यदि हम एक काल्पनिक दुनिया की बात करें जहां हमारे पास कोरोना की वैक्सीन पहले से ही उपलब्ध है, तो ऐसे में दुनिया के नेताओं के सामने बड़ा सवाल ये है कि इतनी बड़ी आबादी तक ये वैक्सीन कैसे पहुंचाई जाए। बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा डॉक्टर, नर्स और दूसरे हेल्थकेयर वर्कर्स को है, इसलिए उन्हें सबसे पहले सुरक्षा देनी होगी, लेकिन ये इतना आसान नहीं है। बूढ़े लोगों को भी कोरोना के संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा है। कनाडा के ग्यूलेफ विश्वविद्यालय में वैक्सीनोलॉजी के प्रोफेसर श्यान शरीफ कहते हैं, 'हमारे पास बूढ़े लोगों के लिए डिजाइन की गई वैक्सीन की संख्या बहुत कम है। पिछले 100 सालों में ज्यादातर वैक्सीन बच्चों को ध्यान में रख कर बनाई गई हैं।'
वो कहते हैं कि दाद की वैक्सीन ऐसी है जिसे 70 साल के अधिक उम्र के लोगों के लिए बनाया गया है। मेनिन्जाइटिस और पैपिलोमावायरस जैसी कुछ बीमारियों की वैक्सीन जवान लोगों के लिए बनाई गई हैं। इनके अलावा ज्यादातर वैक्सीन का ईजाद बच्चों को ध्यान में रखकर किया जाता है।
वो कहते हैं कि दाद की वैक्सीन ऐसी है जिसे 70 साल के अधिक उम्र के लोगों के लिए बनाया गया है। मेनिन्जाइटिस और पैपिलोमावायरस जैसी कुछ बीमारियों की वैक्सीन जवान लोगों के लिए बनाई गई हैं। इनके अलावा ज्यादातर वैक्सीन का ईजाद बच्चों को ध्यान में रखकर किया जाता है।