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नाइजीरिया की एक कंपनी में मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) के पद पर काम करते हुए हिंदी सिनेमा में स्वतंत्र सिनेमा के अलमबरदार बने फिल्म निर्माता मनीष मूंदड़ा का कहना है कि ऑस्कर पुरस्कारों के लिए भारतीय फिल्मों का चयन सही समय पर किया जाना बहुत जरूरी है। मनीष की फिल्म न्यूटन तीन साल पहले भारत की तरफ से ऑस्कर पुरस्कारों में भेजी गई थी लेकिन उनका मानना है कि फिल्म के चयन और पुरस्कारों के लिए वोटिंग में इतना कम वक्त होता है कि कोई निर्माता चाहकर भी फिल्म का प्रचार प्रसार अमेरिका में सही से नहीं कर सकता।
मनीष मूंदड़ा की नई फिल्म हर किसी के हिस्से कामयाब की चर्चा पिछले साल इसके बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर के बाद से ही होती रही है। फिल्म में मशहूर अभिनेता संजय मिश्रा के किरदार ने दर्शकों में काफी उत्सुकता जगाई है। संजय मिश्रा के साथ वह इससे पहले फिल्म कड़वी हवा भी बना चुके हैं जिसे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में भी जगह मिली। शाहरुख खान की कंपनी रेड चिलीज मनीष की नई फिल्म हर किसी के हिस्से कामयाब रिलीज कर रही है।
अमर उजाला से एक एक्सक्लूसिव मुलाकात में मनीष कहते हैं, “ऑस्कर पुरस्कारों के लिए भारतीय फिल्मों के चयन पर भी सवाल उठते रहे हैं लेकिन मेरा मानना है कि फैसला कोई भी हो उसके समर्थन और उसके विरोध में स्वर हमें हर क्षेत्र में सुनाई देते हैं। ऑस्कर के लिए भारतीय फिल्मों का चयन करने वाली संस्था फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया से मुझे कोई शिकायत तो नहीं है लेकिन मैं चाहता हूं कि ऑस्कर के लिए जो भी फिल्म भेजी जानी है उसका एलान बजाय सितंबर के मार्च महीने में कर देना चाहिए।”
इसकी वजह के विस्तार में जाते हुए मनीष मूंदड़ा कहते हैं, “ऑस्कर पुरस्कार इनके लिए बनी समिति में शामिल लोगों की पसंद के आधार पर दिए जाते हैं। समिति में शामिल हर फिल्ममेकर या कलाकार हर फिल्म देख सके, इसके लिए उन्हें काफी समय चाहिए होता है। इसके अलावा हमारे पास ऐसी कोई संस्था भी नहीं है जो फिल्मों का चयन होने के तुरंत बाद लॉस एंजिलिस में इनकी मार्केटिंग शुरू कर दे। ऑस्कर पुरस्कारों के लिए एक तरह के अभियान की जरूरत वहां होती है, ये काम हम तभी सही तरीके से कर सकते हैं जब फिल्म का चयन मार्च में कर लिया जाए, इससे निर्माता को अपनी फिल्म का वहां प्रचार प्रसार करने में समुचित समय मिल सकता है।”
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नाइजीरिया की एक कंपनी में मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) के पद पर काम करते हुए हिंदी सिनेमा में स्वतंत्र सिनेमा के अलमबरदार बने फिल्म निर्माता मनीष मूंदड़ा का कहना है कि ऑस्कर पुरस्कारों के लिए भारतीय फिल्मों का चयन सही समय पर किया जाना बहुत जरूरी है। मनीष की फिल्म न्यूटन तीन साल पहले भारत की तरफ से ऑस्कर पुरस्कारों में भेजी गई थी लेकिन उनका मानना है कि फिल्म के चयन और पुरस्कारों के लिए वोटिंग में इतना कम वक्त होता है कि कोई निर्माता चाहकर भी फिल्म का प्रचार प्रसार अमेरिका में सही से नहीं कर सकता।
मनीष मूंदड़ा की नई फिल्म हर किसी के हिस्से कामयाब की चर्चा पिछले साल इसके बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर के बाद से ही होती रही है। फिल्म में मशहूर अभिनेता संजय मिश्रा के किरदार ने दर्शकों में काफी उत्सुकता जगाई है। संजय मिश्रा के साथ वह इससे पहले फिल्म कड़वी हवा भी बना चुके हैं जिसे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में भी जगह मिली। शाहरुख खान की कंपनी रेड चिलीज मनीष की नई फिल्म हर किसी के हिस्से कामयाब रिलीज कर रही है।
अमर उजाला से एक एक्सक्लूसिव मुलाकात में मनीष कहते हैं, “ऑस्कर पुरस्कारों के लिए भारतीय फिल्मों के चयन पर भी सवाल उठते रहे हैं लेकिन मेरा मानना है कि फैसला कोई भी हो उसके समर्थन और उसके विरोध में स्वर हमें हर क्षेत्र में सुनाई देते हैं। ऑस्कर के लिए भारतीय फिल्मों का चयन करने वाली संस्था फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया से मुझे कोई शिकायत तो नहीं है लेकिन मैं चाहता हूं कि ऑस्कर के लिए जो भी फिल्म भेजी जानी है उसका एलान बजाय सितंबर के मार्च महीने में कर देना चाहिए।”
इसकी वजह के विस्तार में जाते हुए मनीष मूंदड़ा कहते हैं, “ऑस्कर पुरस्कार इनके लिए बनी समिति में शामिल लोगों की पसंद के आधार पर दिए जाते हैं। समिति में शामिल हर फिल्ममेकर या कलाकार हर फिल्म देख सके, इसके लिए उन्हें काफी समय चाहिए होता है। इसके अलावा हमारे पास ऐसी कोई संस्था भी नहीं है जो फिल्मों का चयन होने के तुरंत बाद लॉस एंजिलिस में इनकी मार्केटिंग शुरू कर दे। ऑस्कर पुरस्कारों के लिए एक तरह के अभियान की जरूरत वहां होती है, ये काम हम तभी सही तरीके से कर सकते हैं जब फिल्म का चयन मार्च में कर लिया जाए, इससे निर्माता को अपनी फिल्म का वहां प्रचार प्रसार करने में समुचित समय मिल सकता है।”
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