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जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों को भड़काने के लिए लोगों को सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में कथित तौर पर बांग्लादेशी और रोहिंग्या अप्रवासियों को शामिल करने के लिए कहा था। पुलिस ने उसके खिलाफ दायर पूरक आरोप पत्र में एक सुरक्षित गवाह को उद्धृत करते हुए यह आरोप लगाया है।
आरोपपत्र में आगे आरोप लगाया गया कि 2019 में खालिद और सह-अभियुक्त शरजील इमाम ने यह निर्णय लिया कि मस्जिदों को विरोध शुरू करने का केंद्र बिंदु होना चाहिए और चक्का जाम के लिए इमामों की सेवाओं का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
सुरक्षित गवाहों में से एक के बयान के अनुसार, जो आरोप पत्र का हिस्सा है, खालिद ने कथित तौर पर दंगों को भड़काने के लिए सीएए के विरोध प्रदर्शनों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या अप्रवासियों को लाने के लिए कहा था।
पुलिस ने पूरक आरोपपत्र में कहा कि भारत सरकार के लिए फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की यात्रा के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में सांप्रदायिक दंगे होने की घटना से अधिक अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी की स्थिति कुछ नहीं हो सकती थी।
आरोपपत्र देख अदालत ने कहा- यूएपीए के तहत मामला चलाने के लिए पर्याप्त सामग्री
कड़कड़डूमा कोर्ट ने उतर पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में गिरफ्तार जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और जेएनयू के छात्र शरजील इमाम के खिलाफ दाखिल अनुपूरक आरोपपत्र पर मंगलवार को संज्ञान लिया। कोर्ट ने आरोपपत्र में मौजूद तथ्यों के आधार पर कहा कि आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने पुलिस द्वारा दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए दोनों आरोपियों की भूमिका पर गौर किया। कोर्ट ने कहा कि आरोपपत्र में आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप बेहद संगीन हैं।
दंगे की साजिश, दंगा भड़काने के लिए लोगों को एकत्रित करना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि को खराब करने की कोशिश, गंभीर आरोप हैं। कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड पर पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि दंगे में आरोपियों की संलिप्तता दिखती है। इसके बाद कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई 2 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।
उमर खालिद और शरजील इमाम दोनों को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने अदालत में दावा किया कि दंगों की साजिश रचने और साजिश को अंजाम तक पहुंचाने में इन दोनों आरोपियों की अहम भूमिका थी।
पुलिस का आरोप है कि दंगे की साजिश पहले से ही तैयार थी और दंगे को योजनाबद्ध तरीके से भड़काने के लिए उमर खालिद ने समुदाय विशेष के लोगों को भड़काउ भाषण दिए। इस साजिश में शरजील इमाम भी शामिल था और उसने दंगे को भड़काने के लिए लोगों को उकसाया।
पुलिस का आरोप है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान दंगों की योजना बनाकर विश्वस्तर पर यह संदेश पहुंचाने की मंशा थी कि भारत में समुदाय विशेष के लोगों पर अत्याचार किए जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि सीएए के विरोध में 24 और 25 फरवरी को दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में हुए दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और 250 से अधिक लोग घायल हुए थे।
जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों को भड़काने के लिए लोगों को सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में कथित तौर पर बांग्लादेशी और रोहिंग्या अप्रवासियों को शामिल करने के लिए कहा था। पुलिस ने उसके खिलाफ दायर पूरक आरोप पत्र में एक सुरक्षित गवाह को उद्धृत करते हुए यह आरोप लगाया है।
आरोपपत्र में आगे आरोप लगाया गया कि 2019 में खालिद और सह-अभियुक्त शरजील इमाम ने यह निर्णय लिया कि मस्जिदों को विरोध शुरू करने का केंद्र बिंदु होना चाहिए और चक्का जाम के लिए इमामों की सेवाओं का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
सुरक्षित गवाहों में से एक के बयान के अनुसार, जो आरोप पत्र का हिस्सा है, खालिद ने कथित तौर पर दंगों को भड़काने के लिए सीएए के विरोध प्रदर्शनों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या अप्रवासियों को लाने के लिए कहा था।
पुलिस ने पूरक आरोपपत्र में कहा कि भारत सरकार के लिए फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की यात्रा के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में सांप्रदायिक दंगे होने की घटना से अधिक अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी की स्थिति कुछ नहीं हो सकती थी।
आरोपपत्र देख अदालत ने कहा- यूएपीए के तहत मामला चलाने के लिए पर्याप्त सामग्री
कड़कड़डूमा कोर्ट ने उतर पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में गिरफ्तार जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और जेएनयू के छात्र शरजील इमाम के खिलाफ दाखिल अनुपूरक आरोपपत्र पर मंगलवार को संज्ञान लिया। कोर्ट ने आरोपपत्र में मौजूद तथ्यों के आधार पर कहा कि आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने पुलिस द्वारा दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए दोनों आरोपियों की भूमिका पर गौर किया। कोर्ट ने कहा कि आरोपपत्र में आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप बेहद संगीन हैं।
दंगे की साजिश, दंगा भड़काने के लिए लोगों को एकत्रित करना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि को खराब करने की कोशिश, गंभीर आरोप हैं। कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड पर पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि दंगे में आरोपियों की संलिप्तता दिखती है। इसके बाद कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई 2 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।
उमर खालिद और शरजील इमाम दोनों को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने अदालत में दावा किया कि दंगों की साजिश रचने और साजिश को अंजाम तक पहुंचाने में इन दोनों आरोपियों की अहम भूमिका थी।
पुलिस का आरोप है कि दंगे की साजिश पहले से ही तैयार थी और दंगे को योजनाबद्ध तरीके से भड़काने के लिए उमर खालिद ने समुदाय विशेष के लोगों को भड़काउ भाषण दिए। इस साजिश में शरजील इमाम भी शामिल था और उसने दंगे को भड़काने के लिए लोगों को उकसाया।
पुलिस का आरोप है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान दंगों की योजना बनाकर विश्वस्तर पर यह संदेश पहुंचाने की मंशा थी कि भारत में समुदाय विशेष के लोगों पर अत्याचार किए जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि सीएए के विरोध में 24 और 25 फरवरी को दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में हुए दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और 250 से अधिक लोग घायल हुए थे।