न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, देहरादून
Updated Thu, 16 Jul 2020 10:25 AM IST
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हरिद्वार में गंगा स्कैप चैनल के मामले में प्रदेश सरकार अब पूर्व की हरीश रावत की सरकार का फैसला पलटने की तैयारी में है। पूर्व सीएम हरीश रावत मंगलवार को हरिद्वार में संतों के बीच में पहुंचे थे।
हरीश रावत ने बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए गंगा नहर को नाले में बदला: भगत
उन्होंने अखाड़ा परिषद के संतों से मुलाकात करके कहा था कि 2016 में उनकी सरकार ने गंगा की धारा के किनारे करीब 400 निर्माण बचाने के लिए ही धारा को स्कैप चैनल घोषित किया था। इसका मतलब है कि यह धारा एक नहर है जो गंगा में अतिरिक्त पानी की निकासी के काम आती है।
क्योंकि एनजीटी का आदेश था कि गंगा की धारा के 200 मीटर दायरे से निर्माण हटाया जाए। हरीश रावत ने इसे भावनात्मक भूल बताया था और कहा था कि वर्तमान सरकार इस फैसले को पलटे।
मुसीबत ये है कि इस फैसले को पलटने का मतलब है कि सरकार धारा के किनारे के निर्माण को हटाने के लिए तैयार है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने संतों की बात को तवज्जो दी है और हरीश रावत सरकार के समय हुए शासनादेश के रद्द करने की तैयारी में है। जल्द ही इसे लेकर सरकार फैसला कर सकती है।
एक और रास्ता भी है, गंगा सभा व संतों से बात
प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक इस विवाद से बचने का एक तरीका और भी है। सरकार हर की पैड़ी पर धारा को गंगा घोषित करे। इससे संतों की बात भी रह जाएगी और कई निर्माण भी टूटने से बच जाएंगे। निर्माण की जद में कई आश्रम, धर्मशालाएं, होटल भी आदि आ रहे हैं।
सरकार को उलझाया
हरीश रावत ने अपनी एक पोस्ट में कुछ दिन पहले लिखा था कि कोरोना काल मेें राजनीति न की जाए। उन्होंने कहा था कि वे राजनीति पर उतर आए तो फिर देख लेना कि अंजाम क्या होगा। रावत ने इस चेतावनी को गंगा धारा के विवाद में साबित किया। रावत संतों के बीच पहुंचे, माफी मांगी और कुशलता से गेंद सरकार के पाले में डाल दी। अब सरकार को एक अन्य वर्ग को नाराज करने का खतरा उठाना होगा।
हरिद्वार में गंगा स्कैप चैनल के मामले में प्रदेश सरकार अब पूर्व की हरीश रावत की सरकार का फैसला पलटने की तैयारी में है। पूर्व सीएम हरीश रावत मंगलवार को हरिद्वार में संतों के बीच में पहुंचे थे।
हरीश रावत ने बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए गंगा नहर को नाले में बदला: भगत
उन्होंने अखाड़ा परिषद के संतों से मुलाकात करके कहा था कि 2016 में उनकी सरकार ने गंगा की धारा के किनारे करीब 400 निर्माण बचाने के लिए ही धारा को स्कैप चैनल घोषित किया था। इसका मतलब है कि यह धारा एक नहर है जो गंगा में अतिरिक्त पानी की निकासी के काम आती है।
क्योंकि एनजीटी का आदेश था कि गंगा की धारा के 200 मीटर दायरे से निर्माण हटाया जाए। हरीश रावत ने इसे भावनात्मक भूल बताया था और कहा था कि वर्तमान सरकार इस फैसले को पलटे।
सरकार धारा के किनारे के निर्माण को हटाने के लिए तैयार
मुसीबत ये है कि इस फैसले को पलटने का मतलब है कि सरकार धारा के किनारे के निर्माण को हटाने के लिए तैयार है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने संतों की बात को तवज्जो दी है और हरीश रावत सरकार के समय हुए शासनादेश के रद्द करने की तैयारी में है। जल्द ही इसे लेकर सरकार फैसला कर सकती है।
एक और रास्ता भी है, गंगा सभा व संतों से बात
प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक इस विवाद से बचने का एक तरीका और भी है। सरकार हर की पैड़ी पर धारा को गंगा घोषित करे। इससे संतों की बात भी रह जाएगी और कई निर्माण भी टूटने से बच जाएंगे। निर्माण की जद में कई आश्रम, धर्मशालाएं, होटल भी आदि आ रहे हैं।
सरकार को उलझाया
हरीश रावत ने अपनी एक पोस्ट में कुछ दिन पहले लिखा था कि कोरोना काल मेें राजनीति न की जाए। उन्होंने कहा था कि वे राजनीति पर उतर आए तो फिर देख लेना कि अंजाम क्या होगा। रावत ने इस चेतावनी को गंगा धारा के विवाद में साबित किया। रावत संतों के बीच पहुंचे, माफी मांगी और कुशलता से गेंद सरकार के पाले में डाल दी। अब सरकार को एक अन्य वर्ग को नाराज करने का खतरा उठाना होगा।