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केंद्र में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए अगस्त का महीना बार-बार भारी पड़ा। इस दौरान उसने अपने चार महत्त्वपूर्ण नेता खो दिए। सबसे पहले छः अगस्त को पार्टी की प्रखर वक्ता रहीं सुषमा स्वराज परलोक सिधार गईं तो शनिवार 24 अगस्त को अरुण जेटली ने दुनिया को अलविदा कह दिया। इसी बीच 21 अगस्त को पार्टी के वरिष्ठ नेता बाबू लाल गौर भी नहीं रहे जो मध्य प्रदेश में भाजपा के कद्दावर नेता थे।
वे मध्यप्रदेश के 16वें मुख्यमंत्री थे और गोविंदपुरा सीट से दस बार विधायक चुने गए थे। इससे पिछले वर्ष भी अगस्त का महीना भाजपा पर तब भारी पड़ा था जब उसके तीन बार के प्रधानमंत्री और पार्टी संस्थापक नेताओं में से एक अटल बिहारी वाजपेयी की मौत हो गई थी। अटल बिहारी वाजपेयी का देहावसान 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में हो गया था।
अर्थव्यवस्था पर भी पड़ी भारी मार
भाजपा ने अगस्त महीने में न सिर्फ अपने प्रिय नेता खो दिए, बल्कि इसी अगस्त के दौरान देश की अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी एक के बाद एक, कई बुरी खबरें आईं। ऑटो सेक्टर ने पिछले बीस वर्षों में सबसे ज्यादा सुस्ती होने की जानकारी दी कई प्रमुख कंपनियों में काम रोकने और छंटनी की खबरें सामने आई हैं। इसी दौरान वस्त्र उद्योग, चमड़ा उद्योग और निर्माण क्षेत्र में भी भारी मंदी आने के संकेत मिले हैं।
अगस्त महीने में ही सरकार की नीतियों पर उस समय बड़ा सवाल खड़ा किया जाने लगा जब बिस्कुट बनाने वाली प्रसिद्ध कंपनी पारले ने मंदी के कारण अपने दस हजार कर्मचारियों को हटाने की आशंका जता दी। इसी बीच कृषि विकास दर के भी लगातार नीचे जाने की खबर भी आई है। कहना गलत न होगा कि अगस्त का महीना सरकार के लिए बड़ी परीक्षा की घड़ी साबित हुआ है।
केंद्र में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए अगस्त का महीना बार-बार भारी पड़ा। इस दौरान उसने अपने चार महत्त्वपूर्ण नेता खो दिए। सबसे पहले छः अगस्त को पार्टी की प्रखर वक्ता रहीं सुषमा स्वराज परलोक सिधार गईं तो शनिवार 24 अगस्त को अरुण जेटली ने दुनिया को अलविदा कह दिया। इसी बीच 21 अगस्त को पार्टी के वरिष्ठ नेता बाबू लाल गौर भी नहीं रहे जो मध्य प्रदेश में भाजपा के कद्दावर नेता थे।
वे मध्यप्रदेश के 16वें मुख्यमंत्री थे और गोविंदपुरा सीट से दस बार विधायक चुने गए थे। इससे पिछले वर्ष भी अगस्त का महीना भाजपा पर तब भारी पड़ा था जब उसके तीन बार के प्रधानमंत्री और पार्टी संस्थापक नेताओं में से एक अटल बिहारी वाजपेयी की मौत हो गई थी। अटल बिहारी वाजपेयी का देहावसान 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में हो गया था।
अर्थव्यवस्था पर भी पड़ी भारी मार
भाजपा ने अगस्त महीने में न सिर्फ अपने प्रिय नेता खो दिए, बल्कि इसी अगस्त के दौरान देश की अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी एक के बाद एक, कई बुरी खबरें आईं। ऑटो सेक्टर ने पिछले बीस वर्षों में सबसे ज्यादा सुस्ती होने की जानकारी दी कई प्रमुख कंपनियों में काम रोकने और छंटनी की खबरें सामने आई हैं। इसी दौरान वस्त्र उद्योग, चमड़ा उद्योग और निर्माण क्षेत्र में भी भारी मंदी आने के संकेत मिले हैं।
अगस्त महीने में ही सरकार की नीतियों पर उस समय बड़ा सवाल खड़ा किया जाने लगा जब बिस्कुट बनाने वाली प्रसिद्ध कंपनी पारले ने मंदी के कारण अपने दस हजार कर्मचारियों को हटाने की आशंका जता दी। इसी बीच कृषि विकास दर के भी लगातार नीचे जाने की खबर भी आई है। कहना गलत न होगा कि अगस्त का महीना सरकार के लिए बड़ी परीक्षा की घड़ी साबित हुआ है।