पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जब अंतिम सांस ली, तब प्रधानमंत्री देश से बाहर थे। प्रधानमंत्री ने भावुकता से भरे शब्दों में अपना दु:ख व्यक्त किया। भाजपा के कई नेता और केंद्र सरकार के कुछ मंत्रियों को एक सवाल काफी परेशान कर रहा है। उनकी चिंता है कि प्रधानमंत्री मोदी से अब कौन अधिकार पूर्वक आंतरिक समस्याओं का समाधान कराएगा? मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के एक पूर्व मंत्री का कहना है कि इस शून्य की भरपाई मुश्किल है।
जेटली की सलाह पीएम नहीं करते थे नजरअंदाज
पूर्व मंत्री ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अरुण जेटली की खूब चलती थी। प्रधानमंत्री पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री की हर सलाह को पूरा मान देते थे। बताते हैं कि कई बार ऐसे अवसर आए जब अरुण जेटली ने हस्तक्षेप करते हुए प्रधानमंत्री से बात की और कोई आंतरिक समस्याओं का समाधान हो गया। राजनीतिक मामलों में भी जेटली एक लाइन लेकर चलते थे। बताते हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली में एक अनूठा रिश्ता था। धर्मेन्द्र प्रधान, निर्मला सीतारमण, पीयुष गोयल जैसी भाजपा की युवा पीढ़ी के नेताओं को आगे बढ़ाने में जेटली का बड़ा योगदान रहा है। उत्तर प्रदेश के कबीना मंत्री श्रीकांत शर्मा, दिल्ली के विधायक ओपी शर्मा, केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर को आगे बढ़ाने में जेटली की अहम भूमिका रही है।
अब मंत्रिमंडल में जेटली जैसा कोई नहीं
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सबसे वरिष्ठ मंत्री हैं। गृहमंत्री अमित शाह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अर्जुन माना जाता है। बावजूद इसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूरी कैबिनेट में जेटली जैसा कोई नहीं है। प्रधानमंत्री और जेटली का रिश्ता मित्रता, सहयोग और एक-दूसरे पर विश्वास का था। राजस्थान से आने वाले एक केंद्रीय मंत्री का कहना है कि जेटली बीमार थे और प्रधानमंत्री की दूसरी कैबिनेट में नहीं थे, लेकिन फिर भी वह थे। प्रधानमंत्री जुलाई में बजट पेश होने से पहले जेटली से मिलकर आए थे। सूत्रों का कहना है कि उनके पास पुख्ता जानकारी है कि प्रधानमंत्री हमेशा अरुण जेटली का हाल-चाल लेते रहते थे। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दूसरी बार सरकार बनने के बाद मंत्रियों के चेहरे और कुछ विभाग में भी जेटली की चली थी। प्रधानमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी का भी मानना है कि अरुण जेटली का जाना एक शून्य पैदा कर गया है, जिसकी भरपाई फिलहाल आसान नहीं है।
जेटली भी चलाते थे सरकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी पहली मोदी सरकार को लेकर आम सोच थी कि तीन लोग मिलकर सरकार चलाते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी का भी यदाकदा व्यंग्य, तंज आता रहता था। इस तरह के व्यंग्यों पर राज्यसभा की लॉबी से सटे अपने तत्कालीन कार्यालय में एक बार चर्चा छिड़ी, तो जेटली अपने अंदाज में मुस्कराकर रह गए। मानों उन्हें बस काम करना है। कौन क्या कह रहा है, उनमें छोटी बातों की क्या परवाह करना? कुछ ऐसा ही जेटली का व्यक्तित्व भी था।
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पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जब अंतिम सांस ली, तब प्रधानमंत्री देश से बाहर थे। प्रधानमंत्री ने भावुकता से भरे शब्दों में अपना दु:ख व्यक्त किया। भाजपा के कई नेता और केंद्र सरकार के कुछ मंत्रियों को एक सवाल काफी परेशान कर रहा है। उनकी चिंता है कि प्रधानमंत्री मोदी से अब कौन अधिकार पूर्वक आंतरिक समस्याओं का समाधान कराएगा? मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के एक पूर्व मंत्री का कहना है कि इस शून्य की भरपाई मुश्किल है।
जेटली की सलाह पीएम नहीं करते थे नजरअंदाज
पूर्व मंत्री ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अरुण जेटली की खूब चलती थी। प्रधानमंत्री पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री की हर सलाह को पूरा मान देते थे। बताते हैं कि कई बार ऐसे अवसर आए जब अरुण जेटली ने हस्तक्षेप करते हुए प्रधानमंत्री से बात की और कोई आंतरिक समस्याओं का समाधान हो गया। राजनीतिक मामलों में भी जेटली एक लाइन लेकर चलते थे। बताते हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली में एक अनूठा रिश्ता था। धर्मेन्द्र प्रधान, निर्मला सीतारमण, पीयुष गोयल जैसी भाजपा की युवा पीढ़ी के नेताओं को आगे बढ़ाने में जेटली का बड़ा योगदान रहा है। उत्तर प्रदेश के कबीना मंत्री श्रीकांत शर्मा, दिल्ली के विधायक ओपी शर्मा, केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर को आगे बढ़ाने में जेटली की अहम भूमिका रही है।
अब मंत्रिमंडल में जेटली जैसा कोई नहीं
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सबसे वरिष्ठ मंत्री हैं। गृहमंत्री अमित शाह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अर्जुन माना जाता है। बावजूद इसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूरी कैबिनेट में जेटली जैसा कोई नहीं है। प्रधानमंत्री और जेटली का रिश्ता मित्रता, सहयोग और एक-दूसरे पर विश्वास का था। राजस्थान से आने वाले एक केंद्रीय मंत्री का कहना है कि जेटली बीमार थे और प्रधानमंत्री की दूसरी कैबिनेट में नहीं थे, लेकिन फिर भी वह थे। प्रधानमंत्री जुलाई में बजट पेश होने से पहले जेटली से मिलकर आए थे। सूत्रों का कहना है कि उनके पास पुख्ता जानकारी है कि प्रधानमंत्री हमेशा अरुण जेटली का हाल-चाल लेते रहते थे। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दूसरी बार सरकार बनने के बाद मंत्रियों के चेहरे और कुछ विभाग में भी जेटली की चली थी। प्रधानमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी का भी मानना है कि अरुण जेटली का जाना एक शून्य पैदा कर गया है, जिसकी भरपाई फिलहाल आसान नहीं है।
जेटली भी चलाते थे सरकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी पहली मोदी सरकार को लेकर आम सोच थी कि तीन लोग मिलकर सरकार चलाते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी का भी यदाकदा व्यंग्य, तंज आता रहता था। इस तरह के व्यंग्यों पर राज्यसभा की लॉबी से सटे अपने तत्कालीन कार्यालय में एक बार चर्चा छिड़ी, तो जेटली अपने अंदाज में मुस्कराकर रह गए। मानों उन्हें बस काम करना है। कौन क्या कह रहा है, उनमें छोटी बातों की क्या परवाह करना? कुछ ऐसा ही जेटली का व्यक्तित्व भी था।
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