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शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव के लिए गुरुद्वारा चुनाव आयोग के मुख्य कमिश्नर एसएस सरों की नियुक्ति के साथ ही पंथक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। सिखों की इस सर्वोच्च धार्मिक संस्था में 1996 से कब्जा कर इसका संचालन करने वाले बादल परिवार से इस संस्था को कैसे मुक्त करवाया जाए, इस पर पंथक बुद्धिजीवियों ने मंथन शुरू कर दिया है। कई गुटों में बंटे पंथक संगठन एक प्लेटफॉर्म पर इकट्ठे होकर बादल परिवार का मुकाबला करने के लिए तैयारियों में जुट गए हैं।
पंथक हलकों से मिली जानकारी के अनुसार पंथक बुद्धिजीवियों ने सभी बादल विरोधी संगठनों के बीच एकजुटता पैदा करने के लिए एसजीपीसी चुनाव में एक ‘पंथक एजेंडा’ या पंथक मैनिफेस्टो तैयार करने के सुझाव दिए हैं। श्री अकाल तख्त साहिब पर बादल गुट के एकाधिकार को हटाने के लिए बुद्धिजीवी सभी को एकमंच पर आने का सुझाव दे रहे हैं। एसजीपीसी चुनाव से पहले सिख बुद्धिजीवी एक ऐसी लहर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे संगत में ऐसी अवधारणा बने कि यह गुरुद्वारा सुधार की दूसरी लहर है।
लगभग एक शताब्दी पूर्व जब तत्कालीन सिखों ने गुरुद्वारा प्रबंधन के सुधार के लिए कुर्बानियां दी थीं, तब जाकर एसजीपीसी अस्तित्व में आई थी। गुरुद्वारा सुधार की इस दूसरी लहर में बादल परिवार को गुरुद्वारा प्रबंधन से मुक्त करने के लिए आगामी एसजीपीसी चुनाव में सभी संगठन एकजुट होकर चुनाव लड़ें, इस पर काम शुरू हो गया है।
पंथक तालमेल दल ने एसजीपीसी के आगामी चुनाव के लिए एक रणनीति तैयार करने के लिए अपने सहयोगियों की बैठक 11 अक्टूबर को बुलाई है। ‘अमर उजाला’ को जानकारी देते हुए दल के पदाधिकारी एडवोकेट जसविंदर सिंह ने बताया कि उनका प्रयास होगा कि सभी बादल विरोधी पंथक संगठन, श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार भाई रंजीत सिंह, शिअद (डेमोक्रेटिक) के अध्यक्ष सुखदेव सिंह ढींढसा, शिअद (टकसाली) के जत्थेदार रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा, शिअद (अमृतसर) के सिमरनजीत सिंह मान, सिख प्रचारक रंजीत सिंह ढढरियांवाले, दल खालसा व अन्य संगठन मिलकर एसजीपीसी का चुनाव लड़ें। शिअद (डेमोक्रेटिक) के मुखिया सुखदेव सिंह ढींढसा का संगरूर में दो दिन पहले खोला गया दफ्तर पंथक बैठकों का नया केंद्र बन सकता है।
एसजीपीसी चुनाव के लिए कोई भी स्थायी मतदाता सूची नहीं होती। मतदाता बनने के लिए गुरुद्वारा चुनाव आयोग एक फार्म देता है। मतदाता इस फार्म में खुद व परिवार का विवरण भरकर आयोग द्वारा निर्धारित सरकारी अधिकारी के पास जमा कराता है। इसी आधार पर वोटर सूची तैयार होती है। इसके बाद इस पर एतराज मांगें जाते हैं। एतराज दूर होने के बाद फाइनल सूची जारी कर दी जाती है। जिसके आधार पर चुनाव करवाए जाते हैं।
अकाल पुरख की फौज के मुखिया एडवोकेट जसविंदर सिंह के अनुसार उनका संगठन आयोग से मिलकर आग्रह करेगा कि मतदाता सूची में वोटर की फोटो भी प्रकाशित की जाए। एसजीपीसी चुनाव में कोई भी ‘पतित सिख’ मतदान न कर सके, इसके लिए इसके लिए मतदाता सूची में फोटो अनिवार्य की जाए। इस चुनाव में ‘साबत सूरत सिख’ को ही वोट डालने का अधिकार है। मतदाता सूची में फोटो न होने के कारण पतित भी वोट डाल जाते हैं। इस बार इसे रोकना होगा।
सार
- एसजीपीसी का आगामी चुनाव गुरुद्वारा सुधार लहर का आधार बने
- सभी बादल विरोधियों को एक मंच पर लाने के प्रयास भी तेज हुए
विस्तार
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव के लिए गुरुद्वारा चुनाव आयोग के मुख्य कमिश्नर एसएस सरों की नियुक्ति के साथ ही पंथक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। सिखों की इस सर्वोच्च धार्मिक संस्था में 1996 से कब्जा कर इसका संचालन करने वाले बादल परिवार से इस संस्था को कैसे मुक्त करवाया जाए, इस पर पंथक बुद्धिजीवियों ने मंथन शुरू कर दिया है। कई गुटों में बंटे पंथक संगठन एक प्लेटफॉर्म पर इकट्ठे होकर बादल परिवार का मुकाबला करने के लिए तैयारियों में जुट गए हैं।
पंथक हलकों से मिली जानकारी के अनुसार पंथक बुद्धिजीवियों ने सभी बादल विरोधी संगठनों के बीच एकजुटता पैदा करने के लिए एसजीपीसी चुनाव में एक ‘पंथक एजेंडा’ या पंथक मैनिफेस्टो तैयार करने के सुझाव दिए हैं। श्री अकाल तख्त साहिब पर बादल गुट के एकाधिकार को हटाने के लिए बुद्धिजीवी सभी को एकमंच पर आने का सुझाव दे रहे हैं। एसजीपीसी चुनाव से पहले सिख बुद्धिजीवी एक ऐसी लहर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे संगत में ऐसी अवधारणा बने कि यह गुरुद्वारा सुधार की दूसरी लहर है।
लगभग एक शताब्दी पूर्व जब तत्कालीन सिखों ने गुरुद्वारा प्रबंधन के सुधार के लिए कुर्बानियां दी थीं, तब जाकर एसजीपीसी अस्तित्व में आई थी। गुरुद्वारा सुधार की इस दूसरी लहर में बादल परिवार को गुरुद्वारा प्रबंधन से मुक्त करने के लिए आगामी एसजीपीसी चुनाव में सभी संगठन एकजुट होकर चुनाव लड़ें, इस पर काम शुरू हो गया है।
पंथक तालमेल दल ने 11 अक्टूबर को बुलाई बैठक
पंथक तालमेल दल ने एसजीपीसी के आगामी चुनाव के लिए एक रणनीति तैयार करने के लिए अपने सहयोगियों की बैठक 11 अक्टूबर को बुलाई है। ‘अमर उजाला’ को जानकारी देते हुए दल के पदाधिकारी एडवोकेट जसविंदर सिंह ने बताया कि उनका प्रयास होगा कि सभी बादल विरोधी पंथक संगठन, श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार भाई रंजीत सिंह, शिअद (डेमोक्रेटिक) के अध्यक्ष सुखदेव सिंह ढींढसा, शिअद (टकसाली) के जत्थेदार रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा, शिअद (अमृतसर) के सिमरनजीत सिंह मान, सिख प्रचारक रंजीत सिंह ढढरियांवाले, दल खालसा व अन्य संगठन मिलकर एसजीपीसी का चुनाव लड़ें। शिअद (डेमोक्रेटिक) के मुखिया सुखदेव सिंह ढींढसा का संगरूर में दो दिन पहले खोला गया दफ्तर पंथक बैठकों का नया केंद्र बन सकता है।
मतदाता सूची में फोटो प्रकाशित करने की करेंगे मांग
एसजीपीसी चुनाव के लिए कोई भी स्थायी मतदाता सूची नहीं होती। मतदाता बनने के लिए गुरुद्वारा चुनाव आयोग एक फार्म देता है। मतदाता इस फार्म में खुद व परिवार का विवरण भरकर आयोग द्वारा निर्धारित सरकारी अधिकारी के पास जमा कराता है। इसी आधार पर वोटर सूची तैयार होती है। इसके बाद इस पर एतराज मांगें जाते हैं। एतराज दूर होने के बाद फाइनल सूची जारी कर दी जाती है। जिसके आधार पर चुनाव करवाए जाते हैं।
अकाल पुरख की फौज के मुखिया एडवोकेट जसविंदर सिंह के अनुसार उनका संगठन आयोग से मिलकर आग्रह करेगा कि मतदाता सूची में वोटर की फोटो भी प्रकाशित की जाए। एसजीपीसी चुनाव में कोई भी ‘पतित सिख’ मतदान न कर सके, इसके लिए इसके लिए मतदाता सूची में फोटो अनिवार्य की जाए। इस चुनाव में ‘साबत सूरत सिख’ को ही वोट डालने का अधिकार है। मतदाता सूची में फोटो न होने के कारण पतित भी वोट डाल जाते हैं। इस बार इसे रोकना होगा।