एक ही दिन रिलीज हुईं ‘स्टार’ और ‘दीदार ए यार’
फिल्म ‘दीदार ए यार’ का बाइस्कोप लिखने के लिए इस कॉलम के प्रशंसकों ने ही मुझे बाध्य किया। सुबह से मैंने मन बनाया था कुमार गौरव के करियर की एक अहम फिल्म ‘स्टार’ की मेकिंग लिखने का। इसके निर्देशक विनोद पांडे से इस पर लंबी बात भी हुई। फिल्म में विनोद खन्ना को साइन करने की कोशिशों पर बात हुई। बात हुई कि कैसे विनोद खन्ना अपनी पत्नी से लड़ने झगड़ने के बाद अपने एक दोस्त कर्नल कपूर के घर रहने लगे थे। उस दौर की सारी हीरोइनें उनसे मिलने इसी फ्लैट पर आतीं और कैसे विनोद खन्ना लोगों को परेशान करने के लिए बैठने की जगह पर एक ऐसा खिलौना चद्दर के नीचे छुपा देते, जिस पर बैठते ही तेज आवाज निकलती और बैठने वाला नरवस हो जाता। लेकिन, फेसबुक पर तमाम लोगों ने ‘स्टार’ के मुकाबले ‘दीदार ए यार’ के बाइस्कोप को तरजीह दी है। तो जनता की पसंद सर माथे पर रख शुरू करते हैं फिल्म ‘दीदार ए यार’ का बाइस्कोप। इस किस्से में कुछ उम्मीदें हैं, कुछ फरियादें हैं। कुछ उसूलों की बातें हैं और कुछ किस्मत की निकली बारातें हैं।
बाइस्कोप: डीडीएलजे की रिलीज को पूरे हुए 25 साल, सिमरन के किरदार ने यूं बदल दी भारतीय युवतियों की छवि
फिल्म ‘दीदार ए यार’ का बाइस्कोप लिखने के लिए इस कॉलम के प्रशंसकों ने ही मुझे बाध्य किया। सुबह से मैंने मन बनाया था कुमार गौरव के करियर की एक अहम फिल्म ‘स्टार’ की मेकिंग लिखने का। इसके निर्देशक विनोद पांडे से इस पर लंबी बात भी हुई। फिल्म में विनोद खन्ना को साइन करने की कोशिशों पर बात हुई। बात हुई कि कैसे विनोद खन्ना अपनी पत्नी से लड़ने झगड़ने के बाद अपने एक दोस्त कर्नल कपूर के घर रहने लगे थे। उस दौर की सारी हीरोइनें उनसे मिलने इसी फ्लैट पर आतीं और कैसे विनोद खन्ना लोगों को परेशान करने के लिए बैठने की जगह पर एक ऐसा खिलौना चद्दर के नीचे छुपा देते, जिस पर बैठते ही तेज आवाज निकलती और बैठने वाला नरवस हो जाता। लेकिन, फेसबुक पर तमाम लोगों ने ‘स्टार’ के मुकाबले ‘दीदार ए यार’ के बाइस्कोप को तरजीह दी है। तो जनता की पसंद सर माथे पर रख शुरू करते हैं फिल्म ‘दीदार ए यार’ का बाइस्कोप। इस किस्से में कुछ उम्मीदें हैं, कुछ फरियादें हैं। कुछ उसूलों की बातें हैं और कुछ किस्मत की निकली बारातें हैं।
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