'लेकिन एक बात मत भूलिये डीएसपी साहब...कि सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है। और, इस शहर में मेरी हैसियत वही है, जो जंगल में शेर की होती है।'
साल 1976 में रिलीज हुई फिल्म कालीचरण का ये डायलॉग सुनकर आज भी अभिनेता अजीत खान याद आते हैं। ये वो दौर था जब हीरो और विलेन बराबर की टक्कर के हुआ करते थे। तब तक विलेन का रूप बदल चुका था। न ही उसके गले रुमाल बंधा होता और न ही उसके बिखरे बाल होते। अजीत साहब के बोलने का अंदाज सधा था कि लोग उन्हें देखकर बस 'वाह' कह पाते। आज ही दिन 1992 में उनका जन्म हुआ था।
साल 1976 में रिलीज हुई फिल्म कालीचरण का ये डायलॉग सुनकर आज भी अभिनेता अजीत खान याद आते हैं। ये वो दौर था जब हीरो और विलेन बराबर की टक्कर के हुआ करते थे। तब तक विलेन का रूप बदल चुका था। न ही उसके गले रुमाल बंधा होता और न ही उसके बिखरे बाल होते। अजीत साहब के बोलने का अंदाज सधा था कि लोग उन्हें देखकर बस 'वाह' कह पाते। आज ही दिन 1992 में उनका जन्म हुआ था।