ठंड की शुरुआत हो चुकी है और ऐसे मौसम में ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ने लगते हैं। समय से इलाज मिले तो मरीज की जान बचाने में मदद मिल सकती है और उसका असर भी कम हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक ब्रेन स्ट्रोक होने पर पहला घंटा ही गोल्डन पीरिएड माना जाता है। इसमें तापमान का सीधा असर शरीर की कार्यप्रणाली पर पड़ता है। जैसे-जैसे तापक्रम गिरता है, शरीर के अंगों की प्रक्रिया भी धीमी पड़ने लगती है। नसों में सिकुड़न हो जाती है और इसके कारण दिमाग में रक्तप्रवाह धीमा पड़ने लगता है। अगर कोई शख्स शरीर के अंग को टेढ़ा कर रहा है, उसके देखने, सुनने व समझने की क्षमता प्रभावित हो गई हो तो तत्काल उसे डॉक्टर के पास ले जाएं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान के मुताबिक देश में हर तीन मिनट में कोई न कोई व्यक्ति ब्रेन स्ट्रोक से दम तोड़ देता है।