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रावी नदी में दो वायु सैनिकों के बह जाने के मामले की जांच पूरी हो गई है। प्रशासन ने इस मामले में परियोजना प्रबंधन को क्लीन चिट दे दी है और हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। इस रिपोर्ट को उपायुक्त के माध्यम से सरकार व वायुसेना दोनों को भेज दिया गया है। रिपोर्ट में हादसा स्थल, सायरन और चेतावनी बोर्ड का बारीकी से अध्ययन किया गया। गौरतलब है कि पांच मार्च को वायु सेना के पांच जवान रावी तट पर मौजूद थे।
इस बीच परियोजना प्रबंधन ने पानी छोड़ दिया जिसमें पांचों तेज बहाव की चपेट में आ गए। इसमें से तीन सुरक्षित स्थान पर पहुंचने में कामयाब रहे जबकि दो पानी में बह गए। अगले दिन दोनों के शव रावी नदी से बरामद किए गए थे। इस मामले में उपायुक्त ने न्यायिक जांच के निर्देश दिए थे और अतिरिक्त दंडाधिकारी चंबा शुभकरण सिंह को 15 दिन में जांच पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।
एडीएम की ओर से उपायुक्त को सौंपी गई रिपोर्ट में किसी भी स्तर पर परियोजना को हादसे के लिए दोषी नहीं माना गया है। इस पूरी जांच के दौरान प्रशासन ने हादसे वाली जगह से सायरन की दूरी, सायरन की आवाज गूंजने, पानी के स्तर और चेतावनी बोर्ड सभी का मुआयना किया। इसमें हादसे वाले रोज पानी छोड़ने से आधा घंटा पूर्व सायरन बजाने और घटनास्थल के पास सड़क पर परियोजना का चेतावनी बोर्ड होने की पुष्टि हुई है।
उधर, उपायुक्त सुदेश मोकटा ने बताया कि रावी में बहे जवानें के साथ हुआ हादसा दुर्भाग्यवश था। इसमें परियोजना की कोई गलती नहीं पाई गई है। उन्होंने कहा कि जांच में पाया गया कि रावी तट पर चेतावनी बोर्ड लगे हैं और पानी छोड़ने से पहले सायरन बजाया जाता है। रिपोर्ट में परियोजना प्रबंधन को क्लीन चिट दे दी गई है।
रावी नदी में दो वायु सैनिकों के बह जाने के मामले की जांच पूरी हो गई है। प्रशासन ने इस मामले में परियोजना प्रबंधन को क्लीन चिट दे दी है और हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। इस रिपोर्ट को उपायुक्त के माध्यम से सरकार व वायुसेना दोनों को भेज दिया गया है। रिपोर्ट में हादसा स्थल, सायरन और चेतावनी बोर्ड का बारीकी से अध्ययन किया गया। गौरतलब है कि पांच मार्च को वायु सेना के पांच जवान रावी तट पर मौजूद थे।
इस बीच परियोजना प्रबंधन ने पानी छोड़ दिया जिसमें पांचों तेज बहाव की चपेट में आ गए। इसमें से तीन सुरक्षित स्थान पर पहुंचने में कामयाब रहे जबकि दो पानी में बह गए। अगले दिन दोनों के शव रावी नदी से बरामद किए गए थे। इस मामले में उपायुक्त ने न्यायिक जांच के निर्देश दिए थे और अतिरिक्त दंडाधिकारी चंबा शुभकरण सिंह को 15 दिन में जांच पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।
एडीएम की ओर से उपायुक्त को सौंपी गई रिपोर्ट में किसी भी स्तर पर परियोजना को हादसे के लिए दोषी नहीं माना गया है। इस पूरी जांच के दौरान प्रशासन ने हादसे वाली जगह से सायरन की दूरी, सायरन की आवाज गूंजने, पानी के स्तर और चेतावनी बोर्ड सभी का मुआयना किया। इसमें हादसे वाले रोज पानी छोड़ने से आधा घंटा पूर्व सायरन बजाने और घटनास्थल के पास सड़क पर परियोजना का चेतावनी बोर्ड होने की पुष्टि हुई है।
उधर, उपायुक्त सुदेश मोकटा ने बताया कि रावी में बहे जवानें के साथ हुआ हादसा दुर्भाग्यवश था। इसमें परियोजना की कोई गलती नहीं पाई गई है। उन्होंने कहा कि जांच में पाया गया कि रावी तट पर चेतावनी बोर्ड लगे हैं और पानी छोड़ने से पहले सायरन बजाया जाता है। रिपोर्ट में परियोजना प्रबंधन को क्लीन चिट दे दी गई है।