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नए कृषि कानूनों के विरोध को लेकर गुरुवार को केंद्र सरकार और किसानों के बीच हुई वार्ता बेनतीजा रही। इस बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज किसान यूनियन के साथ भारत सरकार के चौथे चरण की चर्चा हुई है। इस दौरान किसान यूनियन और सरकार ने अपना-अपना पक्ष रखा।
इसके साथ ही तोमर ने कहा कि किसानों की जमीन को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। इस भ्रम को दूर करने के लिए सरकार सभी काम या उपाय करेगी। उन्होंने कहा कि किसानों को जमीन संबंधी समस्या नहीं होगी। सरकार की ओर से कहा गया है कि बैठक में तोमर ने किसान संगठनों के नेताओं की सभी आशंकाओं को दूर किया है।
भारतीय किसान यूनियन के साथ दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई इस वार्ता के बाद तोमर ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निजी मंडियों में केवल पैन के आधार पर व्यापार न हो। केंद्रीय कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि व्यापारियों का पंजीकरण अनिवार्य रूप से किया जाए।
1. समर्थन मूल्य की व्यवस्था से छेड़छाड़ नहीं
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि समर्थन मूल्य की व्यवस्था बनी रहेगी, इससे किसी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि विवाद की स्थिति में पहले एसडीएम कोर्ट में जाने की बात थी। लेकिन, किसानों की मांग को देखते हुए इसे सीधे न्यायालय में ले जाए जाने की बात पर विचार किया जा रहा है।
तोमर ने कहा कि किसान यूनियन की पराली के संबंध में एक अध्यादेश पर शंका है, विद्युत एक्ट पर भी उन्हें समस्या है, इस पर भी सरकार चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि आज की चर्चा अच्छे माहौल में हुई, किसानों ने सही तरीके से अपने विषयों को रखा, जो बिंदु निकले, उन पर सबकी लगभग सहमति बनी है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि किसान यूनियन और किसानों की एक चिंता यह है कि नए कानून से एपीएमसी खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार इस पर विचार करेगी एपीएमसी सशक्त हो और एपीएमसी का उपयोग और बढ़े। बता दें कि अब किसानों और भारत सरकार के बीच अगली बातचीत पांच दिसंबर को होगी।
किसानों और सरकार से आज हुई वार्ता चौथे चरण की वार्ता थी। नरेंद्र तोमर ने कहा कि आज बैठक का चौथा चरण समाप्त हुआ है। परसों यानी पांच दिसंबर को दोपहर दो बजे सरकार की किसान यूनियन के साथ फिर मुलाकात होगी। उन्होंने कहा कि इस बैठक के बाद हम किसी अंतिम निर्णय पर पहुंचेंगे।
तोमर ने कहा कि सरकार वार्ता कर रही है और चर्चा के दौरान उठने वाले मुद्दों का हर स्थिति में समाधान किया जाएगा। इसीलिए मैं किसानों से अपील करता हूं कि वह अपना आंदोलन समाप्त करें, जिससे दिल्ली के लोगों को उन समस्याओं का और सामना न करना पड़े, जिनका सामना वह आंदोलन की वजह से कर रहे हैं।
- किसानों के हितों के संरक्षण के लिए प्रावधान नहीं। महत पैन कार्ड से निजी मंडियों में अनाज खरीद होगी।
- विवाद हो तो किसान के पास अदालत जाने का अधिकार नहीं है। पहले एसडीएम फिर ट्रिब्यूलन कोर्ट के पास जाए।
- कॉरपोरेट क्षेत्र को कांट्रैक्ट खेती के अधिकार से वे धीरे-धीरे छोटे किसानों की जमीन हथिया लेंगे।
- पराली जलाने पर जेल और जुर्माने की सजा गलत। कानून रद्द हो और सरकार पराली की जिम्मेदारी ले।
- एमएसपी को कानूनी बनाया जाए। स्वामीनाथव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार एमएसपी तय की जाए।
- कृषि उपयोग के लिए डीजल की कीमतों में 50 फीसदी की कटौती हो। इससे कृषि क्षेत्र की लागत घटेगी।
- हम बदलाव के लिए तैयार हैं। निजी क्षेत्र की कंपनियों और मंडियों के लिए पंजीकरण अनिवार्य करने पर विचार करेंगे।
- किसानों को सीधे अदालत काने का अधिकार संबंधी प्रावधान नए कानून में जोड़ने पर विचार करेंगे।
- कॉरपोरेट क्षेत्र को जमीन खरीदने का अधिकार नहीं है। सुरक्षा बढ़ाने के लिए और प्रावधान जोड़ने के लिए तैयार।
- इन सुझावों के अनुरूप कानून में बदलाव पर विचार करने के लिए तैयार। विमर्श के बाद रास्ता निकालेंगे।
- एमएसपी कानून का हिस्सा कभी नहीं रही। किसानों की आय बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
- डीजल कीमतों में 50 फीसदी कटौती की मांग पर नए सिरे से विचार की जरूरत है। तत्काल फैसला संभव नहीं है।
एक सरकारी सूत्र ने कहा कि अगली बैठक शनिवार को होगी क्योंकि समय की कमी के कारण आज की बैठक में किसी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सका। बैठक के बाद नारेबाजी करते हुए सभा स्थल से बाहर आए किसान नेताओं ने कहा कि वार्ता में गतिरोध बना हुआ है। बता दें कि कुछ किसान नेताओं ने धमकी दी थी कि बृहस्पतिवार की बैठक में कोई समाधान नहीं निकला तो आगे की बैठकों का बहिष्कार किया जाएगा।
वहीं, बैठक में शामिल हुए 40 किसान नेताओं ने सरकार की तरफ से पेश दोपहर के भोजन को लेने से इनकार कर दिया और सिंघू बॉर्डर से एक वैन में लाए गए भोजन को खाना पसंद किया, जहां उनके हजारों सहयोगी नए कृषि कानूनों के विरोध में बैठे हैं। उन्होंने बैठक के दौरान चाय और पानी की पेशकश को भी स्वीकार नहीं किया।
नए कृषि कानूनों के विरोध को लेकर गुरुवार को केंद्र सरकार और किसानों के बीच हुई वार्ता बेनतीजा रही। इस बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज किसान यूनियन के साथ भारत सरकार के चौथे चरण की चर्चा हुई है। इस दौरान किसान यूनियन और सरकार ने अपना-अपना पक्ष रखा।
इसके साथ ही तोमर ने कहा कि किसानों की जमीन को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। इस भ्रम को दूर करने के लिए सरकार सभी काम या उपाय करेगी। उन्होंने कहा कि किसानों को जमीन संबंधी समस्या नहीं होगी। सरकार की ओर से कहा गया है कि बैठक में तोमर ने किसान संगठनों के नेताओं की सभी आशंकाओं को दूर किया है।
भारतीय किसान यूनियन के साथ दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई इस वार्ता के बाद तोमर ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निजी मंडियों में केवल पैन के आधार पर व्यापार न हो। केंद्रीय कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि व्यापारियों का पंजीकरण अनिवार्य रूप से किया जाए।
1. समर्थन मूल्य की व्यवस्था से छेड़छाड़ नहीं
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि समर्थन मूल्य की व्यवस्था बनी रहेगी, इससे किसी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि विवाद की स्थिति में पहले एसडीएम कोर्ट में जाने की बात थी। लेकिन, किसानों की मांग को देखते हुए इसे सीधे न्यायालय में ले जाए जाने की बात पर विचार किया जा रहा है।
2. सरकार चिंताओं पर चर्चा को तैयार
तोमर ने कहा कि किसान यूनियन की पराली के संबंध में एक अध्यादेश पर शंका है, विद्युत एक्ट पर भी उन्हें समस्या है, इस पर भी सरकार चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि आज की चर्चा अच्छे माहौल में हुई, किसानों ने सही तरीके से अपने विषयों को रखा, जो बिंदु निकले, उन पर सबकी लगभग सहमति बनी है।
3. एपीएमसी को और सशक्त करेगी सरकार
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि किसान यूनियन और किसानों की एक चिंता यह है कि नए कानून से एपीएमसी खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार इस पर विचार करेगी एपीएमसी सशक्त हो और एपीएमसी का उपयोग और बढ़े। बता दें कि अब किसानों और भारत सरकार के बीच अगली बातचीत पांच दिसंबर को होगी।
4. अब पांच दिसंबर को फिर होगी मुलाकात
किसानों और सरकार से आज हुई वार्ता चौथे चरण की वार्ता थी। नरेंद्र तोमर ने कहा कि आज बैठक का चौथा चरण समाप्त हुआ है। परसों यानी पांच दिसंबर को दोपहर दो बजे सरकार की किसान यूनियन के साथ फिर मुलाकात होगी। उन्होंने कहा कि इस बैठक के बाद हम किसी अंतिम निर्णय पर पहुंचेंगे।
5. किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील
तोमर ने कहा कि सरकार वार्ता कर रही है और चर्चा के दौरान उठने वाले मुद्दों का हर स्थिति में समाधान किया जाएगा। इसीलिए मैं किसानों से अपील करता हूं कि वह अपना आंदोलन समाप्त करें, जिससे दिल्ली के लोगों को उन समस्याओं का और सामना न करना पड़े, जिनका सामना वह आंदोलन की वजह से कर रहे हैं।
क्या बोले किसान
- किसानों के हितों के संरक्षण के लिए प्रावधान नहीं। महत पैन कार्ड से निजी मंडियों में अनाज खरीद होगी।
- विवाद हो तो किसान के पास अदालत जाने का अधिकार नहीं है। पहले एसडीएम फिर ट्रिब्यूलन कोर्ट के पास जाए।
- कॉरपोरेट क्षेत्र को कांट्रैक्ट खेती के अधिकार से वे धीरे-धीरे छोटे किसानों की जमीन हथिया लेंगे।
- पराली जलाने पर जेल और जुर्माने की सजा गलत। कानून रद्द हो और सरकार पराली की जिम्मेदारी ले।
- एमएसपी को कानूनी बनाया जाए। स्वामीनाथव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार एमएसपी तय की जाए।
- कृषि उपयोग के लिए डीजल की कीमतों में 50 फीसदी की कटौती हो। इससे कृषि क्षेत्र की लागत घटेगी।
क्या बोली सरकार
- हम बदलाव के लिए तैयार हैं। निजी क्षेत्र की कंपनियों और मंडियों के लिए पंजीकरण अनिवार्य करने पर विचार करेंगे।
- किसानों को सीधे अदालत काने का अधिकार संबंधी प्रावधान नए कानून में जोड़ने पर विचार करेंगे।
- कॉरपोरेट क्षेत्र को जमीन खरीदने का अधिकार नहीं है। सुरक्षा बढ़ाने के लिए और प्रावधान जोड़ने के लिए तैयार।
- इन सुझावों के अनुरूप कानून में बदलाव पर विचार करने के लिए तैयार। विमर्श के बाद रास्ता निकालेंगे।
- एमएसपी कानून का हिस्सा कभी नहीं रही। किसानों की आय बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
- डीजल कीमतों में 50 फीसदी कटौती की मांग पर नए सिरे से विचार की जरूरत है। तत्काल फैसला संभव नहीं है।
..जब किसानों ने नहीं खाया सरकारी खाना
एक सरकारी सूत्र ने कहा कि अगली बैठक शनिवार को होगी क्योंकि समय की कमी के कारण आज की बैठक में किसी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सका। बैठक के बाद नारेबाजी करते हुए सभा स्थल से बाहर आए किसान नेताओं ने कहा कि वार्ता में गतिरोध बना हुआ है। बता दें कि कुछ किसान नेताओं ने धमकी दी थी कि बृहस्पतिवार की बैठक में कोई समाधान नहीं निकला तो आगे की बैठकों का बहिष्कार किया जाएगा।
वहीं, बैठक में शामिल हुए 40 किसान नेताओं ने सरकार की तरफ से पेश दोपहर के भोजन को लेने से इनकार कर दिया और सिंघू बॉर्डर से एक वैन में लाए गए भोजन को खाना पसंद किया, जहां उनके हजारों सहयोगी नए कृषि कानूनों के विरोध में बैठे हैं। उन्होंने बैठक के दौरान चाय और पानी की पेशकश को भी स्वीकार नहीं किया।