दिवाली की रात इतने पटाखे जलाए जाते हैं कि हवा सेहत के लिए हानिकारक हो जाती है। मानक से अधिक शोर और वायु प्रदूषण से मनुष्य से लेकर पंछी तक परेशान हो जाते हैं। दिवाली से पहले और उसके बाद के पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो इसकी पुष्टि खुद-ब-खुद हो जाती है। वातावरण में सिर्फ धूल कण ही नहीं, सल्फर डाई ऑक्साइड (एसओ-2) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओ-2) की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाती है। पटाखा जलाना पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। लिहाजा, अमर उजाला ने 'एक युद्ध ...पटाखों के विरुद्ध' अभियान की शुरूआत की है।