ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह का विशेष महत्व है। वैदिक ज्योतिष में शनि को न्यायाधीश का दर्जा मिला हुआ है। यह व्यक्ति को कर्मों के अनुसार उन्हें शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि ग्रह दुख, शारीरिक कष्ट, लोहा, तेल तकनीकि और कारागार के कारक माने गए हैं। शनि के कुंडली में शुभ भाव और अपने मित्रों के संग बैठने पर जातक को तमाम तरह के सुख प्रदान करते हैं। लेकिन शनि अगर जातक की कुंडली में अशुभ भाव में बैठे हैं तो व्यक्ति को कई तरह की परेशानियां आरंभ हो जाती है।
गोचर करते हुए शनिदेव आपकी कुंडली के 12 भावों में कैसे देते हैं फल
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