अनुराग बसु का करियर टेलीविजन से शुरू होकर बड़े परदे से होते हुए मोबाइल तक पहुंच गया है। वह अब डिजिटल के लिए अलग से भी कुछ करने के पक्षधर हैं। उनके पास संवेदनाओं का खजाना है और रुपहले परदे पर बिखेरने को लाखों रंग। पर, अनुराग शुरू से ऐसे नहीं थे। कैसे समय के साथ बदला अनुराग बसु का सिनेमा और परदे पर कहानियां कहने के क्या हैं उनके कारक? बता रहें अनुराग बसु इस खास बातचीत में वरिष्ठ फिल्म समीक्षक पंकज शुक्ल को।