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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने गुरुवार को अदालत को बताया कि उसे जेल में अपनी कोठरी से भी बाहर नहीं निकलने दिया जाता है और उसे एक तरह से एकांतवास में रखा गया है। बता दें फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में उमर को कठोर गैरकानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने इसके बाद तिहाड़ जेल के अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान उपस्थित रहें। न्यायिक हिरासत की अवधि पूरी होने के बाद जब वीडियो कांफ्रेंस के जरिए खालिद को अदालत के समक्ष पेश किया गया तो उसने सीधे अदालत के सामने अपनी बात रखी।
अदालत ने तिहाड़ जेल के सहायक अधीक्षक को तब माइक नहीं खोलने पर फटकार लगाई जब खालिद ने उनसे कहा कि वह न्यायाधीश से बात करना चाहता है। खालिद ने कहा कि अधिकारी ने उसे बताया कि न्यायाधीश द्वारा अनुमति दिए जाने के बाद माइक को चालू किया जाएगा।
न्यायाधीश ने जेल अधिकारी से कहा कि अगर विचाराधीन कुछ कहना चाहता है तो उसके माइक को चालू कर दीजिए और उसे बोलने दीजिए या आप बताएं कि वह कुछ कहना चाहता है। न्यायाधीश की अनुमति मिलने पर खालिद ने कहा कि मुझे कोठरी से निकलने की बिल्कुल अनुमति नहीं दी जाती है। मैं अपनी कोठरी में अकेला हूं। किसी को भी मुझसे मिलने की अनुमति नहीं दी जाती।
व्यवाहारिक तौर पर मुझे एकांत में कैद कर दिया गया है। मेरी तबीयत पिछले तीन दिन से ठीक नहीं है। मैं असहज महसूस कर रहा हूं। यह सजा की तरह है। मुझे क्यों यह सजा दी जा रही है? मैं दोहराता हूं कि मुझे सुरक्षा की जरूरत है मगर यह पूरे दिन मुझे कोठरी में रखकर नहीं हो सकती। उसने कहा कि बुधवार को उसे जेल संख्या दो के अतिरिक्त अधीक्षक प्रदीप शर्मा द्वारा जारी आदेश दिखाया गया जिसमें कहा गया है कि खालिद को अपनी कोठरी से बाहर रहने की अनुमति नहीं है।
खालिद ने कहा कि मैं इस आदेश को वापस लेने का अनुरोध करता हूं। जेल अधीक्षक सुबह आएं और जेल कर्मियों को कहा कि मुझे बाहर निकलने की अनुमति दी जाए। मैंने करीब 10 मिनट बाहर बिताया और उसके बाद वह वापस चले गए। तब से मुझे बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई है।
खालिद के वकील त्रिदीप पाइस ने अदालत से कहा कि जेल शिकायत करने पर अधिकारियों द्वारा उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। इसपर अदालत ने कहा कि अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए खालिद को सजा नहीं दी जाएगी। आप इसका ध्यान रखें।
गौरतलब है कि अदालत ने 17 अक्टूबर को तिहाड़ जेल के अधीक्षक को निर्देश दिया था कि वह न्यायिक हिरासत में बंद उमर खालिद को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराएं। अदालत ने यह निर्देश खालिद के आवेदन पर दिया था जिसमें उसने कहा था कि उसे जेल में उचित सुरक्षा मुहैया कराई जाए ताकि न्यायिक हिरासत में रहने के के दौरान कोई नुकसान नहीं पहुंचा सके।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने गुरुवार को अदालत को बताया कि उसे जेल में अपनी कोठरी से भी बाहर नहीं निकलने दिया जाता है और उसे एक तरह से एकांतवास में रखा गया है। बता दें फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में उमर को कठोर गैरकानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने इसके बाद तिहाड़ जेल के अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान उपस्थित रहें। न्यायिक हिरासत की अवधि पूरी होने के बाद जब वीडियो कांफ्रेंस के जरिए खालिद को अदालत के समक्ष पेश किया गया तो उसने सीधे अदालत के सामने अपनी बात रखी।
अदालत ने तिहाड़ जेल के सहायक अधीक्षक को तब माइक नहीं खोलने पर फटकार लगाई जब खालिद ने उनसे कहा कि वह न्यायाधीश से बात करना चाहता है। खालिद ने कहा कि अधिकारी ने उसे बताया कि न्यायाधीश द्वारा अनुमति दिए जाने के बाद माइक को चालू किया जाएगा।
न्यायाधीश ने जेल अधिकारी से कहा कि अगर विचाराधीन कुछ कहना चाहता है तो उसके माइक को चालू कर दीजिए और उसे बोलने दीजिए या आप बताएं कि वह कुछ कहना चाहता है। न्यायाधीश की अनुमति मिलने पर खालिद ने कहा कि मुझे कोठरी से निकलने की बिल्कुल अनुमति नहीं दी जाती है। मैं अपनी कोठरी में अकेला हूं। किसी को भी मुझसे मिलने की अनुमति नहीं दी जाती।
व्यवाहारिक तौर पर मुझे एकांत में कैद कर दिया गया है। मेरी तबीयत पिछले तीन दिन से ठीक नहीं है। मैं असहज महसूस कर रहा हूं। यह सजा की तरह है। मुझे क्यों यह सजा दी जा रही है? मैं दोहराता हूं कि मुझे सुरक्षा की जरूरत है मगर यह पूरे दिन मुझे कोठरी में रखकर नहीं हो सकती। उसने कहा कि बुधवार को उसे जेल संख्या दो के अतिरिक्त अधीक्षक प्रदीप शर्मा द्वारा जारी आदेश दिखाया गया जिसमें कहा गया है कि खालिद को अपनी कोठरी से बाहर रहने की अनुमति नहीं है।
खालिद ने कहा कि मैं इस आदेश को वापस लेने का अनुरोध करता हूं। जेल अधीक्षक सुबह आएं और जेल कर्मियों को कहा कि मुझे बाहर निकलने की अनुमति दी जाए। मैंने करीब 10 मिनट बाहर बिताया और उसके बाद वह वापस चले गए। तब से मुझे बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई है।
खालिद के वकील त्रिदीप पाइस ने अदालत से कहा कि जेल शिकायत करने पर अधिकारियों द्वारा उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। इसपर अदालत ने कहा कि अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए खालिद को सजा नहीं दी जाएगी। आप इसका ध्यान रखें।
गौरतलब है कि अदालत ने 17 अक्टूबर को तिहाड़ जेल के अधीक्षक को निर्देश दिया था कि वह न्यायिक हिरासत में बंद उमर खालिद को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराएं। अदालत ने यह निर्देश खालिद के आवेदन पर दिया था जिसमें उसने कहा था कि उसे जेल में उचित सुरक्षा मुहैया कराई जाए ताकि न्यायिक हिरासत में रहने के के दौरान कोई नुकसान नहीं पहुंचा सके।