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दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के बाद आम आदमी पार्टी अब अपना विस्तार करना चाहती है। यानी पार्टी एक बार फिर दिल्ली के बाहर चुनावी मैदान में उतरने वाली है। पार्टी नेता गोपाल राय ने कहा कि आम आदमी पार्टी अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए पूरे भारत में सभी स्थानीय निकाय चुनाव लड़ेगी।
बता दें कि आम आदमी पार्टी इससे पहले भी देशभर में चुनाव लड़ चुकी है। पार्टी ने इससे पहले 2014 में पूरे देश में लोकसभा चुनाव लड़ चुकी है। अरविंद केजरीवाल खुद वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने पहुंच गए थे। हालांकि उस दौरान पार्टी की बुरी हार हुई थी।
मालूम हो कि हाल ही में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को 70 में से 62 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं 8 सीटें भाजपा को मली हैं जबकि कांग्रेस सहित अन्य किसी भी पार्टी को कोई सीट हाथ नहीं लगी है। आम आदमी पार्टी की इस धमाकेदार जीत के बाद से ही सवाल उठने लगा था कि क्या पार्टी दिल्ली के बाहर अपना विस्तार करेगी।
आज इस बात से पर्दा उठाते हुए पार्टी नेता गोपाल राय ने कहा कि आम आदमी पार्टी पूरे भारत में सभी स्थानीय निकाय चुनाव लड़ेगी।
वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उनकी कैबिनेट के शपथ ग्रहण समारोह के बाद रविवार को आम आदमी पार्टी (आप) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होगी। इसमें पार्टी के विस्तार व दूसरे राज्यों में स्थानीय और विधानसभा चुनावों में उतरने के बारे में रणनीति बनेगी।
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि दिल्ली में लगातार दूसरी ऐतिहासिक जीत के बाद आम आदमी पार्टी की पूरे देश में चर्चा हो रही है। लोगों में दिल्ली सरकार के कामों को लेकर सकारात्मक नजरिया बना है। दिल्ली ने जिस तरह से विकास मॉडल को पेश करके राष्ट्रवाद को नए सिरे से परिभाषित करने का काम किया है, उससे बड़ी संख्या में हासिए पर पड़े लोगों में आप को लेकर उम्मीद जगी है। इसका असर भी राष्ट्र निर्माण अभियान में दिख रहा है। टोल फ्री नंबर के सहारे बड़ी संख्या में लोग आप से जुड़ रहे हैं।
पार्टी पदाधिकारी ने बताया कि इन्हीं सियासी हालातों में आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही है। इसमें आप अपने मिशन विस्तार कार्यक्रम को नए सिरे से शुरू करेगी। पूरे देश में ज्यादा से ज्यादा लोगों को आप से जोड़ा जाएगा। वहीं, दूसरे राज्यों के संगठन को भी मजबूत किया जाएगा। इसके अलावा निगम चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक में पार्टी के लड़ने की संभावना पर भी विचार होगा। अभी नजर ऐसे राज्यों पर है, जहां कांग्रेस व भाजपा के बीच सीधी लड़ाई है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के बाद आम आदमी पार्टी अब अपना विस्तार करना चाहती है। यानी पार्टी एक बार फिर दिल्ली के बाहर चुनावी मैदान में उतरने वाली है। पार्टी नेता गोपाल राय ने कहा कि आम आदमी पार्टी अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए पूरे भारत में सभी स्थानीय निकाय चुनाव लड़ेगी।
बता दें कि आम आदमी पार्टी इससे पहले भी देशभर में चुनाव लड़ चुकी है। पार्टी ने इससे पहले 2014 में पूरे देश में लोकसभा चुनाव लड़ चुकी है। अरविंद केजरीवाल खुद वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने पहुंच गए थे। हालांकि उस दौरान पार्टी की बुरी हार हुई थी।
मालूम हो कि हाल ही में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को 70 में से 62 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं 8 सीटें भाजपा को मली हैं जबकि कांग्रेस सहित अन्य किसी भी पार्टी को कोई सीट हाथ नहीं लगी है। आम आदमी पार्टी की इस धमाकेदार जीत के बाद से ही सवाल उठने लगा था कि क्या पार्टी दिल्ली के बाहर अपना विस्तार करेगी।
आज इस बात से पर्दा उठाते हुए पार्टी नेता गोपाल राय ने कहा कि आम आदमी पार्टी पूरे भारत में सभी स्थानीय निकाय चुनाव लड़ेगी।
वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उनकी कैबिनेट के शपथ ग्रहण समारोह के बाद रविवार को आम आदमी पार्टी (आप) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होगी। इसमें पार्टी के विस्तार व दूसरे राज्यों में स्थानीय और विधानसभा चुनावों में उतरने के बारे में रणनीति बनेगी।
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि दिल्ली में लगातार दूसरी ऐतिहासिक जीत के बाद आम आदमी पार्टी की पूरे देश में चर्चा हो रही है। लोगों में दिल्ली सरकार के कामों को लेकर सकारात्मक नजरिया बना है। दिल्ली ने जिस तरह से विकास मॉडल को पेश करके राष्ट्रवाद को नए सिरे से परिभाषित करने का काम किया है, उससे बड़ी संख्या में हासिए पर पड़े लोगों में आप को लेकर उम्मीद जगी है। इसका असर भी राष्ट्र निर्माण अभियान में दिख रहा है। टोल फ्री नंबर के सहारे बड़ी संख्या में लोग आप से जुड़ रहे हैं।
पार्टी पदाधिकारी ने बताया कि इन्हीं सियासी हालातों में आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही है। इसमें आप अपने मिशन विस्तार कार्यक्रम को नए सिरे से शुरू करेगी। पूरे देश में ज्यादा से ज्यादा लोगों को आप से जोड़ा जाएगा। वहीं, दूसरे राज्यों के संगठन को भी मजबूत किया जाएगा। इसके अलावा निगम चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक में पार्टी के लड़ने की संभावना पर भी विचार होगा। अभी नजर ऐसे राज्यों पर है, जहां कांग्रेस व भाजपा के बीच सीधी लड़ाई है।