न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Wed, 04 Mar 2020 12:12 PM IST
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2012 के निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मौत की सजा पाए चारों दोषियों की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य जांच कराने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से बुधवार को इनकार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की पीठ ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि इसे सबसे पहले एनएचआरसी के समक्ष पेश किया जाना चाहिए। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को एक दोषी की दया याचिका का निस्तारण लंबित होने की वजह से दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। मामले में सभी दोषियों को एक साथ मंगलवार को फांसी दी जानी थी।
दोषियों की फांसी के लिए तिहाड़ के अंदर सभी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं। हालांकि सोमवार की शाम पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक फांसी पर रोक लगा दी। सजा को टालते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष लंबित दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका के निस्तारण तक फांसी नहीं दी जा सकती।
न्यायाधीश ने कहा कि किसी भी दोषी के मन में अपने रचयिता से मिलते समय ये शिकायत नहीं होनी चाहिए कि देश की अदालत ने उसे कानूनी उपायों का इस्तेमाल करने की इजाजत देने में निष्पक्ष रूप से काम नहीं किया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2012 के निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मौत की सजा पाए चारों दोषियों की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य जांच कराने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से बुधवार को इनकार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की पीठ ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि इसे सबसे पहले एनएचआरसी के समक्ष पेश किया जाना चाहिए। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को एक दोषी की दया याचिका का निस्तारण लंबित होने की वजह से दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। मामले में सभी दोषियों को एक साथ मंगलवार को फांसी दी जानी थी।
दोषियों की फांसी के लिए तिहाड़ के अंदर सभी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं। हालांकि सोमवार की शाम पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक फांसी पर रोक लगा दी। सजा को टालते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष लंबित दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका के निस्तारण तक फांसी नहीं दी जा सकती।
न्यायाधीश ने कहा कि किसी भी दोषी के मन में अपने रचयिता से मिलते समय ये शिकायत नहीं होनी चाहिए कि देश की अदालत ने उसे कानूनी उपायों का इस्तेमाल करने की इजाजत देने में निष्पक्ष रूप से काम नहीं किया।