प्रोड्यूसर नंबर वन का सपना
फिल्म ‘रहना है तेरे दिल में’ हिंदी सिनेमा का एक ऐसा प्रयोग है, जिसे करने की हिम्मत वाशू भगनानी जैसे जिगर वाला फिल्म निर्माता ही कर सकता था। मसाला फिल्में बना बनाकर वाशू ने तब तक खूब पैसा कमा लिया था। टिप्स कैसेट कंपनी के लिए कैसेट्स का हार्डवेयर बनाते रहे वाशू भगनानी ने 1995 में फिल्म ‘कुली नंबर वन’ से फिल्म निर्माण में कदम रखा और बैक टू बैक पांच सुपर डुपर हिट फिल्में बनाईं। ‘कुली नंबर वन’ के बाद उनकी फिल्में जो हिट रहीं उनमें शामिल हैं, ‘हीरो नंबर वन’, ‘प्यार किया तो डरना क्या’, ‘बड़े मियां छोटे मियां’ और ‘बीवी नंबर वन’। इसके बाद वाशू ने अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘तेरा जादू चल गया’ में कीर्ति रेड्डी को और फिल्म ‘मुझे कुछ कहना है’ में तुषार कपूर को करीना कपूर के साथ हिंदी सिनेमा में लॉन्च किया। ‘मुझे कुछ कहना है’ की कामयाबी ने वाशू को फिल्ममेकिंग में नए प्रयोग करने का हौसला दिया और उन्होंने एक साथ तीन फिल्मों का एलान कर दिया। ये फिल्में थीं, ‘रहना है तेरे दिल में’, ‘दीवानापन’ और ‘ओम जय जगदीश’। वाशू ने गलती बस यहां ये कर दी कि उन्होंने फिल्ममेकिंग के क्रिएटिव विभाग में भी दखल देना शुरू कर दिया, उन्हें लगा कि वह फिल्म बनाने का काम निर्देशक से बेहतर जानते हैं। निर्देशक को फिल्में बनाने के लिए दिशा निर्देश देने की शुरूआत उन्होंने वैसे तो फिल्म ‘तेरा जादू चल गया’ से ही कर दी थी, लेकिन ये सिलसिला फिल्म दर फिल्म साल दर साल आगे ही बढ़ता गया। जिसका नतीजा रहा फिल्मों ‘दीवानापन’ और ‘ओम जय जगदीश’ की नाकामी।
फिल्म ‘रहना है तेरे दिल में’ हिंदी सिनेमा का एक ऐसा प्रयोग है, जिसे करने की हिम्मत वाशू भगनानी जैसे जिगर वाला फिल्म निर्माता ही कर सकता था। मसाला फिल्में बना बनाकर वाशू ने तब तक खूब पैसा कमा लिया था। टिप्स कैसेट कंपनी के लिए कैसेट्स का हार्डवेयर बनाते रहे वाशू भगनानी ने 1995 में फिल्म ‘कुली नंबर वन’ से फिल्म निर्माण में कदम रखा और बैक टू बैक पांच सुपर डुपर हिट फिल्में बनाईं। ‘कुली नंबर वन’ के बाद उनकी फिल्में जो हिट रहीं उनमें शामिल हैं, ‘हीरो नंबर वन’, ‘प्यार किया तो डरना क्या’, ‘बड़े मियां छोटे मियां’ और ‘बीवी नंबर वन’। इसके बाद वाशू ने अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘तेरा जादू चल गया’ में कीर्ति रेड्डी को और फिल्म ‘मुझे कुछ कहना है’ में तुषार कपूर को करीना कपूर के साथ हिंदी सिनेमा में लॉन्च किया। ‘मुझे कुछ कहना है’ की कामयाबी ने वाशू को फिल्ममेकिंग में नए प्रयोग करने का हौसला दिया और उन्होंने एक साथ तीन फिल्मों का एलान कर दिया। ये फिल्में थीं, ‘रहना है तेरे दिल में’, ‘दीवानापन’ और ‘ओम जय जगदीश’। वाशू ने गलती बस यहां ये कर दी कि उन्होंने फिल्ममेकिंग के क्रिएटिव विभाग में भी दखल देना शुरू कर दिया, उन्हें लगा कि वह फिल्म बनाने का काम निर्देशक से बेहतर जानते हैं। निर्देशक को फिल्में बनाने के लिए दिशा निर्देश देने की शुरूआत उन्होंने वैसे तो फिल्म ‘तेरा जादू चल गया’ से ही कर दी थी, लेकिन ये सिलसिला फिल्म दर फिल्म साल दर साल आगे ही बढ़ता गया। जिसका नतीजा रहा फिल्मों ‘दीवानापन’ और ‘ओम जय जगदीश’ की नाकामी।