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उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक स्थलों पर स्तनपान कॉर्नर बनाए जाएंगे। विभागों की मदद से पहले स्थलों का चिह्नांकन होगा फिर इसको स्तनपान कॉर्नर के रूप में विकसित किया जाएगा। मुरादाबाद सीएमओ और डीएम लखनऊ ने इस संबंध में दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक (बाल स्वास्थ्य) डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि ‘शिशु दुग्ध अनुकल्प, पोषण बोतल और शिशु खाद्य अधिनियम 2003’ के तहत शिशुओं को स्तनपान का मौलिक अधिकार दिया गया है। अधिनियम के उल्लंघन पर पांच हजार रुपये जुर्माना और दो साल कैद का भी प्रावधान है।
अधिनियम के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है जिससे स्तनपान को बढ़ावा मिले। उन्होंने कहा कि सिर्फ उन्हीं परिस्थितियों में बच्चे को ऊपर का दूध संभव है जब मां की मृत्यु हो गई हो, उसे एड्स हो, शिशु का परित्याग किया गया हो या उसे गोद लिया गया हो।
यूनिसेफ की न्यूट्रीशियन डॉ. रिचा एस पांडेय ने कहा कि मां का दूध शिशु के लिए सुरक्षित है। 1 से 7 अगस्त तक चलने वाले सप्ताह का उद्देश्य स्तनपान के प्रति जन जागरूकता को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि शिशुओं के पूर्ण विकास के लिए दो साल तक उसे स्तनपान कराना जरूरी है।
उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक स्थलों पर स्तनपान कॉर्नर बनाए जाएंगे। विभागों की मदद से पहले स्थलों का चिह्नांकन होगा फिर इसको स्तनपान कॉर्नर के रूप में विकसित किया जाएगा। मुरादाबाद सीएमओ और डीएम लखनऊ ने इस संबंध में दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक (बाल स्वास्थ्य) डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि ‘शिशु दुग्ध अनुकल्प, पोषण बोतल और शिशु खाद्य अधिनियम 2003’ के तहत शिशुओं को स्तनपान का मौलिक अधिकार दिया गया है। अधिनियम के उल्लंघन पर पांच हजार रुपये जुर्माना और दो साल कैद का भी प्रावधान है।
अधिनियम के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है जिससे स्तनपान को बढ़ावा मिले। उन्होंने कहा कि सिर्फ उन्हीं परिस्थितियों में बच्चे को ऊपर का दूध संभव है जब मां की मृत्यु हो गई हो, उसे एड्स हो, शिशु का परित्याग किया गया हो या उसे गोद लिया गया हो।
यूनिसेफ की न्यूट्रीशियन डॉ. रिचा एस पांडेय ने कहा कि मां का दूध शिशु के लिए सुरक्षित है। 1 से 7 अगस्त तक चलने वाले सप्ताह का उद्देश्य स्तनपान के प्रति जन जागरूकता को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि शिशुओं के पूर्ण विकास के लिए दो साल तक उसे स्तनपान कराना जरूरी है।