न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ
Updated Thu, 29 Nov 2018 07:18 PM IST
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भगवान हनुमान दलित जाति नहीं बल्कि जनजाति से संबंध रखते थे। यह दावा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नन्द कुमार ने गुरुवार को किया। हनुमान के गोत्र का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पवनपुत्र और केसरीनंदन कहे जाने वाले महावीर बजरंग बली हनुमान दरअसल दलित नहीं, जनजाति के थे। आदिवासियों में कई जनजातियों का गोत्र वानर होता है। इसी आधार पर हनुमान को वानर कहा गया।
राजधानी लखनऊ में मीडिया को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नन्द कुमार साई ने कहा सच यह है कि परम बलशाली प्रभु श्रीराम के परमभक्त, कन्दमूल और फल खाने वाले वनवासी हनुमान वास्तव में जनजाति के ही थे।
नन्द कुमार का यह बयान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हनुमान को दलित बताए जाने के बाद आया है। राजस्थान के अलवर जिले के मालाखेड़ा में एक सभा को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने बजरंगबली को दलित, वनवासी, गिरवासी और वंचित करार दिया था। योगी के मुताबिक बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं जो खुद वनवासी हैं, गिर वासी हैं, दलित हैं और वंचित हैं।
भगवान हनुमान दलित जाति नहीं बल्कि जनजाति से संबंध रखते थे। यह दावा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नन्द कुमार ने गुरुवार को किया। हनुमान के गोत्र का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पवनपुत्र और केसरीनंदन कहे जाने वाले महावीर बजरंग बली हनुमान दरअसल दलित नहीं, जनजाति के थे। आदिवासियों में कई जनजातियों का गोत्र वानर होता है। इसी आधार पर हनुमान को वानर कहा गया।
राजधानी लखनऊ में मीडिया को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नन्द कुमार साई ने कहा सच यह है कि परम बलशाली प्रभु श्रीराम के परमभक्त, कन्दमूल और फल खाने वाले वनवासी हनुमान वास्तव में जनजाति के ही थे।
नन्द कुमार का यह बयान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हनुमान को दलित बताए जाने के बाद आया है। राजस्थान के अलवर जिले के मालाखेड़ा में एक सभा को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने बजरंगबली को दलित, वनवासी, गिरवासी और वंचित करार दिया था। योगी के मुताबिक बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं जो खुद वनवासी हैं, गिर वासी हैं, दलित हैं और वंचित हैं।