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पटना से चली हलचल पर दिल्ली में लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान को मां रीना पासवान को राज्यसभा चुनाव में उतारने का फैसला लेना है। चिराग का यह निर्णय उनको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हनुमान होने की पहली अग्निपरीक्षा से गुजारेगा। दूसरी अग्निपरीक्षा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की होगी कि वह अपने मित्र, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को राज्यसभा में जितवाकर भिजवाएं।
महागठबंधन ने तेजस्वी पर छोड़ा फैसला
कांग्रेस के बिहार के नेता कहते हैं कि महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव जो फैसला करेंगे, उन्हें मंजूर होगा। वहीं, राष्ट्रीय जनता दल के अंदरखाने में इसको लेकर सुगबुगाहट तेज है। राजद के नेता मान रहे हैं कि यह तो लालू प्रसाद यादव के सामाजिक समीकरण पर भी फिट बैठेगा।
चिराग ने भेजा था भाजपा को संदेश
महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि एनडीए के साथ लोजपा की बनी सहमति के आधार पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन से खाली हुई राज्यसभा की सीट लोजपा के खाते में जानी चाहिए। चिराग पासवान ने इस सीट पर अपनी मां रीना पासवान को प्रत्याशी बनाने का भाजपा के शीर्ष नेताओं के पास संदेश भी भिजवाया था, लेकिन भाजपा ने सुशील कुमार मोदी को प्रत्याशी घोषित किया है। ऐसे में जब बिहार में लोजपा एनडीए से अलग है तो फिर चिराग को दिक्कत नहीं होनी चाहिए। चिराग अपने आप को प्रधानमंत्री मोदी का हनुमान बता चुके हैं, इसलिए देखना है कि वह क्या निर्णय लेते हैं।
राजद की निगाह चिड़िया की आंख पर
सबसे दिलचस्प है तेजस्वी का अपने राजनीतिक बड़े भाई चिराग से तालमेल। चिराग के करीबी सूत्र बताते हैं कि दोनों में लगातार संवाद की स्थिति रहती है। जिस तरह से तेजस्वी यादव ने बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला और नीतीश कुमार ने आपा खोया, उससे चिराग पासवान के दिल को काफी ठंडक पहुंची है।
चिराग की मौन सहमति
सूत्रों की मानें तो तेजस्वी के इस कदम का चिराग ने मौन समर्थन किया है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इसके बाद दोनों में फोन पर भी बात हुई है।
बदल रहे बिहार के समीकरण
कुलमिलाकर बिहार की राजनीति सामाजिक समीकरण के लिहाज से एक बार फिर पैंतरा बदलने के मूड में नजर आ रही है। भाजपा जहां पिछड़े समाज से दो नेताओं को मुख्यमंत्री बनाकर अपने सामाजिक समीकरण का संदेश दिया है, वहीं राजद के नेता भी भविष्य की राजनीति को लेकर सावधान नजर आ रहे हैं।
तिवारी बोले, नीतीश की राजनीति का अवसान दिख रहा
राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संयम खोने को उनकी भड़ास बताया है। इसके पीछे का आधार नीतीश कुमार की चिराग से बढ़ी चिढ़ और भाजपा से चिराग को नसीहत मिलने की बजाय मिला प्रश्रय बताया जा रहा है। राजद के नेता इसे भाजपा के भविष्य के रोड मैप और नीतीश की राजनीति के अवसान के रूप में देख रहे हैं। इसलिए राजद अब नीतीश को निशाने पर रखकर उनके (नीतीश) राजनीतिक वोटबैंक में सेंधमारी की तरफ बढ़ रहा है। चिराग के साथ रिश्तों का तालमेल भी इसी दिशा में माना जा रहा है।
सार
- राजद रीना पासवान को बनाना चाहता है राज्यसभा उम्मीदवार
- कांग्रेस के रणनीतिकारों को भी होगा मंजूर
विस्तार
पटना से चली हलचल पर दिल्ली में लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान को मां रीना पासवान को राज्यसभा चुनाव में उतारने का फैसला लेना है। चिराग का यह निर्णय उनको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हनुमान होने की पहली अग्निपरीक्षा से गुजारेगा। दूसरी अग्निपरीक्षा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की होगी कि वह अपने मित्र, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को राज्यसभा में जितवाकर भिजवाएं।
महागठबंधन ने तेजस्वी पर छोड़ा फैसला
कांग्रेस के बिहार के नेता कहते हैं कि महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव जो फैसला करेंगे, उन्हें मंजूर होगा। वहीं, राष्ट्रीय जनता दल के अंदरखाने में इसको लेकर सुगबुगाहट तेज है। राजद के नेता मान रहे हैं कि यह तो लालू प्रसाद यादव के सामाजिक समीकरण पर भी फिट बैठेगा।
चिराग ने भेजा था भाजपा को संदेश
महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि एनडीए के साथ लोजपा की बनी सहमति के आधार पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन से खाली हुई राज्यसभा की सीट लोजपा के खाते में जानी चाहिए। चिराग पासवान ने इस सीट पर अपनी मां रीना पासवान को प्रत्याशी बनाने का भाजपा के शीर्ष नेताओं के पास संदेश भी भिजवाया था, लेकिन भाजपा ने सुशील कुमार मोदी को प्रत्याशी घोषित किया है। ऐसे में जब बिहार में लोजपा एनडीए से अलग है तो फिर चिराग को दिक्कत नहीं होनी चाहिए। चिराग अपने आप को प्रधानमंत्री मोदी का हनुमान बता चुके हैं, इसलिए देखना है कि वह क्या निर्णय लेते हैं।
राजद की निगाह चिड़िया की आंख पर
सबसे दिलचस्प है तेजस्वी का अपने राजनीतिक बड़े भाई चिराग से तालमेल। चिराग के करीबी सूत्र बताते हैं कि दोनों में लगातार संवाद की स्थिति रहती है। जिस तरह से तेजस्वी यादव ने बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला और नीतीश कुमार ने आपा खोया, उससे चिराग पासवान के दिल को काफी ठंडक पहुंची है।
चिराग की मौन सहमति
सूत्रों की मानें तो तेजस्वी के इस कदम का चिराग ने मौन समर्थन किया है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इसके बाद दोनों में फोन पर भी बात हुई है।
बदल रहे बिहार के समीकरण
कुलमिलाकर बिहार की राजनीति सामाजिक समीकरण के लिहाज से एक बार फिर पैंतरा बदलने के मूड में नजर आ रही है। भाजपा जहां पिछड़े समाज से दो नेताओं को मुख्यमंत्री बनाकर अपने सामाजिक समीकरण का संदेश दिया है, वहीं राजद के नेता भी भविष्य की राजनीति को लेकर सावधान नजर आ रहे हैं।
तिवारी बोले, नीतीश की राजनीति का अवसान दिख रहा
राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संयम खोने को उनकी भड़ास बताया है। इसके पीछे का आधार नीतीश कुमार की चिराग से बढ़ी चिढ़ और भाजपा से चिराग को नसीहत मिलने की बजाय मिला प्रश्रय बताया जा रहा है। राजद के नेता इसे भाजपा के भविष्य के रोड मैप और नीतीश की राजनीति के अवसान के रूप में देख रहे हैं। इसलिए राजद अब नीतीश को निशाने पर रखकर उनके (नीतीश) राजनीतिक वोटबैंक में सेंधमारी की तरफ बढ़ रहा है। चिराग के साथ रिश्तों का तालमेल भी इसी दिशा में माना जा रहा है।