ज्योतिष के अनुसार शुक्र अगर किसी जातक की कुंडली में शुभ स्थिति में होते हैं तब जातक का प्रेम और वैवाहिक जीवन सुखमयी रहता है। इसके अलावा भौतिक सुख में किसी भी प्रकार की कमी महसूस नहीं होती है। वहीं दूसरी तरफ अगर कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर स्थिति में हैं तब प्रेम और वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
शुक्र ग्रह 23 अक्टूबर को सिंह राशि की यात्रा समाप्त करके अपने मित्र बुध की राशि कन्या में प्रवेश कर रहे हैं। कन्या राशि शुक्र की नीच संज्ञक राशि है अतः इस राशि पर गोचर करते हुए इनका दोहरा प्रभाव रहता है। अपनी यात्रा के मध्य शुक्र जिस-जिस राशि के केंद्र भाव में विचरण करते जाते हैं उस राशि का नीचभंग योग बनता जाता है, जिस राशि के केंद्रभाव से बाहर रहते हैं उस राशि के लिए नीचसंज्ञक दोष आरंभ हो जाता है। किसी भी जातक की जन्मकुंडली में शुक्र उसके जीवन का आधार हैं इनकी अच्छी स्थिति जातक को सभी ऐश्वर्य प्रदान करते हुए भौतिक सुखों की प्राप्ति कराती है। अशुभ स्थिति में दांपत्य जीवन में कठिनाइयां, संतान हीनता, तथा स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
शुक्र ग्रह 23 अक्टूबर को सिंह राशि की यात्रा समाप्त करके अपने मित्र बुध की राशि कन्या में प्रवेश कर रहे हैं। कन्या राशि शुक्र की नीच संज्ञक राशि है अतः इस राशि पर गोचर करते हुए इनका दोहरा प्रभाव रहता है। अपनी यात्रा के मध्य शुक्र जिस-जिस राशि के केंद्र भाव में विचरण करते जाते हैं उस राशि का नीचभंग योग बनता जाता है, जिस राशि के केंद्रभाव से बाहर रहते हैं उस राशि के लिए नीचसंज्ञक दोष आरंभ हो जाता है। किसी भी जातक की जन्मकुंडली में शुक्र उसके जीवन का आधार हैं इनकी अच्छी स्थिति जातक को सभी ऐश्वर्य प्रदान करते हुए भौतिक सुखों की प्राप्ति कराती है। अशुभ स्थिति में दांपत्य जीवन में कठिनाइयां, संतान हीनता, तथा स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।