न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sun, 11 Oct 2020 12:38 PM IST
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पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी के साए में जी रही है। पिछले सात महीनों से कोरोना वॉरियर्स अपनी जान को जोखिम में डालकर अन्य लोगों की मदद कर रहे हैं। इस बीमारी के चलते बदकिस्मती से लोगों की मौत हो रही है, ऐसे में उनका दाह संस्कार करने के लिए भी कोरोना वॉरियर्स आगे आ रहे हैं। ऐसे भी कई कोरोना वॉरियर्स हैं, जो दूसरों को बचाते-बचाते खुद इस बीमारी का शिकार हो गए। ऐसे ही एक कोरोना वॉरियर थे, आरिफ खान।
दिल्ली के सीलमपुर इलाके के रहने वाले आरिफ खान की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई। वह एक एंबुलेंस ड्राइवर के तौर पर कोरोना संक्रमित लोगों की मदद करते थे। उनके निधन पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने शोक व्यक्त किया है।
उपराष्ट्रपति ने जताया शोक
उपराष्ट्रपति ने ट्वीट कर कहा, 'कोविड महामारी के विरुद्ध अभियान के समर्पित योद्धा दिल्ली के श्री आरिफ खान की मृत्यु के समाचार से दुखी हूं। महामारी के दिनों में अपनी एंबुलेंस से आपने मृतकों की सम्मानपूर्वक अंत्येष्टि में सहायता की। ऐसे समर्पित नागरिक की मृत्यु समाज के लिए क्षति है।'
100 से अधिक शवों को दाह संस्कार किया
एंबुलेंस ड्राइवर आरिफ खान ने अपनी जान की परवाह किए बगैर 200 से ज्यादा कोरोना मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाया। इसके अलावा आरिफ ने समाज सेवा का भाव प्रकट करते हुए 100 से अधिक शवों को अंत्येष्टि के लिए श्मशान घाट पहुंचाया और उनका दाह संस्कार किया। इस दौरान वह खुद भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए। दिल्ली के हिंदूराव अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, जहां शनिवार सुबह उनका निधन हो गया।
यह भी पढ़ें: Covaxin Update: देसी कोरोना वैक्सीन के अंतिम चरण का ट्रायल जल्द, जानें क्या है ताजा अपडेट
भगत सिंह सेवा दल के साथ काम करते थे आरिफ
आरिफ खान पिछले 25 साल से शहीद भगत सिंह सेवा दल से जुड़े हुए थे। वह एंबुलेंस की सेवा मुहैया कराने का काम करते थे। जब कोरोना का प्रकोप भारत में गहराने लगा तो उस दौरान आरिफ खान मरीजों को उनके घर से अस्पताल और आइसोलेशन सेंटर तक ले जाने का काम करते थे। शहीद भगत सिंह सेवा दल फ्री में दिल्ली-एनसीआर में एंबुलेंस सेवाएं देता है।
काम के प्रति पूरी तरह समर्पित थे आरिफ खान
शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जिंतेंद्र सिंह शंटी ने बताया कि आरिफ एक जिंदादिल आदमी थे। उन्होंने कहा कि मुस्लिम होकर भी आरिफ ने अपने हाथों से 100 से अधिक हिंदुओं का अंतिम संस्कार किया।
शंटी ने बताया कि कोरोना से आरिफ के निधन के बाद परिवार को दूर से ही शव को देखने दिया गया। उनका अंतिम संस्कार मैंने अपने हाथों से किया। उन्होंने बताया कि आरिफ अपने कार्य के प्रति पूरी तरह समर्पित रहते थे। उन्होंने कई मौको पर रात के दो बजे मरीजों को अस्पताल पहुंचाया। मरीजों की मौत हो जाने पर उनका अंतिम संस्कार भी किया।
परिवार को मिले आर्थिक सहायता
शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जिंतेंद्र सिंह शंटी ने बताया कि आरिफ आर्थिक रूप से कमजोर कोरोना मरीजों के परिजनों की मदद भी करते थे। कई बार उन्हें वह पैसे देकर मदद करते थे। कोरोना संक्रमित होने के बाद भी वह मरीज को अस्पताल पहुंचाने का काम कर रहे थे। शंटी ने सरकार से मांग की है कि उनके परिजनों को एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए।
पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी के साए में जी रही है। पिछले सात महीनों से कोरोना वॉरियर्स अपनी जान को जोखिम में डालकर अन्य लोगों की मदद कर रहे हैं। इस बीमारी के चलते बदकिस्मती से लोगों की मौत हो रही है, ऐसे में उनका दाह संस्कार करने के लिए भी कोरोना वॉरियर्स आगे आ रहे हैं। ऐसे भी कई कोरोना वॉरियर्स हैं, जो दूसरों को बचाते-बचाते खुद इस बीमारी का शिकार हो गए। ऐसे ही एक कोरोना वॉरियर थे, आरिफ खान।
दिल्ली के सीलमपुर इलाके के रहने वाले आरिफ खान की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई। वह एक एंबुलेंस ड्राइवर के तौर पर कोरोना संक्रमित लोगों की मदद करते थे। उनके निधन पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने शोक व्यक्त किया है।
उपराष्ट्रपति ने जताया शोक
उपराष्ट्रपति ने ट्वीट कर कहा, 'कोविड महामारी के विरुद्ध अभियान के समर्पित योद्धा दिल्ली के श्री आरिफ खान की मृत्यु के समाचार से दुखी हूं। महामारी के दिनों में अपनी एंबुलेंस से आपने मृतकों की सम्मानपूर्वक अंत्येष्टि में सहायता की। ऐसे समर्पित नागरिक की मृत्यु समाज के लिए क्षति है।'
100 से अधिक शवों को दाह संस्कार किया
एंबुलेंस ड्राइवर आरिफ खान ने अपनी जान की परवाह किए बगैर 200 से ज्यादा कोरोना मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाया। इसके अलावा आरिफ ने समाज सेवा का भाव प्रकट करते हुए 100 से अधिक शवों को अंत्येष्टि के लिए श्मशान घाट पहुंचाया और उनका दाह संस्कार किया। इस दौरान वह खुद भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए। दिल्ली के हिंदूराव अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, जहां शनिवार सुबह उनका निधन हो गया।
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भगत सिंह सेवा दल के साथ काम करते थे आरिफ
आरिफ खान पिछले 25 साल से शहीद भगत सिंह सेवा दल से जुड़े हुए थे। वह एंबुलेंस की सेवा मुहैया कराने का काम करते थे। जब कोरोना का प्रकोप भारत में गहराने लगा तो उस दौरान आरिफ खान मरीजों को उनके घर से अस्पताल और आइसोलेशन सेंटर तक ले जाने का काम करते थे। शहीद भगत सिंह सेवा दल फ्री में दिल्ली-एनसीआर में एंबुलेंस सेवाएं देता है।
काम के प्रति पूरी तरह समर्पित थे आरिफ खान
शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जिंतेंद्र सिंह शंटी ने बताया कि आरिफ एक जिंदादिल आदमी थे। उन्होंने कहा कि मुस्लिम होकर भी आरिफ ने अपने हाथों से 100 से अधिक हिंदुओं का अंतिम संस्कार किया।
शंटी ने बताया कि कोरोना से आरिफ के निधन के बाद परिवार को दूर से ही शव को देखने दिया गया। उनका अंतिम संस्कार मैंने अपने हाथों से किया। उन्होंने बताया कि आरिफ अपने कार्य के प्रति पूरी तरह समर्पित रहते थे। उन्होंने कई मौको पर रात के दो बजे मरीजों को अस्पताल पहुंचाया। मरीजों की मौत हो जाने पर उनका अंतिम संस्कार भी किया।
परिवार को मिले आर्थिक सहायता
शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जिंतेंद्र सिंह शंटी ने बताया कि आरिफ आर्थिक रूप से कमजोर कोरोना मरीजों के परिजनों की मदद भी करते थे। कई बार उन्हें वह पैसे देकर मदद करते थे। कोरोना संक्रमित होने के बाद भी वह मरीज को अस्पताल पहुंचाने का काम कर रहे थे। शंटी ने सरकार से मांग की है कि उनके परिजनों को एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए।