गोरखपुर में एक युवती का शव मिला। उसकी कद काठी और उम्र कुछ वैसी थी, जैसी इंजीनियरिंग कॉलेज के कमलेशपुरम कॉलोनी इलाके से गायब युवती शिखा दुबे की। पिता को बुलाया गया, घरवाले, रिश्तेदार भी जुटे सबने माना लाश शिखा की है। पिता राम प्रकाश दुबे ने खुद अपने हाथ बेटी की अंत्येष्टि की। पिता ने पड़ोसी दीपू पर आशंका जताई और हत्या का केस दर्ज करा दिया। एक दिन अचानक शिखा दुबे जिंदा सामने आई तो पिता के होश उड़ गए।
मामला, 2011 का है। पुलिस-मीडिया ने घटना को नाम दिया शिखा दुबे हत्याकांड । पुलिस तहकीकात में ज़ुट गई। उपलब्ध टेलीफोन नंबरों को सर्विलांस पर लगाया गया, मगर कोई खास मदद नहीं मिली। यह वह दौर था जब पुलिस के पास न तो आज जैसी उन्नत तकनीकी थी, न ही सर्विलांस के उतने तेज तर्रार लोग ।