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नर्सिंग ऑफिसर शोभना पठानिया कोरोना काल में पूरी निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य का पालन कर रही हैं। जीएमएसएच-16 में सीनियर नर्सिंग ऑफिसर के पद पर तैनात शोभना को उनकी कड़ी मेहनत और काबिलियत के कारण ही अस्पताल प्रशासन ने इस महामारी के दौर में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी हैं। अस्पताल में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में शोभना पिछले सात महीने से लगातार ड्यूटी कर रही हैं। शोभना ड्यूटी के दौरान अस्पताल में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीजों का तनाव कम करने के लिए समय-समय पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन भी करती रहती हैं।
इसी कड़ी में उन्होंने योग दिवस पर मरीजों के लिए योगाभ्यास की व्यवस्था कराने से लेकर रक्षाबंधन पर कोविड-वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए राखी का त्योहार मनाने की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी का सफलतापूर्वक निर्वहन किया। शोभना के लिए उनके स्टाफ और उनके मरीजों सी खुशी से बढ़कर कुछ भी नहीं। उनके इन्हीं कार्यों को देखते हुए ही वर्ष 2019 में उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों फ्लोरेंस नाइटिंगेल अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
शोभना का कहना है कि जो लोग नारी को कमजोर और बेसहारा मानते हैं, उन्हें अपनी सोच बदल देनी चाहिए क्योंकि एक नारी चाह ले तो दुनिया में कोई भी काम उसके लिए असंभव नहीं रह सकता। मदर टेरेसा के बताए रास्ते पर चलने वाली शोभना के लिए मरीजों की सेवा सर्वोपरि है और यही उनकी ड्यूटी और जीवन का मुख्य उद्देश्य बन चुका है। यही कारण है कि कोरोना के शुरुआती दौर में जिस वक्त शोभना की खुद की एक बड़ी सर्जरी हुई थी, उन्होंने आराम करने की बजाय ड्यूटी ज्वाइन कर इस महामारी के दौर में अपने कर्तव्य को सबसे आगे रखा।
शोभना का कहना है कि करोना काल में एक-एक डॉक्टर और एक-एक पैरामेडिकल स्टाफ की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसी स्थिति में वह खुद छुट्टी लेकर वह कैसे आराम कर सकती हैं। उस दौरान ड्यूटी करते हुए शोभना को सर्जरी के कारण कई बार काफी परेशानी भी उठानी पड़ी, लेकिन उन्होंने अपना सारा दर्द और कष्ट भुलाकर खुद को मरीजों की सेवा में लगाए रखा।
शोभना के दोनों बच्चे न्यूजीलैंड में हैं। बेटा नवकरण सिंह अपनी बहन नंदिनी और जीजा कवर राज सिंह के साथ वहां रहता है। शोभना अपनी बेटी से पिछले ढाई साल से और बेटे से 9 महीने से नहीं मिली हैं। उनका कहना है कि बच्चों को याद करके कभी-कभी दिल बहुत बेचैन हो जाता है लेकिन जब अपने स्टाफ को देखती हूं तो बच्चों की कमी दूर हो जाती है। मेरे लिए मेरा स्टाफ मेरे परिवार जैसा है।
शोभना के अंडर में आठ नर्सिंग ऑफिसर ड्यूटी कर रही है। शोभना उनकी छोटी सी छोटी डिमांड को तत्काल पूरा करती हैं और इस बात का खास ख्याल रखती हैं कि ड्यूटी के दौरान उनका कोई भी स्टाफ संक्रमण के शिकार न होने पाए। उन सभी नर्सिंग ऑफिसर का कहना है कि उनके लिए अस्पताल में शोभना सिस्टर अभिभावक की भूमिका में हमेशा रहती हैं।
वर्कर्स के लिए बनवाई नई वर्दी
शोभना ने बताया कि कोरोना में ड्यूटी करने वाले उनके दस वर्करों को अस्पताल से मिली मोटी वर्दी में काफी परेशानी हो रही थी। गर्मी के कारण वे काम नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में उन्होंने वर्कर्स के लिए कपड़े की नई वर्दी बनवाकर दी। शोभना ने बताया कि इस कार्य में उनकी बहन की बेटी अनीशा ने भी सहयोग किया।
शोभना का कहना है कि वह नर्सिंग के साथ ही सामाजिकता और सरोकार से जुड़े कार्यों को भी दूसरों के साथ मिलकर बढ़ चढ़कर करती हैं। शोभना का कहना है कि उन पर ईश्वर की विशेष कृपा और प्यार है जिसकी बदौलत वह अपना हर दुख दर्द भूल कर दुगनी ताकत के साथ मरीजों की सेवा में जुटी रहती हैं। शोभना ने बताया कि दूसरों की सेवा करने और उनका दुख दर्द बांटने में ऐसा लगता है, जैसे अपने नर्सिंग के संकल्प को सच्चे मायनों में पूरा कर रही हूं।
सार
- जीएमएसएच-16 चंडीगढ़ की नर्सिंग इंचार्ज हैं शोभना पठानिया
- सात माह से लगातार दे रही हैं ड्यूटी, परिवार और बच्चों से हैं दूर
- अस्पताल में शोभना सिस्टर अभिभावक की भूमिका में हमेशा रहतीं
विस्तार
नर्सिंग ऑफिसर शोभना पठानिया कोरोना काल में पूरी निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य का पालन कर रही हैं। जीएमएसएच-16 में सीनियर नर्सिंग ऑफिसर के पद पर तैनात शोभना को उनकी कड़ी मेहनत और काबिलियत के कारण ही अस्पताल प्रशासन ने इस महामारी के दौर में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी हैं। अस्पताल में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में शोभना पिछले सात महीने से लगातार ड्यूटी कर रही हैं। शोभना ड्यूटी के दौरान अस्पताल में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीजों का तनाव कम करने के लिए समय-समय पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन भी करती रहती हैं।
इसी कड़ी में उन्होंने योग दिवस पर मरीजों के लिए योगाभ्यास की व्यवस्था कराने से लेकर रक्षाबंधन पर कोविड-वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए राखी का त्योहार मनाने की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी का सफलतापूर्वक निर्वहन किया। शोभना के लिए उनके स्टाफ और उनके मरीजों सी खुशी से बढ़कर कुछ भी नहीं। उनके इन्हीं कार्यों को देखते हुए ही वर्ष 2019 में उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों फ्लोरेंस नाइटिंगेल अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
शोभना का कहना है कि जो लोग नारी को कमजोर और बेसहारा मानते हैं, उन्हें अपनी सोच बदल देनी चाहिए क्योंकि एक नारी चाह ले तो दुनिया में कोई भी काम उसके लिए असंभव नहीं रह सकता। मदर टेरेसा के बताए रास्ते पर चलने वाली शोभना के लिए मरीजों की सेवा सर्वोपरि है और यही उनकी ड्यूटी और जीवन का मुख्य उद्देश्य बन चुका है। यही कारण है कि कोरोना के शुरुआती दौर में जिस वक्त शोभना की खुद की एक बड़ी सर्जरी हुई थी, उन्होंने आराम करने की बजाय ड्यूटी ज्वाइन कर इस महामारी के दौर में अपने कर्तव्य को सबसे आगे रखा।
शोभना का कहना है कि करोना काल में एक-एक डॉक्टर और एक-एक पैरामेडिकल स्टाफ की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसी स्थिति में वह खुद छुट्टी लेकर वह कैसे आराम कर सकती हैं। उस दौरान ड्यूटी करते हुए शोभना को सर्जरी के कारण कई बार काफी परेशानी भी उठानी पड़ी, लेकिन उन्होंने अपना सारा दर्द और कष्ट भुलाकर खुद को मरीजों की सेवा में लगाए रखा।
बच्चे दूर हैं तो क्या हुआ, स्टाफ ही मेरा परिवार
शोभना के दोनों बच्चे न्यूजीलैंड में हैं। बेटा नवकरण सिंह अपनी बहन नंदिनी और जीजा कवर राज सिंह के साथ वहां रहता है। शोभना अपनी बेटी से पिछले ढाई साल से और बेटे से 9 महीने से नहीं मिली हैं। उनका कहना है कि बच्चों को याद करके कभी-कभी दिल बहुत बेचैन हो जाता है लेकिन जब अपने स्टाफ को देखती हूं तो बच्चों की कमी दूर हो जाती है। मेरे लिए मेरा स्टाफ मेरे परिवार जैसा है।
शोभना के अंडर में आठ नर्सिंग ऑफिसर ड्यूटी कर रही है। शोभना उनकी छोटी सी छोटी डिमांड को तत्काल पूरा करती हैं और इस बात का खास ख्याल रखती हैं कि ड्यूटी के दौरान उनका कोई भी स्टाफ संक्रमण के शिकार न होने पाए। उन सभी नर्सिंग ऑफिसर का कहना है कि उनके लिए अस्पताल में शोभना सिस्टर अभिभावक की भूमिका में हमेशा रहती हैं।
वर्कर्स के लिए बनवाई नई वर्दी
शोभना ने बताया कि कोरोना में ड्यूटी करने वाले उनके दस वर्करों को अस्पताल से मिली मोटी वर्दी में काफी परेशानी हो रही थी। गर्मी के कारण वे काम नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में उन्होंने वर्कर्स के लिए कपड़े की नई वर्दी बनवाकर दी। शोभना ने बताया कि इस कार्य में उनकी बहन की बेटी अनीशा ने भी सहयोग किया।
शोभना का कहना है कि वह नर्सिंग के साथ ही सामाजिकता और सरोकार से जुड़े कार्यों को भी दूसरों के साथ मिलकर बढ़ चढ़कर करती हैं। शोभना का कहना है कि उन पर ईश्वर की विशेष कृपा और प्यार है जिसकी बदौलत वह अपना हर दुख दर्द भूल कर दुगनी ताकत के साथ मरीजों की सेवा में जुटी रहती हैं। शोभना ने बताया कि दूसरों की सेवा करने और उनका दुख दर्द बांटने में ऐसा लगता है, जैसे अपने नर्सिंग के संकल्प को सच्चे मायनों में पूरा कर रही हूं।