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नरेंद्री मोदी की अगुआई में बनने वाली केंद्र की नई सरकार के सामने सबसे अहम चुनौती आर्थिक विकास को पटरी पर लाना है। जिससे कि महंगाई के साथ-साथ नए निवेश और रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर पैदा हो सके।
इस लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में तेजी से कदम तभी बढ़ाया जा सकेगा, जब महीनों से खाली पड़े दर्जन भर से ज्यादा अति महत्वपूर्ण पदों पर उपयुक्त लोगों की नियुक्ति की जाए।
यह पद यूपीए सरकार के समय से खाली पड़े हैं। रिक्त पद भारतीय रिजर्व बैंक से लेकर, बीमा नियामक इरडा, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई), पेंशन फंड नियामक पीएफआरडीए, टीडीसैट और बैंक में खाली हैं। ऐसे में नरेंद्र मोदी को अपने आर्थिक एजेंडे को रफ्तार देने के लिए सबसे पहले इन पदों पर लंबित पड़ी नियुक्तियों को निपटाना होगा।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अमर उजाला को बताया कि कुछ अहम पदों की नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सहमति के लिए फाइल भेजी गई थी, लेकिन उन्होंने आने वाली नई सरकार को देखते हुए इन नियुक्तियों को टाल दिया।
ऐसे में अब अहम पदों पर मोदी सरकार को ही फैसला लेना होगा। वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले पेंशन फंड रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) के चेयरमैन का पद 13 नवंबर 2013 से खाली है। जब तत्कालीन चेयरमैन योगेश अग्रवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके लिए 70 से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया था।
लेकिन छह महीने बीतने के बाद भी अभी तक चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हो पाई है। यह स्थिति तब है, जब नए कानून के तहत पीएफआरडीए को वैधानिक दर्जा मिल चुका है।
इसी तरह मौद्रिक नीति तय करने वाला भारतीय रिजर्व बैंक में चार डिप्टी गवर्नर के पद हैं। इसमें से एक पद तत्कालीन डिप्टी गवर्नर केसी चक्रवर्ती द्वारा कार्यकाल खत्म होने से पहले इस्तीफा देने बाद खाली हुआ है।
इसी तरह डूबते कर्ज को संभालने में नाकाम रही यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की सीएमडी अर्चना भार्गव ने फरवरी 2014 में वीआरएस लिया था, जिसके बाद से बैंक प्रमुख के पद पर नियुक्ति नहीं हो पाई है।
आरबीआई के बाद बीमा नियामक इरडा में भी चेयरमैन और केवल तीन पूर्णकालिक सदस्य काम कर रहे हैं। जबकि वहां पर कुल पांच पूर्णकालिक सदस्य होने चाहिए।
खाली पड़े पदों को जल्द भरने की चुनौती मोदी सरकार के लिए इस कारण भी अहम है, क्योंकि बीमा क्षेत्र लगातार 49 फीसदी एफडीआई की मांग कर रहा है। इससे संबंधित बीमा विधेयक सदन में पेश भी हो चुका है।
एक अन्य नियामक भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई), जो कि कंपनियों के अधिग्रहण, विलय और दूसरे प्रमुख समझौतों पर खास तौर से नजर रखता है, वहां भी एक चेयरमैन के साथ छह सदस्यों की नियुक्त की प्रावधान है।
आयोग में फिलहाल एक सदस्य का पद खाली है। ऐसे ही टेलीकॉम कंपनियों के कानूनी विवादों को हल करने के लिए गठिट टीडीसैट में भी एक सदस्य का पद खाली पड़ा है।
नरेंद्री मोदी की अगुआई में बनने वाली केंद्र की नई सरकार के सामने सबसे अहम चुनौती आर्थिक विकास को पटरी पर लाना है। जिससे कि महंगाई के साथ-साथ नए निवेश और रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर पैदा हो सके।
इस लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में तेजी से कदम तभी बढ़ाया जा सकेगा, जब महीनों से खाली पड़े दर्जन भर से ज्यादा अति महत्वपूर्ण पदों पर उपयुक्त लोगों की नियुक्ति की जाए।
यह पद यूपीए सरकार के समय से खाली पड़े हैं। रिक्त पद भारतीय रिजर्व बैंक से लेकर, बीमा नियामक इरडा, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई), पेंशन फंड नियामक पीएफआरडीए, टीडीसैट और बैंक में खाली हैं। ऐसे में नरेंद्र मोदी को अपने आर्थिक एजेंडे को रफ्तार देने के लिए सबसे पहले इन पदों पर लंबित पड़ी नियुक्तियों को निपटाना होगा।
मोदी को करनी होगी पीएफआरडीए चेयरमैन की नियुक्ति
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अमर उजाला को बताया कि कुछ अहम पदों की नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सहमति के लिए फाइल भेजी गई थी, लेकिन उन्होंने आने वाली नई सरकार को देखते हुए इन नियुक्तियों को टाल दिया।
ऐसे में अब अहम पदों पर मोदी सरकार को ही फैसला लेना होगा। वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले पेंशन फंड रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) के चेयरमैन का पद 13 नवंबर 2013 से खाली है। जब तत्कालीन चेयरमैन योगेश अग्रवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके लिए 70 से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया था।
लेकिन छह महीने बीतने के बाद भी अभी तक चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हो पाई है। यह स्थिति तब है, जब नए कानून के तहत पीएफआरडीए को वैधानिक दर्जा मिल चुका है।
भारतीय रिजर्व बैंक में चार डिप्टी गवर्नर के पद खाली
इसी तरह मौद्रिक नीति तय करने वाला भारतीय रिजर्व बैंक में चार डिप्टी गवर्नर के पद हैं। इसमें से एक पद तत्कालीन डिप्टी गवर्नर केसी चक्रवर्ती द्वारा कार्यकाल खत्म होने से पहले इस्तीफा देने बाद खाली हुआ है।
इसी तरह डूबते कर्ज को संभालने में नाकाम रही यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की सीएमडी अर्चना भार्गव ने फरवरी 2014 में वीआरएस लिया था, जिसके बाद से बैंक प्रमुख के पद पर नियुक्ति नहीं हो पाई है।
इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई लागू करना होगी चुनौती
आरबीआई के बाद बीमा नियामक इरडा में भी चेयरमैन और केवल तीन पूर्णकालिक सदस्य काम कर रहे हैं। जबकि वहां पर कुल पांच पूर्णकालिक सदस्य होने चाहिए।
खाली पड़े पदों को जल्द भरने की चुनौती मोदी सरकार के लिए इस कारण भी अहम है, क्योंकि बीमा क्षेत्र लगातार 49 फीसदी एफडीआई की मांग कर रहा है। इससे संबंधित बीमा विधेयक सदन में पेश भी हो चुका है।
एक अन्य नियामक भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई), जो कि कंपनियों के अधिग्रहण, विलय और दूसरे प्रमुख समझौतों पर खास तौर से नजर रखता है, वहां भी एक चेयरमैन के साथ छह सदस्यों की नियुक्त की प्रावधान है।
आयोग में फिलहाल एक सदस्य का पद खाली है। ऐसे ही टेलीकॉम कंपनियों के कानूनी विवादों को हल करने के लिए गठिट टीडीसैट में भी एक सदस्य का पद खाली पड़ा है।