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रेलवे ने देश की सबसे लंबी ट्रेन वासुकी चलाकर एक और कीर्तिमान स्थापित कर लिया है। यह ट्रेन साढ़े तीन किलोमीटर लंबी है और इसे पांच इंजन खींच रहे हैं। पांचों इंजन के तालमेल के लिए इसे इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल से जोड़ा गया है, ताकि बेहतर सामंजस्य बनाकर 295 डिब्बों को पटरी पर दौड़ा सके।
रेलवे ने एक तरफ देश की सबसे तेज गति से चलने वाली वंदे भारत जैसी 44 ट्रेन के निर्माण करने के लिए ठेका दे दिया है तो दूसरी तरफ वासुकी नाग नाम की सबसे लंबी मालगाड़ी चलाकर रिकार्ड बनाया है। इसके पहले भारत में जो सबसे लंबी ट्रेन चली है उसे शेषनाग का नाम दिया गया था, इसे चार ट्रेनों को जोड़कर चलाया गया था। इसके भी पूर्व तीन ट्रेनों को जोड़कर एनाकोंडा ट्रेन चलाई गई थी। अब आगे बढ़ते हुए रेलवे ने वासुकी नाग के नाम पर ट्रेन चलाई है। यह ट्रेन रायपुर रेल मंडल के भिलाई से बिलासपुर रेलमंडल के कोरबा के लिए चली है।
मालगाड़ी के खाली डिब्बे को पहुंचाने के लिए चलाई गई ट्रेन
खाली मालगाड़ी के डिब्बे को एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाने के लिए इस तरह की ट्रेन चलाई गई है। जो अपने आप में एक अनूठा रिकॉर्ड है। उल्लेखनीय है कि मालगाड़ी के लिए अलग से बनी ट्रैक जिसे डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का नाम दिया गया है। दावा है कि उस पर डेढ़ किलोमीटर लंबी ट्रेन चलेगी। जबकि इससे आगे बढ़ते हुए रेलवे ने साढ़े तीन किलोमीटर लंबी ट्रेन चलाकर इतिहास रचा है।
इस तरह माल गाडिय़ों के परिचालन समय को कम करने, स्टाफ की बचत और उपभोक्ताओं को त्वरित डिलीवरी प्रदान करने के लिए लंबी मालगाड़ियों का परिचालन किया जा रहा है।
विस्तार
रेलवे ने देश की सबसे लंबी ट्रेन वासुकी चलाकर एक और कीर्तिमान स्थापित कर लिया है। यह ट्रेन साढ़े तीन किलोमीटर लंबी है और इसे पांच इंजन खींच रहे हैं। पांचों इंजन के तालमेल के लिए इसे इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल से जोड़ा गया है, ताकि बेहतर सामंजस्य बनाकर 295 डिब्बों को पटरी पर दौड़ा सके।
रेलवे ने एक तरफ देश की सबसे तेज गति से चलने वाली वंदे भारत जैसी 44 ट्रेन के निर्माण करने के लिए ठेका दे दिया है तो दूसरी तरफ वासुकी नाग नाम की सबसे लंबी मालगाड़ी चलाकर रिकार्ड बनाया है। इसके पहले भारत में जो सबसे लंबी ट्रेन चली है उसे शेषनाग का नाम दिया गया था, इसे चार ट्रेनों को जोड़कर चलाया गया था। इसके भी पूर्व तीन ट्रेनों को जोड़कर एनाकोंडा ट्रेन चलाई गई थी। अब आगे बढ़ते हुए रेलवे ने वासुकी नाग के नाम पर ट्रेन चलाई है। यह ट्रेन रायपुर रेल मंडल के भिलाई से बिलासपुर रेलमंडल के कोरबा के लिए चली है।
मालगाड़ी के खाली डिब्बे को पहुंचाने के लिए चलाई गई ट्रेन
खाली मालगाड़ी के डिब्बे को एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाने के लिए इस तरह की ट्रेन चलाई गई है। जो अपने आप में एक अनूठा रिकॉर्ड है। उल्लेखनीय है कि मालगाड़ी के लिए अलग से बनी ट्रैक जिसे डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का नाम दिया गया है। दावा है कि उस पर डेढ़ किलोमीटर लंबी ट्रेन चलेगी। जबकि इससे आगे बढ़ते हुए रेलवे ने साढ़े तीन किलोमीटर लंबी ट्रेन चलाकर इतिहास रचा है।
इस तरह माल गाडिय़ों के परिचालन समय को कम करने, स्टाफ की बचत और उपभोक्ताओं को त्वरित डिलीवरी प्रदान करने के लिए लंबी मालगाड़ियों का परिचालन किया जा रहा है।