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उस मां को क्या पता था कि राखी से एक दिन पहले ही 'आनंद' चला जाएगा, वो तो घर पर त्योहार मनाने की तैयारी कर रही थी। हां, उसका बेटा जाते-जाते तीन लोगों को नई जिंदगी दे गया। मामला चंडीगढ़ का है। तीन वर्षीय मासूम आनंद कुमार दुनिया से जाते-जाते तीन लोगों को नई जिंदगी दे गया।
पीजीआई में भर्ती कुराली के रहने वाले आनंद को 24 अगस्त को डाक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया तो उसके माता व पिता ने आनंद के अंगदान का निर्णय लिया। इसके बाद आनंद के लीवर और किडनी को ट्रांसप्लांट कर बीते शुक्रवार को तीन गंभीर मरीजों की जान बचाई गई।
जानकारी के मुताबिक, लिवर को दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड विलियरी साइंसेज भेजा गया जबकि दोनों किडनी को पीजीआई में ही दो लोगों को ट्रांसप्लांट किया गया। कुराली के असरों गांव निवासी रोहित कुमार का तीन वर्षीय बेटा आनंद कुमार बीते 20 अगस्त को घर में खेलते समय सीढ़ियों से नीचे गिर गया।
इससे उसके शरीर पर गहरी चोटें आ गईं। गंभीर रूप से घायल आनंद को आनन-फानन में पहले कुराली के ही अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद हालत में सुधार नहीं होने पर उसे चंडीगढ़ सेक्टर-16 के हास्पिटल में भर्ती कराया गया। यहां पर भी स्थिति में सुधार नहीं होने पर 20 अगस्त को उसे पीजीआई में भर्ती कराया गया।
जीवन और मौत के बीच झूल रहे मासूम की सांसे शुक्रवार दोपहर उस समय थम गईं, जब डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इसके बाद पीजीआई के काउंसर ने आनंद के माता-पिता की काउंसलिंग की, जिसके बाद पिता ने अंगदान की हामी भर दी।
प्रत्यारोपण की औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद तत्काल आनंद के लिवर और किडनी को सुरक्षित किया गया और क्रास मिलान की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। पीजीआई में लिवर के लिए कोई मरीज न मिलने पर तुरंत नॉटो (नेशनल ऑर्गन एंड टिशू प्रत्यारोपण संगठन) से संपर्क किया गया।
इसके बाद दिल्ली के आईएलबीएस में गंभीर बीमारी से जूझ रही 3 साल लड़की का पता चला। इसके बाद लिवर को दिल्ली के आईएलबीएस अस्पताल भेजकर गंभीर रूप से बीमार लड़की को लिवर ट्रांसप्लांट किया गया। जबकि दोनों किडनी से पीजीआई में भर्ती एक 4 वर्षीय और एक 24 वर्षीय रोगी की जान बचा ली गई।
विमान से दिल्ली भेजा गया लीवर
पीजीआई के नोडल अधिकारी डॉ. विपिन कौशल ने बताया कि लिवर निकाले जाने के पांच घंटे के अंदर इसे प्रत्यारोपित करना जरूरी होता है। यही वजह है कि बिना एक पल गंवाए उसे एयरपार्ट तक पहुंचाने में हम लोगों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इसमें पुलिस और एयरपोर्ट के कर्मचारियों ने पूरा सहयोग किया। विमान से लीवर दिल्ली भेजा गया।
ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 16 मिनट में एयरपोर्ट पहुंचा लिवर
ग्रीन कॉरिडोर बनाकर लिवर को चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक पहुंचाया गया। शुक्रवार को चंडीगढ़ से जेट एयरवेज की उड़ान 4.45 बजे थी। इसके चलते पीजीआई से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर केवल 16 मिनट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक लिवर को पहुंचा दिया गया। इसके बाद लीवर को दिल्ली भेजा गया।
उस मां को क्या पता था कि राखी से एक दिन पहले ही 'आनंद' चला जाएगा, वो तो घर पर त्योहार मनाने की तैयारी कर रही थी। हां, उसका बेटा जाते-जाते तीन लोगों को नई जिंदगी दे गया। मामला चंडीगढ़ का है। तीन वर्षीय मासूम आनंद कुमार दुनिया से जाते-जाते तीन लोगों को नई जिंदगी दे गया।
पीजीआई में भर्ती कुराली के रहने वाले आनंद को 24 अगस्त को डाक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया तो उसके माता व पिता ने आनंद के अंगदान का निर्णय लिया। इसके बाद आनंद के लीवर और किडनी को ट्रांसप्लांट कर बीते शुक्रवार को तीन गंभीर मरीजों की जान बचाई गई।
जानकारी के मुताबिक, लिवर को दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड विलियरी साइंसेज भेजा गया जबकि दोनों किडनी को पीजीआई में ही दो लोगों को ट्रांसप्लांट किया गया। कुराली के असरों गांव निवासी रोहित कुमार का तीन वर्षीय बेटा आनंद कुमार बीते 20 अगस्त को घर में खेलते समय सीढ़ियों से नीचे गिर गया।
इससे उसके शरीर पर गहरी चोटें आ गईं। गंभीर रूप से घायल आनंद को आनन-फानन में पहले कुराली के ही अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद हालत में सुधार नहीं होने पर उसे चंडीगढ़ सेक्टर-16 के हास्पिटल में भर्ती कराया गया। यहां पर भी स्थिति में सुधार नहीं होने पर 20 अगस्त को उसे पीजीआई में भर्ती कराया गया।
जीवन और मौत के बीच झूल रहे मासूम की सांसे शुक्रवार दोपहर उस समय थम गईं, जब डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इसके बाद पीजीआई के काउंसर ने आनंद के माता-पिता की काउंसलिंग की, जिसके बाद पिता ने अंगदान की हामी भर दी।
गंभीर बीमारी से जूझ रही बच्ची को मिला लीवर
liver transplant
- फोटो : अमर उजाला
प्रत्यारोपण की औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद तत्काल आनंद के लिवर और किडनी को सुरक्षित किया गया और क्रास मिलान की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। पीजीआई में लिवर के लिए कोई मरीज न मिलने पर तुरंत नॉटो (नेशनल ऑर्गन एंड टिशू प्रत्यारोपण संगठन) से संपर्क किया गया।
इसके बाद दिल्ली के आईएलबीएस में गंभीर बीमारी से जूझ रही 3 साल लड़की का पता चला। इसके बाद लिवर को दिल्ली के आईएलबीएस अस्पताल भेजकर गंभीर रूप से बीमार लड़की को लिवर ट्रांसप्लांट किया गया। जबकि दोनों किडनी से पीजीआई में भर्ती एक 4 वर्षीय और एक 24 वर्षीय रोगी की जान बचा ली गई।
विमान से दिल्ली भेजा गया लीवर
पीजीआई के नोडल अधिकारी डॉ. विपिन कौशल ने बताया कि लिवर निकाले जाने के पांच घंटे के अंदर इसे प्रत्यारोपित करना जरूरी होता है। यही वजह है कि बिना एक पल गंवाए उसे एयरपार्ट तक पहुंचाने में हम लोगों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इसमें पुलिस और एयरपोर्ट के कर्मचारियों ने पूरा सहयोग किया। विमान से लीवर दिल्ली भेजा गया।
ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 16 मिनट में एयरपोर्ट पहुंचा लिवर
ग्रीन कॉरिडोर बनाकर लिवर को चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक पहुंचाया गया। शुक्रवार को चंडीगढ़ से जेट एयरवेज की उड़ान 4.45 बजे थी। इसके चलते पीजीआई से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर केवल 16 मिनट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक लिवर को पहुंचा दिया गया। इसके बाद लीवर को दिल्ली भेजा गया।