पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
अदालत ने उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में गिरफ्तार जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और जेएनयू के छात्र शरजील इमाम समेत तीन आरोपियों के खिलाफ दाखिल पूरक आरोपपत्र पर मंगलवार को संज्ञान ले लिया। अदालत ने कहा आरोपियों पर आगे की कार्यवाही के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं। दिल्ली पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ रविवार को पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था। पुलिस का आरोप है कि खालिद और शरजील ने बड़े व्यापक स्तर पर कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की साजिश की थी।
कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने उमर खालिद, शरजील इमाम तथा फैजान खान के खिलाफ पूरक आरोप पत्र में लगाए गए अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) तथा अन्य धाराओं पर संज्ञान ले लिया। हालांकि अदालत ने सरकारी अनुमति के अभाव में राजद्रोह, आपराधिक साजिश तथा अन्य धाराओं में संज्ञान नहीं लिया है।
कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ बेहद संगीन आरोप हैं। अभियोजन ने दंगे की साजिश, दंगा भड़काने के लिए लोगों को एकत्रित करना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि को खराब करने की कोशिश, गंभीर आरोप लगाए हैं। कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड पर पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं, जिससे आरोपियों की संलिप्तता दिखती है।
दिल्ली पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ रविवार को यूएपीए, आर्म्स एक्ट, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने समेत कई धाराओं में पूरक आरोपपत्र दाखिल किया था। अदालत ने आरोपियों के खिलाफ यूएपीए के तहत अवैध गतिविधि, आतंकी कृत्य, आतंकी फंडिंग तथा साजिश की धाराओं में संज्ञान लिया है।
अदालत ने इनके खिलाफ अपराधी को शरण देना, धर्म स्थल को नुकसान पहुंचाने, हत्या, हत्या की कोशिश, रास्ता रोकने, बंधक बनाने, सरकारी कर्मचारी पर हमला, डकैती, धोखाधड़ी, शरारत, आगजनी, अनाधिकृत प्रवेश, सेंधमारी, फर्जीवाड़ा, फर्जी दस्तावेज प्रयोग करना तथा शस्त्र अधिनियम की धाराओं में भी संज्ञान लिया है।
अदालत ने आरोपियों के वकीलों को दो दिसंबर तक आरोपपत्र की सॉफ्ट कॉपी देने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक फिलहाल आरोपियों को आरोप पत्र की हार्ड कॉपी नहीं दी जा सकती। मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर के लिए तय की गई है।
अदालत ने उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में गिरफ्तार जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और जेएनयू के छात्र शरजील इमाम समेत तीन आरोपियों के खिलाफ दाखिल पूरक आरोपपत्र पर मंगलवार को संज्ञान ले लिया। अदालत ने कहा आरोपियों पर आगे की कार्यवाही के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं। दिल्ली पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ रविवार को पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था। पुलिस का आरोप है कि खालिद और शरजील ने बड़े व्यापक स्तर पर कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की साजिश की थी।
कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने उमर खालिद, शरजील इमाम तथा फैजान खान के खिलाफ पूरक आरोप पत्र में लगाए गए अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) तथा अन्य धाराओं पर संज्ञान ले लिया। हालांकि अदालत ने सरकारी अनुमति के अभाव में राजद्रोह, आपराधिक साजिश तथा अन्य धाराओं में संज्ञान नहीं लिया है।
कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ बेहद संगीन आरोप हैं। अभियोजन ने दंगे की साजिश, दंगा भड़काने के लिए लोगों को एकत्रित करना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि को खराब करने की कोशिश, गंभीर आरोप लगाए हैं। कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड पर पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं, जिससे आरोपियों की संलिप्तता दिखती है।
दिल्ली पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ रविवार को यूएपीए, आर्म्स एक्ट, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने समेत कई धाराओं में पूरक आरोपपत्र दाखिल किया था। अदालत ने आरोपियों के खिलाफ यूएपीए के तहत अवैध गतिविधि, आतंकी कृत्य, आतंकी फंडिंग तथा साजिश की धाराओं में संज्ञान लिया है।
अदालत ने इनके खिलाफ अपराधी को शरण देना, धर्म स्थल को नुकसान पहुंचाने, हत्या, हत्या की कोशिश, रास्ता रोकने, बंधक बनाने, सरकारी कर्मचारी पर हमला, डकैती, धोखाधड़ी, शरारत, आगजनी, अनाधिकृत प्रवेश, सेंधमारी, फर्जीवाड़ा, फर्जी दस्तावेज प्रयोग करना तथा शस्त्र अधिनियम की धाराओं में भी संज्ञान लिया है।
अदालत ने आरोपियों के वकीलों को दो दिसंबर तक आरोपपत्र की सॉफ्ट कॉपी देने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक फिलहाल आरोपियों को आरोप पत्र की हार्ड कॉपी नहीं दी जा सकती। मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर के लिए तय की गई है।