'तलब है दीदार तो नजरें बनाए रख, पर्दा हो या किस्मत सरकता जरूर है'...यह शेर इस बार के विश्व कप में शायद दक्षिण अफ्रीकी टीम के लिए फिट बैठे तो कोई हर्ज नहीं। पहले खिताब की तलाश में दक्षिण अफ्रीकी टीम विश्व कप में विजेता बनने को बेकरार है।
वैसे तो विश्व कप में दक्षिण अफ्रीका को मजबूत टीमों में से एक माना जाता है, लेकिन इंग्लैंड की तरह इसे भी विश्व कप में निराशा हाथ लगी है। 1992 में पहला विश्व कप खेलने उतरी दक्षिण अफ्रीकी टीम को पहली बार में ही चोकर का तमगा मिल गया और वो तमगा आज भी उसके किस्मत से चिपका हुआ है।
क्वार्टरफाइनल और सेमीफाइनल तक का सफर तय करने वाली इस टीम को विश्व कप में कमतर आंकने की गलती तो शायद कोई भी टीम नहीं करेगी, लेकिन एबी डीविलियर्स के संन्यास के बाद कप्तान फाफ डू प्सेसिस के सामने प्रोटियाज टीम को पहला विश्व कप दिलाने की मुश्किल चुनौती होगी।
वैसे तो विश्व कप में दक्षिण अफ्रीका को मजबूत टीमों में से एक माना जाता है, लेकिन इंग्लैंड की तरह इसे भी विश्व कप में निराशा हाथ लगी है। 1992 में पहला विश्व कप खेलने उतरी दक्षिण अफ्रीकी टीम को पहली बार में ही चोकर का तमगा मिल गया और वो तमगा आज भी उसके किस्मत से चिपका हुआ है।
क्वार्टरफाइनल और सेमीफाइनल तक का सफर तय करने वाली इस टीम को विश्व कप में कमतर आंकने की गलती तो शायद कोई भी टीम नहीं करेगी, लेकिन एबी डीविलियर्स के संन्यास के बाद कप्तान फाफ डू प्सेसिस के सामने प्रोटियाज टीम को पहला विश्व कप दिलाने की मुश्किल चुनौती होगी।