हिमांशु मिश्र, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Updated Fri, 24 Apr 2020 06:05 AM IST
नई दिल्ली में निजामुद्दीन इलाके में लॉकडाउन के दौरान दवा का छिड़काव करता दमकल कर्मी।
- फोटो : PTI
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कोरोना के कारण सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना जरूरी है। हालत इतने नाजुक हैं कि सरकार आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए तीन मई के बाद लॉकडाउन बढ़ाने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में महानगरों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाकर ही सुधारा जा सकता है। हालांकि, सरकार के लिए मुश्किल यह है कि ऐसे महानगर ही कोरोना की मार से सर्वाधिक त्रस्त हैं।
सरकार के वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक, महानगरों में लॉकडाउन जारी रखने जैसा कोई विकल्प नहीं बचा है। मुश्किल यह है कि आर्थिक गतिविधियों को गति देने वाले मुंबई, पुणे, दिल्ली, जयपुर, इंदौर, चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद जैसे महानगरों में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या घट नहीं रही। चूंकि आर्थिक गतिविधियों को अब अधिक समय तक ठप रखने का विकल्प नहीं बचा है।
ऐसे हालात से निपटने के लिए रोडमैप तैयार किए जा रहे हैं। सरकार की योजना अगले एक सप्ताह में इन महानगरों में कम से कम 5 लाख लोगों का कोरोना टेस्ट करने का है। इसके अलावा इन महानगरों में कंटेंमेंट जोन की संख्या बढ़ाकर तीन गुना करना है। योजना है कि हॉटस्पॉट पूरी तरह सील कर आर्थिक गतिविधियां शुरू की जाएं।
मेट्रो शहरों में हालात भयावह
महानगरों में संक्रमितों की संख्या ही तेजी से नहीं बढ़ रही, बल्कि इससे संक्रमित लोगों को स्वस्थ होने का दर भी बेहद कम है। दिल्ली को छोड़ कर अन्य सभी महानगरों में यह दर राष्ट्रीय औसत से भी कम है। स्वस्थ होने का राष्ट्रीय स्तर 19 फीसदी है। जबकि जयपुर-इंदौर में यह दर महज 8 फीसदी, मुंबई में 13 फीसदी और अहमदाबाद में 10 फीसदी ही है। पूरे पूणे शहर को ही कंटेन्मेंट जोन घोषित किया जा चुका है।
पीएमओ की हालात पर नजर...
कोरोना से जंग के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में बनाया गया मंत्री समूह (जीओएम) बीते पांच दिनों ने इन्हीं महानगरों के लिए अलग-अलग रोडमैप बनाने में जुटा है। जीओएम की सलाह पर ही बीते हफ्ते इन महानगरों में कोरोना टेस्ट तीन गुना बढ़ाए गए। अब इसे अगले एक हफ्ते में तीन गुना और बढ़ाने की है। रणनीति यह है कि किसी भी तरह इन महानगरों में आर्थिक गतिविधियों की शुरुआत की जा सके।
दरअसल देश की अर्थव्यवस्था में कोरोना संकट के पहले से ही सुस्ती थी। इसी बीच कोरोना महामारी ने इसे सबसे बड़ी समस्या बना दिया। सूत्रों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण ठप पर आर्थिक गतिविधियों के कारण सैकड़ों कंपनियां दिवालिया होने की कगाड़ पर है। कई कंपनियों औने पौने दामों पर शेयर बेच कर चुनौती का सामना करने में जुटी हैं। कैबिनेट बैठक में छह महीने तक कंपनियों द्वारा खुद को दीवालिया घोषित करने पर रोक लगा दी गई।
प्रोत्साहन पैकेज पर भी मंथन...
उद्योगों को हुए नुकसान से बचाने के लिए सरकार में शीर्ष स्तर पर प्रोत्साहन पैकेज पर विमर्श हो रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की पीएम मोदी के साथ कई बैठकें हुई हैं। जीओएम ने भी रोडमैप तैयार किया है। पीएम खुद आर्थिक विशेषज्ञों से संपर्क में हैं। सरकार जल्द ही प्रोत्साहन पैकेज जारी कर सकती है।
कोरोना के कारण सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना जरूरी है। हालत इतने नाजुक हैं कि सरकार आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए तीन मई के बाद लॉकडाउन बढ़ाने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में महानगरों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाकर ही सुधारा जा सकता है। हालांकि, सरकार के लिए मुश्किल यह है कि ऐसे महानगर ही कोरोना की मार से सर्वाधिक त्रस्त हैं।
सरकार के वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक, महानगरों में लॉकडाउन जारी रखने जैसा कोई विकल्प नहीं बचा है। मुश्किल यह है कि आर्थिक गतिविधियों को गति देने वाले मुंबई, पुणे, दिल्ली, जयपुर, इंदौर, चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद जैसे महानगरों में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या घट नहीं रही। चूंकि आर्थिक गतिविधियों को अब अधिक समय तक ठप रखने का विकल्प नहीं बचा है।
ऐसे हालात से निपटने के लिए रोडमैप तैयार किए जा रहे हैं। सरकार की योजना अगले एक सप्ताह में इन महानगरों में कम से कम 5 लाख लोगों का कोरोना टेस्ट करने का है। इसके अलावा इन महानगरों में कंटेंमेंट जोन की संख्या बढ़ाकर तीन गुना करना है। योजना है कि हॉटस्पॉट पूरी तरह सील कर आर्थिक गतिविधियां शुरू की जाएं।
मेट्रो शहरों में हालात भयावह
महानगरों में संक्रमितों की संख्या ही तेजी से नहीं बढ़ रही, बल्कि इससे संक्रमित लोगों को स्वस्थ होने का दर भी बेहद कम है। दिल्ली को छोड़ कर अन्य सभी महानगरों में यह दर राष्ट्रीय औसत से भी कम है। स्वस्थ होने का राष्ट्रीय स्तर 19 फीसदी है। जबकि जयपुर-इंदौर में यह दर महज 8 फीसदी, मुंबई में 13 फीसदी और अहमदाबाद में 10 फीसदी ही है। पूरे पूणे शहर को ही कंटेन्मेंट जोन घोषित किया जा चुका है।
पीएमओ की हालात पर नजर...
कोरोना से जंग के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में बनाया गया मंत्री समूह (जीओएम) बीते पांच दिनों ने इन्हीं महानगरों के लिए अलग-अलग रोडमैप बनाने में जुटा है। जीओएम की सलाह पर ही बीते हफ्ते इन महानगरों में कोरोना टेस्ट तीन गुना बढ़ाए गए। अब इसे अगले एक हफ्ते में तीन गुना और बढ़ाने की है। रणनीति यह है कि किसी भी तरह इन महानगरों में आर्थिक गतिविधियों की शुरुआत की जा सके।
क्यों है चिंता...
दरअसल देश की अर्थव्यवस्था में कोरोना संकट के पहले से ही सुस्ती थी। इसी बीच कोरोना महामारी ने इसे सबसे बड़ी समस्या बना दिया। सूत्रों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण ठप पर आर्थिक गतिविधियों के कारण सैकड़ों कंपनियां दिवालिया होने की कगाड़ पर है। कई कंपनियों औने पौने दामों पर शेयर बेच कर चुनौती का सामना करने में जुटी हैं। कैबिनेट बैठक में छह महीने तक कंपनियों द्वारा खुद को दीवालिया घोषित करने पर रोक लगा दी गई।
प्रोत्साहन पैकेज पर भी मंथन...
उद्योगों को हुए नुकसान से बचाने के लिए सरकार में शीर्ष स्तर पर प्रोत्साहन पैकेज पर विमर्श हो रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की पीएम मोदी के साथ कई बैठकें हुई हैं। जीओएम ने भी रोडमैप तैयार किया है। पीएम खुद आर्थिक विशेषज्ञों से संपर्क में हैं। सरकार जल्द ही प्रोत्साहन पैकेज जारी कर सकती है।