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कोरोना संक्रमण से स्वस्थ होने के बाद भी लोगों को कई प्रकार की समस्या हो रही है। इनमें सबसे अधिक संख्या सांस की परेशानी से पीड़ित लोगों की है। यह वायरस हृदय को भी प्रभावित कर रहा है। स्वस्थ होने वाले मरीजों के हृदय के कार्य करने की प्रणाली में किस प्रकार के परिवर्तन आ रहे हैं। इस विषय पर जीबी पंत अस्पताल के डॉक्टर अध्ययन करेंगे। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि यह किस स्तर पर हृदय को प्रभावित करता है।
जीबी पंत अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. मोहित ने कहा कि संक्रमण से ठीक हुए लोगों के हृदय की कार्य करने की प्रणाली में क्या-क्या बदलाव आए हैं? यह पता लगाने के लिए अध्ययन किए जाने की योजना पर काम किया जा रहा है। विदेशों में ऐसे कई मामले आए हैं, जहां मरीजों के हृदय की मांसपेशियों में सूजन आ गई। हालांकि, यह तुरंत नहीं पता चल पाता है कि इस बीमारी ने हृदय पर किस प्रकार से असर किया किया है। इसके लंबे समय के प्रभाव को देखने के लिए शोध करने की जरूरत है।
सात मरीजों को लगाना पड़ा पेसमेकर
जीबी पंत के डॉक्टर अंकित बंसल ने बताया कि उनके यहां कोरोना संक्रमित हुए सात हृदय रोगियों पर अध्ययन किया गया। इन मरीजों की हृदय गति महज 30 से 42 बीपीएम प्रति मिनट रह गई थी। इनमें पांच मरीजों को स्थायी पेसमेकर लगाया जा चुका है। दो अन्य रोगियों की हृदय गति में अस्थायी पेसिंग और इलाज में सुधार हुआ है, पर इस तरह के मामले साफ दर्शा रहे हैं कि अब कोरोना दिल से जुड़ी समस्याओं को भी पैदा करता और बढ़ाता है।
दिल का दौरा पड़ने का भी खतरा
कोरोना संक्रमित मरीजों में दिल का दौरा पड़ने का भी खतरा अधिक होता है। संक्रमित की रक्तवाहिनियों में खून के थक्के भी बन जाते हैं। यह थक्के दिल तक भी पहुंच सकते हैं, जिसकी वजह से दिल का दौरा पड़ने का खतरा भी बढ़ जाता है। राजीव गांधी अस्पताल के डॉक्टर अजीत जैन बताते हैं कि आईसीयू में भर्ती गंभीर मरीजों के इलाज के दौरान जांच में डी डायमर स्तर का पता लगाया जाता है, ताकि पता चल सके कि मरीज की धमनियों में खून का थक्का तो नहीं पड़ने वाला है। यही वजह है कि कोरोना के मरीजों में खून को जमने से रोकने के लिए दवाओं पर जोर दिया जा रहा है।
कोरोना संक्रमण से स्वस्थ होने के बाद भी लोगों को कई प्रकार की समस्या हो रही है। इनमें सबसे अधिक संख्या सांस की परेशानी से पीड़ित लोगों की है। यह वायरस हृदय को भी प्रभावित कर रहा है। स्वस्थ होने वाले मरीजों के हृदय के कार्य करने की प्रणाली में किस प्रकार के परिवर्तन आ रहे हैं। इस विषय पर जीबी पंत अस्पताल के डॉक्टर अध्ययन करेंगे। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि यह किस स्तर पर हृदय को प्रभावित करता है।
जीबी पंत अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. मोहित ने कहा कि संक्रमण से ठीक हुए लोगों के हृदय की कार्य करने की प्रणाली में क्या-क्या बदलाव आए हैं? यह पता लगाने के लिए अध्ययन किए जाने की योजना पर काम किया जा रहा है। विदेशों में ऐसे कई मामले आए हैं, जहां मरीजों के हृदय की मांसपेशियों में सूजन आ गई। हालांकि, यह तुरंत नहीं पता चल पाता है कि इस बीमारी ने हृदय पर किस प्रकार से असर किया किया है। इसके लंबे समय के प्रभाव को देखने के लिए शोध करने की जरूरत है।
सात मरीजों को लगाना पड़ा पेसमेकर
जीबी पंत के डॉक्टर अंकित बंसल ने बताया कि उनके यहां कोरोना संक्रमित हुए सात हृदय रोगियों पर अध्ययन किया गया। इन मरीजों की हृदय गति महज 30 से 42 बीपीएम प्रति मिनट रह गई थी। इनमें पांच मरीजों को स्थायी पेसमेकर लगाया जा चुका है। दो अन्य रोगियों की हृदय गति में अस्थायी पेसिंग और इलाज में सुधार हुआ है, पर इस तरह के मामले साफ दर्शा रहे हैं कि अब कोरोना दिल से जुड़ी समस्याओं को भी पैदा करता और बढ़ाता है।
दिल का दौरा पड़ने का भी खतरा
कोरोना संक्रमित मरीजों में दिल का दौरा पड़ने का भी खतरा अधिक होता है। संक्रमित की रक्तवाहिनियों में खून के थक्के भी बन जाते हैं। यह थक्के दिल तक भी पहुंच सकते हैं, जिसकी वजह से दिल का दौरा पड़ने का खतरा भी बढ़ जाता है। राजीव गांधी अस्पताल के डॉक्टर अजीत जैन बताते हैं कि आईसीयू में भर्ती गंभीर मरीजों के इलाज के दौरान जांच में डी डायमर स्तर का पता लगाया जाता है, ताकि पता चल सके कि मरीज की धमनियों में खून का थक्का तो नहीं पड़ने वाला है। यही वजह है कि कोरोना के मरीजों में खून को जमने से रोकने के लिए दवाओं पर जोर दिया जा रहा है।