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दिल्ली जा रहे हरियाणा और पंजाब के किसानों पर लाठीचार्ज से शुक्रवार को हरिद्वार जिले के किसानों में उबाल आ गया। इसके विरोध में उन्होंने कहीं प्रदर्शन किए तो हाईवे जाम कर दिया। किसानों ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए आंदोलन को और तेज करने की घोषणा की।
दिल्ली-देहरादून हाईवे दो घंटे जाम रहने पर पुलिस को रूट डायवर्ट करना पड़ा। इस दौरान किसानों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी अधिकारियों को सौंपे। दूसरी ओर, किसानों के समर्थन और कृषि कानूनों के विरोध में कुछ संगठनों ने दिल्ली कूच करने का एलान किया है।
दिल्ली-देहरादून हाईवे पर लगाया जाम
दिल्ली में किसान आंदोलन के समर्थन में भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के पदाधिकारियों ने किसानों के साथ मिलकर मंगलौर गुड़ मंडी पर दिल्ली-देहरादून हाईवे करीब दो घंटे जाम रखा। उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग उठाई। मौके पर पहुंचीं ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को किसानों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन सौंपकर समस्याओं को हल कराने की मांग की। इस दौरान किसानों ने जल्द दिल्ली कूच करने का भी एलान किया।
तय कार्यक्रम के तहत शुक्रवार दोपहर करीब सवा 12 बजे सैकड़ों किसानों ने गुड़ मंडी मंगलौर पहुंचकर दिल्ली-देहरादून हाईवे जाम कर दिया। किसानों का कहना था कि केंद्र सरकार ने हरियाणा एवं पंजाब के किसानों को दिल्ली जाने से रोककर अपनी ओछी मानसिकता का परिचय दिया है। हरिद्वार जनपद के किसान आंदोलन का पूरी तरह से समर्थन करते हैं। सूचना मिलते ही प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मौके की ओर दौड़ पड़े। करीब दो बजे मौके पर पहुंचीं ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामी बंसल को किसानों ने ज्ञापन सौंपा। इसमें किसानों ने कहा कि कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर फसल खरीदनों वालों के खिलाफ कानून बनाए जाने और फसलों का दाम भी सांसद और विधायकों की तर्ज पर दोगुने किए जाने समेत अन्य मांगें उठाईं।
किसानों ने दिल्ली कूच के दौरान मृतक किसान को शहीद का दर्जा देने और परिजनों को एक करोड़ मुआवजा देने की भी मांग की। करीब सवा दो बजे किसानों ने हाईवे खोल दिया। इस दौरान जाम होने के कारण राहगीरों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पुलिस ने वाहनों को नारसन से लखनौता चौराहे और पुरकाजी से वाया लक्सर की ओर डायवर्ट कर दिया था। यूनियन के गढ़वाल मंडल अध्यक्ष संजय चौधरी ने बताया कि राष्ट्रीय नेतृत्व के आह्वान पर किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं। मौके पर जिलाध्यक्ष विजय शास्त्री, ओमप्रकाश, सुक्रमपाल, चमनलाल, इकबाल, अरशद, बिल्लू, राममूर्ति, अश्वनी, बालेंद्र, अभिषेक, सन्नी सैनी, दीपक मौजूद रहे।
उत्तराखंड किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसानों ने रुड़की में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। इस दौरान किसानों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार अपने रवैये में बदलाव नहीं करती है तो आंदोलन करेंगे।
शुक्रवार को किसानों ने शताब्दी द्वार पर केंद्र सरकार का पुतला फूंका। इस दौरान जिलाध्यक्ष महकार सिंह ने कहा कि सरकार किसानों की आवाज दबाने का काम कर रही है। दिल्ली पर किसानों का भी उतना ही अधिकार है, जितना उद्योगपतियों का। दिल्ली जा रहे किसानों पर लाठी चार्ज करना और उन्हें रोकना सरासर गलत है।
उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को वापस लेकर एमएसपी को लेकर कानून बनाया जाए ताकि व्यापारी एमएसपी से कम दाम पर फसलों की खरीद न कर सकें। उन्होंने कहा कि दिल्ली जा रहे किसानों से सरकार को वार्ता कर उनकी मांगों को पूरा करना चाहिए। इस दौरान सुरेंद्र लंबरदार, नरेश लोहान, सुक्रमपाल, आकिल हसन, वीरेंद्र सैनी, राजकुमार, मोनू प्रधान, गालिब, सुधीर, दुष्यंत, भारत, शेर सिंह, पप्पू भाटिया, विनोद कुमार, अनुज सैनी व सोमपाल मौजूद रहे।
भाकियू (तोमर) ने दी धरने की चेतावनी
दिल्ली जा रहे किसानों पर लाठीचार्ज की घटना का भाकियू (तोमर) ने विरोध किया है। पदाधिकारियों ने बैठक कर चेतावनी दी है कि हरियाणा और पंजाब के किसानों के समर्थन में जल्द एसडीएम कार्यालय पर धरना शुरू किया जाएगा।
शुक्रवार को मोहम्मदपुर गांव में आयोजित बैठक में यूनियन के जिलाध्यक्ष विकेश चौधरी ने कहा कि दिल्ली जा किसानों पर लाठीचार्ज कर सरकार ने किसान विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है। सरकार किसानों को बर्बाद कर उद्योगपतियों को बढ़ावा देना चाहती है। इसी मंशा के चलते कृषि कानूनों को लागू किया गया है।
उन्होंने कहा कि जल्द ही हरियाणा व पंजाब के किसानों के समर्थन में एसडीएम कार्यालय पर धरना दिया जाएगा। इसके बाद भी सरकार नहीं मानी तो आरपार की लड़ाई लड़ी जाएगी। इस दौरान संजय, मोनू, केपी सिंह, प्रदीप, निर्दोष, पवन, नीटू, राजकुमार, चतर सिंह मौजूद रहे।
राष्ट्रीय किसान-मजदूर संगठन के पदाधिकारियों ने शुक्रवार से तहसीलों पर प्रस्तावित धरना-प्रदर्शन को स्थगित कर किसानों को साथ लेकर दिल्ली कूच का एलान किया है। उनका कहना है कि सैकड़ों किसानों के साथ आज दिल्ली कूच किया जाएगा। हरियाणा और पंजाब से दिल्ली कूच कर रहे किसानों का नेतृत्व राष्ट्रीय किसान-मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह कर रहे है।
बृहस्पतिवार को हरिद्वार जनपद से भी किसानों को दिल्ली कूच करना था, लेकिन बुधवार रात ही संगठन के प्रदेश अध्यक्ष पद्म सिंह भाटी आदि को नजरबंद कर लिया गया था। बृहस्पतिवार सुबह उन्हें छोड़ा गया। प्रदेश अध्यक्ष पद्म सिंह भाटी ने बताया कि शुक्रवार से हरिद्वार जनपद की तहसीलों पर धरना प्रस्तावित था, लेकिन किसानों की समस्याओं को देखते हुए धरना शुरू नहीं किया गया है। राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से आज दिल्ली पहुंचने के लिए कहा गया है। इसकी तैयारी की जा रही है।
ऊधमसिंह नगर से दिल्ली कूच कर रहे किसानों को शुक्रवार को भी प्रशासन और पुलिस ने बिलासपुर में रोके रखा। किसानों ने कड़ाके की ठंड में हाईवे किनारे रात काटी। दोपहर के समय हाईवे किनारे किसानों के लिए लंगर लगाया गया। किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए रुद्रपुर से पूर्व कैबिनेट मंत्री तिलकराज बेहड़ भी कार्यकर्ताओं के साथ बिलासपुर पहुंचे।
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में आहूत देशव्यापी किसान आंदोलन में शामिल होने जा रहे रुद्रपुर, काशीपुर, नानकमत्ता, सितारगंज, किच्छा, गदरपुर और दिनेशपुर के हजारों किसानों को दूसरे दिन भी अनुमति नहीं मिली लेकिन अपनी मांग पर अड़े किसान हाईवे पर ही डटे रहे। कड़ाके की ठंड के बावजूद बृहस्पतिवार रात भर किसान हाईवे किनारे सोए। शुक्रवार सुबह किसानों ने प्रशासन से दोबारा दिल्ली जाने की अनुमति मांगी लेकिन अनुमति नहीं मिली। किसानों ने हाईवे किनारे सभा कर सरकार पर उनके उत्पीड़न का आरोप लगाया। रुद्रपुर से पूर्व कैबिनेट मंत्री बेहड़ समेत व कांग्रेस कार्यकर्ता किसानों को अपना समर्थन देने पहुंचे।
दूसरे दिन भी प्रशासन की तरफ दिल्ली जाने की अनुमति नहीं मिलने पर किसान शुक्रवार रात भी हाईवे किनारे सोए। तराई किसान संगठन के अध्यक्ष तजिंदर विर्क ने कहा कि कुछ राज्यों के किसान दिल्ली पहुंच चुके हैं लेकिन उत्तराखंड के किसानों को अभी तक दिल्ली जाने की अनुमति नहीं मिली है। विर्क ने चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाएगी धरना जारी रहेगा।
दिल्ली जा रहे हरियाणा और पंजाब के किसानों पर लाठीचार्ज से शुक्रवार को हरिद्वार जिले के किसानों में उबाल आ गया। इसके विरोध में उन्होंने कहीं प्रदर्शन किए तो हाईवे जाम कर दिया। किसानों ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए आंदोलन को और तेज करने की घोषणा की।
दिल्ली-देहरादून हाईवे दो घंटे जाम रहने पर पुलिस को रूट डायवर्ट करना पड़ा। इस दौरान किसानों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी अधिकारियों को सौंपे। दूसरी ओर, किसानों के समर्थन और कृषि कानूनों के विरोध में कुछ संगठनों ने दिल्ली कूच करने का एलान किया है।
दिल्ली-देहरादून हाईवे पर लगाया जाम
दिल्ली में किसान आंदोलन के समर्थन में भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के पदाधिकारियों ने किसानों के साथ मिलकर मंगलौर गुड़ मंडी पर दिल्ली-देहरादून हाईवे करीब दो घंटे जाम रखा। उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग उठाई। मौके पर पहुंचीं ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को किसानों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन सौंपकर समस्याओं को हल कराने की मांग की। इस दौरान किसानों ने जल्द दिल्ली कूच करने का भी एलान किया।
तय कार्यक्रम के तहत शुक्रवार दोपहर करीब सवा 12 बजे सैकड़ों किसानों ने गुड़ मंडी मंगलौर पहुंचकर दिल्ली-देहरादून हाईवे जाम कर दिया। किसानों का कहना था कि केंद्र सरकार ने हरियाणा एवं पंजाब के किसानों को दिल्ली जाने से रोककर अपनी ओछी मानसिकता का परिचय दिया है। हरिद्वार जनपद के किसान आंदोलन का पूरी तरह से समर्थन करते हैं। सूचना मिलते ही प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मौके की ओर दौड़ पड़े। करीब दो बजे मौके पर पहुंचीं ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामी बंसल को किसानों ने ज्ञापन सौंपा। इसमें किसानों ने कहा कि कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर फसल खरीदनों वालों के खिलाफ कानून बनाए जाने और फसलों का दाम भी सांसद और विधायकों की तर्ज पर दोगुने किए जाने समेत अन्य मांगें उठाईं।
किसानों ने दिल्ली कूच के दौरान मृतक किसान को शहीद का दर्जा देने और परिजनों को एक करोड़ मुआवजा देने की भी मांग की। करीब सवा दो बजे किसानों ने हाईवे खोल दिया। इस दौरान जाम होने के कारण राहगीरों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पुलिस ने वाहनों को नारसन से लखनौता चौराहे और पुरकाजी से वाया लक्सर की ओर डायवर्ट कर दिया था। यूनियन के गढ़वाल मंडल अध्यक्ष संजय चौधरी ने बताया कि राष्ट्रीय नेतृत्व के आह्वान पर किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं। मौके पर जिलाध्यक्ष विजय शास्त्री, ओमप्रकाश, सुक्रमपाल, चमनलाल, इकबाल, अरशद, बिल्लू, राममूर्ति, अश्वनी, बालेंद्र, अभिषेक, सन्नी सैनी, दीपक मौजूद रहे।
कृषि कानून वापस लेने की मांग
उत्तराखंड किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसानों ने रुड़की में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। इस दौरान किसानों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार अपने रवैये में बदलाव नहीं करती है तो आंदोलन करेंगे।
शुक्रवार को किसानों ने शताब्दी द्वार पर केंद्र सरकार का पुतला फूंका। इस दौरान जिलाध्यक्ष महकार सिंह ने कहा कि सरकार किसानों की आवाज दबाने का काम कर रही है। दिल्ली पर किसानों का भी उतना ही अधिकार है, जितना उद्योगपतियों का। दिल्ली जा रहे किसानों पर लाठी चार्ज करना और उन्हें रोकना सरासर गलत है।
उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को वापस लेकर एमएसपी को लेकर कानून बनाया जाए ताकि व्यापारी एमएसपी से कम दाम पर फसलों की खरीद न कर सकें। उन्होंने कहा कि दिल्ली जा रहे किसानों से सरकार को वार्ता कर उनकी मांगों को पूरा करना चाहिए। इस दौरान सुरेंद्र लंबरदार, नरेश लोहान, सुक्रमपाल, आकिल हसन, वीरेंद्र सैनी, राजकुमार, मोनू प्रधान, गालिब, सुधीर, दुष्यंत, भारत, शेर सिंह, पप्पू भाटिया, विनोद कुमार, अनुज सैनी व सोमपाल मौजूद रहे।
भाकियू (तोमर) ने दी धरने की चेतावनी
दिल्ली जा रहे किसानों पर लाठीचार्ज की घटना का भाकियू (तोमर) ने विरोध किया है। पदाधिकारियों ने बैठक कर चेतावनी दी है कि हरियाणा और पंजाब के किसानों के समर्थन में जल्द एसडीएम कार्यालय पर धरना शुरू किया जाएगा।
शुक्रवार को मोहम्मदपुर गांव में आयोजित बैठक में यूनियन के जिलाध्यक्ष विकेश चौधरी ने कहा कि दिल्ली जा किसानों पर लाठीचार्ज कर सरकार ने किसान विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है। सरकार किसानों को बर्बाद कर उद्योगपतियों को बढ़ावा देना चाहती है। इसी मंशा के चलते कृषि कानूनों को लागू किया गया है।
उन्होंने कहा कि जल्द ही हरियाणा व पंजाब के किसानों के समर्थन में एसडीएम कार्यालय पर धरना दिया जाएगा। इसके बाद भी सरकार नहीं मानी तो आरपार की लड़ाई लड़ी जाएगी। इस दौरान संजय, मोनू, केपी सिंह, प्रदीप, निर्दोष, पवन, नीटू, राजकुमार, चतर सिंह मौजूद रहे।
धरना स्थगित, आज करेंगे दिल्ली कूच
राष्ट्रीय किसान-मजदूर संगठन के पदाधिकारियों ने शुक्रवार से तहसीलों पर प्रस्तावित धरना-प्रदर्शन को स्थगित कर किसानों को साथ लेकर दिल्ली कूच का एलान किया है। उनका कहना है कि सैकड़ों किसानों के साथ आज दिल्ली कूच किया जाएगा। हरियाणा और पंजाब से दिल्ली कूच कर रहे किसानों का नेतृत्व राष्ट्रीय किसान-मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह कर रहे है।
बृहस्पतिवार को हरिद्वार जनपद से भी किसानों को दिल्ली कूच करना था, लेकिन बुधवार रात ही संगठन के प्रदेश अध्यक्ष पद्म सिंह भाटी आदि को नजरबंद कर लिया गया था। बृहस्पतिवार सुबह उन्हें छोड़ा गया। प्रदेश अध्यक्ष पद्म सिंह भाटी ने बताया कि शुक्रवार से हरिद्वार जनपद की तहसीलों पर धरना प्रस्तावित था, लेकिन किसानों की समस्याओं को देखते हुए धरना शुरू नहीं किया गया है। राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से आज दिल्ली पहुंचने के लिए कहा गया है। इसकी तैयारी की जा रही है।
किसानों ने कड़ाके की ठंड में एनएच-87 किनारे काटी रात
ऊधमसिंह नगर से दिल्ली कूच कर रहे किसानों को शुक्रवार को भी प्रशासन और पुलिस ने बिलासपुर में रोके रखा। किसानों ने कड़ाके की ठंड में हाईवे किनारे रात काटी। दोपहर के समय हाईवे किनारे किसानों के लिए लंगर लगाया गया। किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए रुद्रपुर से पूर्व कैबिनेट मंत्री तिलकराज बेहड़ भी कार्यकर्ताओं के साथ बिलासपुर पहुंचे।
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में आहूत देशव्यापी किसान आंदोलन में शामिल होने जा रहे रुद्रपुर, काशीपुर, नानकमत्ता, सितारगंज, किच्छा, गदरपुर और दिनेशपुर के हजारों किसानों को दूसरे दिन भी अनुमति नहीं मिली लेकिन अपनी मांग पर अड़े किसान हाईवे पर ही डटे रहे। कड़ाके की ठंड के बावजूद बृहस्पतिवार रात भर किसान हाईवे किनारे सोए। शुक्रवार सुबह किसानों ने प्रशासन से दोबारा दिल्ली जाने की अनुमति मांगी लेकिन अनुमति नहीं मिली। किसानों ने हाईवे किनारे सभा कर सरकार पर उनके उत्पीड़न का आरोप लगाया। रुद्रपुर से पूर्व कैबिनेट मंत्री बेहड़ समेत व कांग्रेस कार्यकर्ता किसानों को अपना समर्थन देने पहुंचे।
दूसरे दिन भी प्रशासन की तरफ दिल्ली जाने की अनुमति नहीं मिलने पर किसान शुक्रवार रात भी हाईवे किनारे सोए। तराई किसान संगठन के अध्यक्ष तजिंदर विर्क ने कहा कि कुछ राज्यों के किसान दिल्ली पहुंच चुके हैं लेकिन उत्तराखंड के किसानों को अभी तक दिल्ली जाने की अनुमति नहीं मिली है। विर्क ने चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाएगी धरना जारी रहेगा।