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मानसून आने में देरी होने और सूखे के शुरुआती असर ने ही लोगों को बेहाल कर दिया है। सबसे पहला असर दूध पर पड़ा है। दूध उत्पादन में 30 फीसदी तक की गिरावट आ गई है।
पशुधन और दूध कारोबार को अभी और नुकसान होने की आशंका है। सूखे का अगला वार सब्जियों पर होगा। बारिश न होने से किसानों में त्राहि-त्राहि मची है।
धान और चारे की फसलों की बुवाई नहीं हो सकी है और गन्ने-चारे की तैयार फसलें सूखनी शुरू हो गई हैं। चारे की खड़ी फसलों को पशुओं को न खिलाने की चेतावनी विशेषज्ञों ने जारी कर दी है। इससे पशुधन प्रभावित हो रहा है। दूध उत्पादन में बड़ी गिरावट आई है।
पराग के जीएम हेडक्वार्टर बीके वर्मा के अनुसार एनसीआर में दूध उत्पादन में पिछले तीन महीने में 30 फीसदी की कमी आई है।
एनसीआर में पराग के पास 24 हजार लीटर रोजाना का उत्पादन है। जबकि कुल दूध करीब दो लाख लीटर रोजाना उत्पादन हो रहा है। यह मात्रा अप्रैल के सापेक्ष 30 फीसदी कम है।
जिले में 15500 हेक्टेयर में गन्ना, 1000 में धान, 500 में चारा और 200 में मक्का की फसलें हैं। 800 हेक्टेयर में सब्जी की फसलें हैं। मक्का, सब्जी और चारे की फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
चारे की कमी से दूध आपूर्ति प्रभावित होने लगी है। महानगर में 10 हजार लीटर रोजाना के दूध सप्लाई के सापेक्ष अब 8000 लीटर रोजाना ही रह गया है।
इससे लोगों की जरूरत सीधे प्रभावित हो रही है। यदि पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो दूध के साथ ही सब्जियों का संकट पैदा हो जाएगा।
मानसून आने में देरी होने और सूखे के शुरुआती असर ने ही लोगों को बेहाल कर दिया है। सबसे पहला असर दूध पर पड़ा है। दूध उत्पादन में 30 फीसदी तक की गिरावट आ गई है।
पशुधन और दूध कारोबार को अभी और नुकसान होने की आशंका है। सूखे का अगला वार सब्जियों पर होगा। बारिश न होने से किसानों में त्राहि-त्राहि मची है।
धान और चारे की फसलों की बुवाई नहीं हो सकी है और गन्ने-चारे की तैयार फसलें सूखनी शुरू हो गई हैं। चारे की खड़ी फसलों को पशुओं को न खिलाने की चेतावनी विशेषज्ञों ने जारी कर दी है। इससे पशुधन प्रभावित हो रहा है। दूध उत्पादन में बड़ी गिरावट आई है।
पराग के जीएम हेडक्वार्टर बीके वर्मा के अनुसार एनसीआर में दूध उत्पादन में पिछले तीन महीने में 30 फीसदी की कमी आई है।
एनसीआर में पराग के पास 24 हजार लीटर रोजाना का उत्पादन है। जबकि कुल दूध करीब दो लाख लीटर रोजाना उत्पादन हो रहा है। यह मात्रा अप्रैल के सापेक्ष 30 फीसदी कम है।
जिले में 15500 हेक्टेयर में गन्ना, 1000 में धान, 500 में चारा और 200 में मक्का की फसलें हैं। 800 हेक्टेयर में सब्जी की फसलें हैं। मक्का, सब्जी और चारे की फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
चारे की कमी से दूध आपूर्ति प्रभावित होने लगी है। महानगर में 10 हजार लीटर रोजाना के दूध सप्लाई के सापेक्ष अब 8000 लीटर रोजाना ही रह गया है।
इससे लोगों की जरूरत सीधे प्रभावित हो रही है। यदि पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो दूध के साथ ही सब्जियों का संकट पैदा हो जाएगा।