बाहों में भरकर चांद और तारे
गगन का कलेजा जमीं को पुकारे
सांसों से थोड़ी उमर मांगनी है
अच्छी बुरी हर घड़ी बांटनी है
तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है..
अंधेरों से मिल रही रोशनी है....
मशहूर गीतकार संतोष आनंद अधिकतर मनोज कुमार की बनाई फिल्मों के लिए ही गीत लिखते रहे हैं। वह अपने गीतों का सही मोल न वसूल पाने के चलते अपनी पत्नी की झिड़कियां भी सुनते रहे हैं। लेकिन, फिल्म ‘शोर’ के गाने ‘इक प्यार का नगमा है..’ में लिखी उनकी लाइन ‘दो पल के जीवन से एक उम्र चुरानी है, जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है’ पति-पत्नी के रिश्तों के प्रेम का ऐसा संबल है जिसे हर जोड़ा अपने जीवन में अपनाना ही चाहेगा। फिल्म ‘शोर’ साल 1972 में रिलीज हुई। इसके नौ साल बाद रिलीज हुई फिल्म ‘प्यासा सावन’ में संतोष आनंद ने ही लिखी वे पंक्तियां जो मैंने आज के बाइस्कोप की शुरुआत में लिखी हैं। इस गीत की एक खासियत और है। इसे गाया है एक कम नामचीन गायक कमलेश अवस्थी ने। कमलेश अवस्थी ने फिल्म ‘नसीब’ और ‘गोपीचंद जासूस’ में मशहूर गायक मुकेश की तरह पार्श्वगायन करने की कोशिशें कीं। मुकेश तो खैर मुकेश ही ठहरे हालांकि गायिकी में हाथ उन्होंने भी के एल सहगल की तरह गाकर ही पहले पहल आजमाया था। तो फिल्म ‘प्यासा सावन’ पर आज का बाइस्कोप शुरू करते हैं कमलेश अवस्थी के गाए इस बेहद सुरीले गाने से, ये गाना फिल्म में लता मंगेशकर ने भी गाया है। लेकिन पहले सुन लेते हैं, अवस्थी जी को...
पढ़ें: बाइस्कोप: जब जॉन की हेयरस्टाइल का जमाना हुआ दीवाना और अभिषेक ने रिमी सेन के साथ की ‘डर्टी डांसिंग’
गगन का कलेजा जमीं को पुकारे
सांसों से थोड़ी उमर मांगनी है
अच्छी बुरी हर घड़ी बांटनी है
तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है..
अंधेरों से मिल रही रोशनी है....
मशहूर गीतकार संतोष आनंद अधिकतर मनोज कुमार की बनाई फिल्मों के लिए ही गीत लिखते रहे हैं। वह अपने गीतों का सही मोल न वसूल पाने के चलते अपनी पत्नी की झिड़कियां भी सुनते रहे हैं। लेकिन, फिल्म ‘शोर’ के गाने ‘इक प्यार का नगमा है..’ में लिखी उनकी लाइन ‘दो पल के जीवन से एक उम्र चुरानी है, जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है’ पति-पत्नी के रिश्तों के प्रेम का ऐसा संबल है जिसे हर जोड़ा अपने जीवन में अपनाना ही चाहेगा। फिल्म ‘शोर’ साल 1972 में रिलीज हुई। इसके नौ साल बाद रिलीज हुई फिल्म ‘प्यासा सावन’ में संतोष आनंद ने ही लिखी वे पंक्तियां जो मैंने आज के बाइस्कोप की शुरुआत में लिखी हैं। इस गीत की एक खासियत और है। इसे गाया है एक कम नामचीन गायक कमलेश अवस्थी ने। कमलेश अवस्थी ने फिल्म ‘नसीब’ और ‘गोपीचंद जासूस’ में मशहूर गायक मुकेश की तरह पार्श्वगायन करने की कोशिशें कीं। मुकेश तो खैर मुकेश ही ठहरे हालांकि गायिकी में हाथ उन्होंने भी के एल सहगल की तरह गाकर ही पहले पहल आजमाया था। तो फिल्म ‘प्यासा सावन’ पर आज का बाइस्कोप शुरू करते हैं कमलेश अवस्थी के गाए इस बेहद सुरीले गाने से, ये गाना फिल्म में लता मंगेशकर ने भी गाया है। लेकिन पहले सुन लेते हैं, अवस्थी जी को...
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