न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रुड़की
Updated Tue, 07 Apr 2020 01:50 AM IST
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कोरोना के प्रति अलर्ट करने के लिए आईआईटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर कमल जैन ने कोविड ट्रेसर मोबाइल एप बनाया है। इसके माध्यम से यह पता लगाया जा सकेगा कि कोरोना का संदिग्ध या संक्रमित मरीज आपसे कितनी दूर है।
एप यह भी बताएगा कि क्वारंटीन व्यक्ति ने लक्ष्मण रेखा तो नहीं लांघ दी। प्रो. कमल जैन ने बताया कि विदेशों में व्यक्ति के शरीर में जीपीएस टैग यानी कॉलर लगा दिया जाता है। इसके विकल्प के रूप में मोबाइल के जरिए क्वारंटीन या आइसोलेट किए गए व्यक्तियों से अलर्ट करने के लिए एप तैयार किया गया है।
संदिग्ध का डाटा फीड करने के बाद जीपीएस तकनीक के जरिए तैयार इस एप में संदिग्ध की लोकेशन मिलती रहेगी। यह भी पता चलेगा कि संदिग्ध किसी से मिल तो नहीं रहा है। एक समयांतराल में एसएमएस के जरिए अलर्ट मिलने के साथ ही लोकेशन का मैसेज भी मिलता रहेगा।
जीपीएस एक्टीवेट नहीं होने पर यह एप मोबाइल टॉवर की सहायता से ट्रेस करेगा। इंटरनेट नहीं काम करने पर उस जगह का पता एसएमएस से मिलेगा। एप बंद होने पर तत्काल अलर्ट जारी होगा। डिवाइस पर एसएमएस भेजकर व्यक्ति की जगह का पता प्राप्त किया जा सकता है।
इसके अलावा क्वारंटीन प्रबंधन के लिए यह एप अलर्ट देकर किसी भी जगह पर भीड़भाड़ को दूर करने में मदद करेगा। लाइव ट्रैकिंग के दौरान किसी भी व्यक्ति की पूरी मूवमेंट हिस्ट्री प्राप्त की जा सकती है। एप में मल्टी-कैमरा सपोर्ट, सर्विलांस मैग्नेटिक डिवाइस, हाल्ट टाइम और प्रीसेट ऑटो कैमरा क्लिक फीचर्स शामिल हैं।
संस्थान निदेशक प्रो. एके चतुर्वेदी ने कहा कि यह सिस्टम कोविड-19 संदिग्धों की ट्रैकिंग और निगरानी में मदद करेगा।
कोरोना के प्रति अलर्ट करने के लिए आईआईटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर कमल जैन ने कोविड ट्रेसर मोबाइल एप बनाया है। इसके माध्यम से यह पता लगाया जा सकेगा कि कोरोना का संदिग्ध या संक्रमित मरीज आपसे कितनी दूर है।
एप यह भी बताएगा कि क्वारंटीन व्यक्ति ने लक्ष्मण रेखा तो नहीं लांघ दी। प्रो. कमल जैन ने बताया कि विदेशों में व्यक्ति के शरीर में जीपीएस टैग यानी कॉलर लगा दिया जाता है। इसके विकल्प के रूप में मोबाइल के जरिए क्वारंटीन या आइसोलेट किए गए व्यक्तियों से अलर्ट करने के लिए एप तैयार किया गया है।
संदिग्ध का डाटा फीड करने के बाद जीपीएस तकनीक के जरिए तैयार इस एप में संदिग्ध की लोकेशन मिलती रहेगी। यह भी पता चलेगा कि संदिग्ध किसी से मिल तो नहीं रहा है। एक समयांतराल में एसएमएस के जरिए अलर्ट मिलने के साथ ही लोकेशन का मैसेज भी मिलता रहेगा।
जीपीएस एक्टीवेट नहीं होने पर यह एप मोबाइल टॉवर की सहायता से ट्रेस करेगा। इंटरनेट नहीं काम करने पर उस जगह का पता एसएमएस से मिलेगा। एप बंद होने पर तत्काल अलर्ट जारी होगा। डिवाइस पर एसएमएस भेजकर व्यक्ति की जगह का पता प्राप्त किया जा सकता है।
इसके अलावा क्वारंटीन प्रबंधन के लिए यह एप अलर्ट देकर किसी भी जगह पर भीड़भाड़ को दूर करने में मदद करेगा। लाइव ट्रैकिंग के दौरान किसी भी व्यक्ति की पूरी मूवमेंट हिस्ट्री प्राप्त की जा सकती है। एप में मल्टी-कैमरा सपोर्ट, सर्विलांस मैग्नेटिक डिवाइस, हाल्ट टाइम और प्रीसेट ऑटो कैमरा क्लिक फीचर्स शामिल हैं।
संस्थान निदेशक प्रो. एके चतुर्वेदी ने कहा कि यह सिस्टम कोविड-19 संदिग्धों की ट्रैकिंग और निगरानी में मदद करेगा।