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उत्तराखंड में बन्नाखेड़ा (बाजपुर) निवासी ओलंपिक खिलाड़ी गुरमीत सिंह ने जापान में चल रही एशियन रेस वॉकिंग चैंपियनशिप में बेहतर प्रदर्शन कर 2016 रियो ओलंपिक के लिए टिकट पक्का कर लिया है।
इस प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन के जरिये गुरमीत ने इसी वर्ष बीजिंग (चीन) में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए भी क्वालीफाई किया है। गुरमीत ने बताया कि 2016 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई टाइम 20 किमी. के लिए एक घंटा 22 मिनट 30 सेकेंड था।
उन्होंने एक घंटा 21 मिनट 30 सेकेंड में रेस पूरी कर ओलंपिक और वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई किया है। गुरमीत इससे पहले 2012 में हुए लंदन ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
गुरमीत सिंह के कोच एक रिटायर्ड एथलीट थे जो स्कूल के बच्चों को प्रशिक्षण दिया करते थे। दोनों ने मिलकर ओलंपिक में रेस वॉकिंग में भारत की मजबूत दावेदारी की। कोचों ने उन्हें अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाला बताकर खारिज कर दिया और वे 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वालिफाइ नहीं कर पाए।
इसके बाद गुरमीत ने रामकृष्ण गांधी से संपर्क साधा। गांधी खुद एक वॉकर रह चुके थे जो 1980 के दशक में राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे जरूर थे लेकिन असफल रहे। गांधी ने उन्हें कड़ा प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया।
उन्होंने गुरमीत को 2010 में उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित किया और पांच महीने की कड़ी मेहनत के बाद 2011 में हुए इंडियन ग्रां प्री-1 में गुरमीत का प्रदर्शन बेहतर रहा।
ओलंपिक में इस कैटगरी में पिछले 28 साल में क्वालिफाई करने वाले वे पहले भारतीय रहे। गुरमीत के पास सुविधाओं की कमी थी। लेकिन उनकी मेहनत ने सबकुछ बदल दिया।
उत्तराखंड में बन्नाखेड़ा (बाजपुर) निवासी ओलंपिक खिलाड़ी गुरमीत सिंह ने जापान में चल रही एशियन रेस वॉकिंग चैंपियनशिप में बेहतर प्रदर्शन कर 2016 रियो ओलंपिक के लिए टिकट पक्का कर लिया है।
इस प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन के जरिये गुरमीत ने इसी वर्ष बीजिंग (चीन) में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए भी क्वालीफाई किया है। गुरमीत ने बताया कि 2016 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई टाइम 20 किमी. के लिए एक घंटा 22 मिनट 30 सेकेंड था।
उन्होंने एक घंटा 21 मिनट 30 सेकेंड में रेस पूरी कर ओलंपिक और वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई किया है। गुरमीत इससे पहले 2012 में हुए लंदन ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
कौन हैं गुरमीत
गुरमीत सिंह के कोच एक रिटायर्ड एथलीट थे जो स्कूल के बच्चों को प्रशिक्षण दिया करते थे। दोनों ने मिलकर ओलंपिक में रेस वॉकिंग में भारत की मजबूत दावेदारी की। कोचों ने उन्हें अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाला बताकर खारिज कर दिया और वे 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वालिफाइ नहीं कर पाए।
इसके बाद गुरमीत ने रामकृष्ण गांधी से संपर्क साधा। गांधी खुद एक वॉकर रह चुके थे जो 1980 के दशक में राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे जरूर थे लेकिन असफल रहे। गांधी ने उन्हें कड़ा प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया।
उन्होंने गुरमीत को 2010 में उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित किया और पांच महीने की कड़ी मेहनत के बाद 2011 में हुए इंडियन ग्रां प्री-1 में गुरमीत का प्रदर्शन बेहतर रहा।
ओलंपिक में इस कैटगरी में पिछले 28 साल में क्वालिफाई करने वाले वे पहले भारतीय रहे। गुरमीत के पास सुविधाओं की कमी थी। लेकिन उनकी मेहनत ने सबकुछ बदल दिया।