के लिए जा सकते है, वहीं ट्रांसपोर्ट ठप होने से फैक्टरियां बंद हो गई हैं। जिससे यहां रोजाना करीब 150 करोड़ रुपये का नुकसान उद्यमियों को झेलना पड़ रहा है। यहां के पांच औद्योगिक क्षेत्रों की सात हजार फैक्टरियों में सबसे ज्यादा प्रभावित कुंडली के उद्यमी हुए हैं। जबकि राई के उद्यमियों पर कुछ कम असर है तो सोनीपत, मुरथल व बड़ी भी कुछ प्रभावित हुए है। इस आंदोलन ने उद्यमियों की चिंता को बढ़ा दिया है, क्योंकि उनके ऑर्डर निरस्त होने लगे हैं। वहीं आंदोलन कब तक चलेगा, इसका अभी कुछ नहीं पता है।
जिले के पांच औद्योगिक क्षेत्रों सोनीपत, मुरथल, बडी, राई व कुंडली है तो नाथूपुर व सबौली के पास भी कुछ फैक्टरी है। जिनमें छोटी व बड़ी लगभग 7 हजार फैक्टरियां चल रही हैं। जिनमें स्टील के बर्तन व अन्य सामान, प्लास्टिक का सामान बनाने, खाद्य पदार्थों, कैमिकल, पेंट, गत्ता बनाने, जूते, गारमेंट, ऑटो मोबाइल पार्ट्स, दवाई आदि की फैक्टरी शामिल है। पिछले चार दिन से किसानों के आंदोलन का सबसे ज्यादा असर सोनीपत के उद्योग पर पड़ा है। क्योंकि किसानों ने कुंडली औद्योगिक क्षेत्र के सामने ही पड़ाव डाला हुआ है, जिससे एक वाहन भी औद्योगिक क्षेत्र से नहीं निकल सकता है। इस तरह ट्रांसपोर्ट बंद होने से कच्चा माल न फैक्टरी में पहुंच रहा है और सामान तैयार होकर वहां से सप्लाई भी नहीं हो रहा है।
हालात यह है कि अब व्यापारियों ने सामान समय पर नहीं मिलने के कारण ऑर्डर निरस्त करने शुरू कर दिए है। क्योंकि पैकिंग का गत्ता, बोतल के ढक्कन समेत अन्य काफी ऐसा सामान है, जिसकी सप्लाई समय पर नहीं होने से अन्य सामान का उत्पादन रुक जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इनके बिना उस सामान की पैकिंग नहीं हो पाती है और इसलिए ही अन्य फैक्टरी से उत्पादन कराना शुरू करा दिया है। जिससे कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में रोजाना करीब 80 करोड़ रुपये का नुकसान उद्यमियों को झेलना पड़ रहा है। इस तरह ही राई औद्योगिक क्षेत्र में अन्य रास्तों से ट्रांसपोर्ट पहुंच रहा है तो वहां कुछ फैक्टरी चल रही है, जबकि जिनकी सप्लाई केवल दिल्ली में होनी है। उनकी फैक्टरी बंद होने से लगभग 50 करोड़ का नुकसान वहां के उद्यमियों को रोजाना झेलना पड़ रहा है। नाथूपुर सबौली, मुरथल व बड़ी के उद्यमी भी करीब 20 करोड़ तक का नुकसान रोजाना उठा रहे हैं।
कुंडली में मजदूरों को बुलाना मजबूरी, खाली बैठने का वेतन देंगे
कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में फैक्टरी मालिकों ने महिला मजदूरों को सुरक्षा की दृष्टि से बुलाना बंद कर दिया है, लेकिन पुरुष मजदूरों को लगातार मजबूरी में बुलाया जा रहा है, जिससे उनके परिवार पर कोई असर नहीं पड़े और उनको खाना मिलता रहे। उद्यमी सुभाष गुप्ता ने बताया कि मजदूरों को बुलाकर फैक्टरी में बैठा लेते है या उनसे साफ-सफाई करा लेते है। इस तरह से मजदूरों को खाली बैठने का वेतन दिया जाएगा, जबकि फैक्टरी नहीं चलने से पहले ही नुकसान हो रहा है।
फैक्टरी में माल नहीं आ रहा है और वहां से तैयार माल किसी जगह नहीं पहुंच रहा है। इसलिए ही व्यापारियों ने ऑर्डर निरस्त करके अन्य जगहों से माल लेना शुरू कर दिया है। क्योंकि ऐसे भी सामान है, उनके बिना उनका उत्पादन बंद हो जाएगा। इसलिए वह मजबूरी में दूसरी जगह से माल लेने लगे है। कुंडली में रोजाना करीब 80 करोड़ रुपये का नुकसान रोजाना उद्यमी झेल रहे है। - सुभाष गुप्ता, अध्यक्ष कुंडली औद्योगिक एसोसिएशन
यह महीने का आखिरी सप्ताह था, जिसमें सामान को भेजना जरूरी होता है। लेकिन किसान आंदोलन के कारण ट्रांसपोर्ट ठप हो गया है और सामान नहीं भेजा जा सका है। जिससे कच्चा माल मंगवाया भी नहीं जा रहा है। ऐसे में ऑर्डर निरस्त होने से सबसे ज्यादा नुकसान फैक्टरी मालिकों को हो रहा है। राई में इस समय करीब 50 करोड़ का नुकसान फैक्टरी बंद होने से उद्यमियों को झेलना पड़ रहा है। क्योंकि सोनीपत में किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर है। - राकेश देवगन, प्रधान राई औद्योगिक मैन्यूफेक्चरिंग एसोसिएशन।
किसान आंदोलन के कारण रास्ते बंद होने से सबसे ज्यादा सोनीपत पर असर पड़ता दिख रहा है। जहां दिल्ली में लोग नौकरी के लिए जा सकते है, वहीं ट्रांसपोर्ट ठप होने से फैक्टरियां बंद हो गई हैं। जिससे यहां रोजाना करीब 150 करोड़ रुपये का नुकसान उद्यमियों को झेलना पड़ रहा है। यहां के पांच औद्योगिक क्षेत्रों की सात हजार फैक्टरियों में सबसे ज्यादा प्रभावित कुंडली के उद्यमी हुए हैं। जबकि राई के उद्यमियों पर कुछ कम असर है तो सोनीपत, मुरथल व बड़ी भी कुछ प्रभावित हुए है। इस आंदोलन ने उद्यमियों की चिंता को बढ़ा दिया है, क्योंकि उनके ऑर्डर निरस्त होने लगे हैं। वहीं आंदोलन कब तक चलेगा, इसका अभी कुछ नहीं पता है।
जिले के पांच औद्योगिक क्षेत्रों सोनीपत, मुरथल, बडी, राई व कुंडली है तो नाथूपुर व सबौली के पास भी कुछ फैक्टरी है। जिनमें छोटी व बड़ी लगभग 7 हजार फैक्टरियां चल रही हैं। जिनमें स्टील के बर्तन व अन्य सामान, प्लास्टिक का सामान बनाने, खाद्य पदार्थों, कैमिकल, पेंट, गत्ता बनाने, जूते, गारमेंट, ऑटो मोबाइल पार्ट्स, दवाई आदि की फैक्टरी शामिल है। पिछले चार दिन से किसानों के आंदोलन का सबसे ज्यादा असर सोनीपत के उद्योग पर पड़ा है। क्योंकि किसानों ने कुंडली औद्योगिक क्षेत्र के सामने ही पड़ाव डाला हुआ है, जिससे एक वाहन भी औद्योगिक क्षेत्र से नहीं निकल सकता है। इस तरह ट्रांसपोर्ट बंद होने से कच्चा माल न फैक्टरी में पहुंच रहा है और सामान तैयार होकर वहां से सप्लाई भी नहीं हो रहा है।
हालात यह है कि अब व्यापारियों ने सामान समय पर नहीं मिलने के कारण ऑर्डर निरस्त करने शुरू कर दिए है। क्योंकि पैकिंग का गत्ता, बोतल के ढक्कन समेत अन्य काफी ऐसा सामान है, जिसकी सप्लाई समय पर नहीं होने से अन्य सामान का उत्पादन रुक जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इनके बिना उस सामान की पैकिंग नहीं हो पाती है और इसलिए ही अन्य फैक्टरी से उत्पादन कराना शुरू करा दिया है। जिससे कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में रोजाना करीब 80 करोड़ रुपये का नुकसान उद्यमियों को झेलना पड़ रहा है। इस तरह ही राई औद्योगिक क्षेत्र में अन्य रास्तों से ट्रांसपोर्ट पहुंच रहा है तो वहां कुछ फैक्टरी चल रही है, जबकि जिनकी सप्लाई केवल दिल्ली में होनी है। उनकी फैक्टरी बंद होने से लगभग 50 करोड़ का नुकसान वहां के उद्यमियों को रोजाना झेलना पड़ रहा है। नाथूपुर सबौली, मुरथल व बड़ी के उद्यमी भी करीब 20 करोड़ तक का नुकसान रोजाना उठा रहे हैं।
कुंडली में मजदूरों को बुलाना मजबूरी, खाली बैठने का वेतन देंगे
कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में फैक्टरी मालिकों ने महिला मजदूरों को सुरक्षा की दृष्टि से बुलाना बंद कर दिया है, लेकिन पुरुष मजदूरों को लगातार मजबूरी में बुलाया जा रहा है, जिससे उनके परिवार पर कोई असर नहीं पड़े और उनको खाना मिलता रहे। उद्यमी सुभाष गुप्ता ने बताया कि मजदूरों को बुलाकर फैक्टरी में बैठा लेते है या उनसे साफ-सफाई करा लेते है। इस तरह से मजदूरों को खाली बैठने का वेतन दिया जाएगा, जबकि फैक्टरी नहीं चलने से पहले ही नुकसान हो रहा है।
फैक्टरी में माल नहीं आ रहा है और वहां से तैयार माल किसी जगह नहीं पहुंच रहा है। इसलिए ही व्यापारियों ने ऑर्डर निरस्त करके अन्य जगहों से माल लेना शुरू कर दिया है। क्योंकि ऐसे भी सामान है, उनके बिना उनका उत्पादन बंद हो जाएगा। इसलिए वह मजबूरी में दूसरी जगह से माल लेने लगे है। कुंडली में रोजाना करीब 80 करोड़ रुपये का नुकसान रोजाना उद्यमी झेल रहे है।
- सुभाष गुप्ता, अध्यक्ष कुंडली औद्योगिक एसोसिएशन
यह महीने का आखिरी सप्ताह था, जिसमें सामान को भेजना जरूरी होता है। लेकिन किसान आंदोलन के कारण ट्रांसपोर्ट ठप हो गया है और सामान नहीं भेजा जा सका है। जिससे कच्चा माल मंगवाया भी नहीं जा रहा है। ऐसे में ऑर्डर निरस्त होने से सबसे ज्यादा नुकसान फैक्टरी मालिकों को हो रहा है। राई में इस समय करीब 50 करोड़ का नुकसान फैक्टरी बंद होने से उद्यमियों को झेलना पड़ रहा है। क्योंकि सोनीपत में किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर है।
- राकेश देवगन, प्रधान राई औद्योगिक मैन्यूफेक्चरिंग एसोसिएशन।