न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sat, 01 Sep 2018 11:31 AM IST
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जम्मू-कश्मीर की पहली मुस्लिम महिला पायसट बनीं इरम हबीब (30) इसी महीने गो-एयर ज्वाइन करेंगी। पायलट बनने के बाद इरम का कहना है कि 'सबको यह जानकर आश्चर्य हुआ कि मैं कश्मीरी मुस्लिम हूं और विमान उड़ा रही हूं। लेकिन मैंने अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ना जारी रखा।'
इरम ने आगे कहा कि यह एक संयोग की बात है कि बीते तीन सालों में 50 और कश्मीरी महिलाएं कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन के चालक दल में शामिल हुई हैं। बता दें इरम से पहले कश्मीरी पंडित तन्वी रैना 2016 में घाटी की पहली महिला पायलट बनी थीं।
इरम ने बताया कि उन्होंने अमेरिका में 260 घंटे तक विमान उड़ाने का अनुभव लिया है। जिसके बाद उन्हें अमेरिका और कनाडा में व्यवसायिक विमान उड़ाने का लाइसेंस भी मिल गया। इरम का कहना है कि वह बचपन से ही पायलट बनना चाहती थीं। उन्होंने वानिकी में स्नातक की पढ़ाई देहरादून से की और इसके बाद शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया।
जम्मू-कश्मीर की पहली मुस्लिम महिला पायसट बनीं इरम हबीब (30) इसी महीने गो-एयर ज्वाइन करेंगी। पायलट बनने के बाद इरम का कहना है कि 'सबको यह जानकर आश्चर्य हुआ कि मैं कश्मीरी मुस्लिम हूं और विमान उड़ा रही हूं। लेकिन मैंने अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ना जारी रखा।'
इरम ने आगे कहा कि यह एक संयोग की बात है कि बीते तीन सालों में 50 और कश्मीरी महिलाएं कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन के चालक दल में शामिल हुई हैं। बता दें इरम से पहले कश्मीरी पंडित तन्वी रैना 2016 में घाटी की पहली महिला पायलट बनी थीं।
इरम ने बताया कि उन्होंने अमेरिका में 260 घंटे तक विमान उड़ाने का अनुभव लिया है। जिसके बाद उन्हें अमेरिका और कनाडा में व्यवसायिक विमान उड़ाने का लाइसेंस भी मिल गया। इरम का कहना है कि वह बचपन से ही पायलट बनना चाहती थीं। उन्होंने वानिकी में स्नातक की पढ़ाई देहरादून से की और इसके बाद शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया।