राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है। शनि की भांति इन दोनों छाया ग्रहों को क्रूर ग्रह कहा जाता है। लेकिन ज्योतिषशास्त्र में इन दोनों छाया ग्रहों का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता। 18 महीनों के बाद 23 सितंबर को राहु और केतु का राशि परिवर्तन क्रमश: वृषभ और वृश्चिक राशि में हुआ है। ज्योतिष शास्त्र में राहु की विशेष भूमिका होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी किसी जातक की कुंडली में राहु अशुभ भाव में आकर बैठ जाते हैं तो जातक के जीवन में तमाम तरह की परेशानियां आने लगती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी किसी की कुंडली में राहु अशुभ होते हैं तब कुछ खास तरह के संकेत मिलने लगते हैं।
Rahu Transit In Taurus: आज से राहु 18 महीनों के लिए रहेंगे वृषभ राशि में, जानिए किस राशि पर कैसा प्रभाव
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