कलाकार: डिंपल कपाड़िया, मोहम्मद जीशान अयूब, कृतिका कामरा, सुनील ग्रोवर, सारा जेन डायस, कुमद मिश्रा और सैफ अली खान।
लेखक: गौरव सोलंकी
सृजनकर्ता और निर्देशक: अली अब्बास जफर
रेटिंग: ***1/2
लेखक: गौरव सोलंकी
सृजनकर्ता और निर्देशक: अली अब्बास जफर
रेटिंग: ***1/2
राजनीतिक षडयंत्रों की कहानियां रोचक होती हैं। जानी पहचानी सी लगती है। सुनी सुनाई सी भी लगती हैं। निर्माणाधीन सेंट्रल विस्टा के ठीक बगल वाली इमारत में बीते हफ्ते ही देश के शीर्षतम अधिकारियों में से एक से इन पर चर्चा हो रही थी। और, संक्रांति हो गई। वेब सीरीज ‘तांडव’ मनोरंजन की संक्रांति है। इसमें कुछ भी इस पार और उस पार नहीं है। न सब कुछ काला। न सब कुछ सफेद। फैज़ की वो नज़्म याद है, ‘सुब्ह ए आज़ादी’। उसका मतला है, ‘ये दाग़ दाग़ उजाला ये शब-गज़ीदा सहर, वो इंतिज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं’! दूर से सारे ढोल सुहाने हैं। एक शेर दिनेश ठाकुर का वो भी याद आता है कि, ‘हर हंसी मंज़र से यारों फासले कायम रखो, चांद जो धरती पे उतरा, देख के डर जाओगे..!’