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शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को भाजपा द्वारा राज्य की महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को अप्राकृतिक बताए जाने की निंदा करते हुए कहा कि यह सरकार ‘प्राकृतिक’ है और अपना कार्यकाल पूरा करेगी।
कहा- कोविड-19 का प्रकोप, बाढ़, चक्रवात और लॉकडाउन की दिक्कतें न होतीं, तो राज्य की स्थिति कुछ अलग होती
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के साप्ताहिक कॉलम ‘रोकटोक’ में राउत ने पिछले साल गठबंधन को लेकर हुई बातचीत को याद किया कि किस तरह राकांपा प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर तीखी बहस हुई थी। उन्होंने कहा कि पवार ने अपने कागज समेटे और गुस्से से कमरा छोड़कर चले गए थे। मैंने पवार को कभी गुस्से में नहीं देखा था।
राउत ने कहा कि अगली सुबह (23 नवंबर को) भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस और राकांपा नेता अजित पवार द्वारा राजभवन में शपथ लिए जाने के बाद स्थिति बदल गई। हालांकि, उनकी सरकार 80 घंटों के अंदर गिर गई। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस को मिलाकर बने सत्तारूढ़ गठबंधन महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) को पिछले हफ्ते ‘अप्राकृतिक गठबंधन’ करार देते हुए कहा था कि यह गठबंधन जल्द टूट जाएगा तथा उनकी पार्टी राज्य में मजबूत सरकार देगी।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राउत ने कहा, भाजपा, सरकार के पतन का पूर्वानुमान लगा रही है और यह कैसे किया जाएगा। यह गुप्त गतिविधियों व केंद्रीय जांच एजेंसियों पर निर्भर करता है। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) कुछ भी करे, मैं जिम्मेदारी से कह सकता हूं कि एमवीए की सरकार बनी रहेगी। शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि राजनीति में ‘कोई भी संत नहीं होता’ और न ही सरकार ‘प्राकृतिक’ या ‘अप्राकृतिक’ होती है।
उन्होंने कहा, सरकार जब तक रहती है वह प्राकृतिक होती है। उसे अस्थिर करने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अवैध निर्माण और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपियों को संरक्षण दिया जाता है। राउत ने कहा, अगर ये राजनीतिक दबाव की रणनीति प्राकृतिक हैं, तो ठाकरे सरकार भी प्राकृतिक है। सरकार ने सदन के पटल पर प्रावधानों के तहत अपना बहुमत साबित किया है। उन्होंने कहा कि अगर कोविड-19 का प्रकोप, बाढ़, चक्रवात और लॉकडाउन की दिक्कतें न होतीं, तो राज्य में पिछले एक साल में स्थिति कुछ अलग होती।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को भाजपा द्वारा राज्य की महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को अप्राकृतिक बताए जाने की निंदा करते हुए कहा कि यह सरकार ‘प्राकृतिक’ है और अपना कार्यकाल पूरा करेगी।
कहा- कोविड-19 का प्रकोप, बाढ़, चक्रवात और लॉकडाउन की दिक्कतें न होतीं, तो राज्य की स्थिति कुछ अलग होती
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के साप्ताहिक कॉलम ‘रोकटोक’ में राउत ने पिछले साल गठबंधन को लेकर हुई बातचीत को याद किया कि किस तरह राकांपा प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर तीखी बहस हुई थी। उन्होंने कहा कि पवार ने अपने कागज समेटे और गुस्से से कमरा छोड़कर चले गए थे। मैंने पवार को कभी गुस्से में नहीं देखा था।
राउत ने कहा कि अगली सुबह (23 नवंबर को) भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस और राकांपा नेता अजित पवार द्वारा राजभवन में शपथ लिए जाने के बाद स्थिति बदल गई। हालांकि, उनकी सरकार 80 घंटों के अंदर गिर गई। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस को मिलाकर बने सत्तारूढ़ गठबंधन महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) को पिछले हफ्ते ‘अप्राकृतिक गठबंधन’ करार देते हुए कहा था कि यह गठबंधन जल्द टूट जाएगा तथा उनकी पार्टी राज्य में मजबूत सरकार देगी।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राउत ने कहा, भाजपा, सरकार के पतन का पूर्वानुमान लगा रही है और यह कैसे किया जाएगा। यह गुप्त गतिविधियों व केंद्रीय जांच एजेंसियों पर निर्भर करता है। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) कुछ भी करे, मैं जिम्मेदारी से कह सकता हूं कि एमवीए की सरकार बनी रहेगी। शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि राजनीति में ‘कोई भी संत नहीं होता’ और न ही सरकार ‘प्राकृतिक’ या ‘अप्राकृतिक’ होती है।
उन्होंने कहा, सरकार जब तक रहती है वह प्राकृतिक होती है। उसे अस्थिर करने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अवैध निर्माण और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपियों को संरक्षण दिया जाता है। राउत ने कहा, अगर ये राजनीतिक दबाव की रणनीति प्राकृतिक हैं, तो ठाकरे सरकार भी प्राकृतिक है। सरकार ने सदन के पटल पर प्रावधानों के तहत अपना बहुमत साबित किया है। उन्होंने कहा कि अगर कोविड-19 का प्रकोप, बाढ़, चक्रवात और लॉकडाउन की दिक्कतें न होतीं, तो राज्य में पिछले एक साल में स्थिति कुछ अलग होती।