फिल्म ‘काली खुही’ की कहानी स्कूल में पढ़ने वाली शिवानी की कहानी है। उसके माता पिता की आपस में पटती नहीं। दादी की तबीयत खराब है तो सबको गांव जाना है। गांव जाने से पहले ही शिवानी को एहसास होने लगता है कि कुछ ठीक नहीं है। उधर, गांव में कोई वीराने में बने सूखे कुएं की छत तोड़ देता है। कोई रास्ते में साइकिल वाले को मिलता है। दादी को जो दिखता है, वह जानलेवा है। उनकी बहन पड़ोस में रहती हैं। सारे राज बरसों से सीने में दबाए। दुख इतना है कि चेहरे पर दिखता है। चेहरा ऐसा कि शीशे में उन्होंने बरसों से नहीं देखा। दोनों भौहों के बीच भी बाल उग आए हैं और दोनों भौहें मिलकर एक हो गई हैं। खूबसूरती रही नहीं पर दर्द भी नहीं जाता। शिवानी के माता पिता का गांव पहुंचना, शिवानी का बचपन की सहेली से मिलना, गांव, तालाब, नदी, नाले, बरसात, मेंढक, भैंस, कीचड़ और घना कोहरा। सब कुछ मिलाकर इसकी निर्देशक ने हॉरर का पूरा माहौल बना दिया है।