वो कोरोना है तो हम भी इंसान हैं। आज साथ ना होकर भी एक साथ हैं। हम सबके अंदर होता है एक योद्धा, खाली उस योद्धा को जगाना है। इस युद्ध में हर किसी को कोरोना योद्धा बनकर दिखाना है... कोरोना से इस जंग में लिखी गई कविता की यह चंद लाइनें अस्पतालों में ड्यूटी कर रहे पीजीआई, जीएमसीएच-32 व जीएमएसएच-16 के उन हजारों नर्सिंग ऑफिसर के जज्बे को बयां करती हैं जो अपने घर परिवार से दूर रहकर महीनों से कोरोना के मरीजों की सेवा करने में जुटे हुए हैं।
इतना ही नहीं कोरोना से इस जंग में पीपीई किट और मास्क पहनने के कारण इनके चेहरे पर गहरे जख्म हो गए हैं, लेकिन इनकी हिम्मत कम नहीं हुई है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बरते जा रहे एहतियात से उन्हें ड्यूटी के दौरान यह जख्म मिल रहे हैं। इसके बावजूद उनकी हिम्मत कम नहीं हुआ है। वे अपने कर्तव्य से हटने की बजाय दोगुने धैर्य और हिम्मत के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
कोविड-वार्ड में ड्यूटी के दौरान बचाव के लिए पहने जाने वाले पीपीई किट व एन95 मास्क से नर्सिंग ऑफिसर के चेहरे पर गहरे जख्म बन जा रहे हैं। लगातार छह से 7 घंटे तक किट पहनने से उनके नाक और गालों पर फोड़े हो रहे हैं। इतना ही नहीं कइयों को तो नाक से खून बहने की भी समस्या झेलनी पड़ रही है। बावजूद इसके उन्होंने अपनी ड्यूटी बंद नहीं की, बल्कि अस्पताल प्रशासन से कहकर उसे बदलवाया।