इन दिनों बढ़ते बच्चों के स्वभाव में चिढ़चिढ़, गुस्सा नजर आना आम बात है। लेकिन आज से कुछ साल पहले तक यह रवैया सामान्य नहीं हुआ करता था। पहले बच्चे संयुक्त परिवार में रहा करते थे, उनकी परवरिश भी उसी प्रकार से होती थी इसलिए वे खुशमिजाज होते थे। बेहद जरूरी है कि बढ़ते बच्चों को न सिर्फ माता-पिता बल्कि दादा-दादी का भी साथ मिले। जो बच्चे दादा-दादी की छत्रछाया में बढ़ते हैं वे चीजों को बांटना सीखते हैं, दूसरों का सम्मान करते हैं और हर परिस्थिति में खुद को ढालने की समझ रखते हैं। इतना ही नहीं, बच्चों के व्यवहारिक विकास के साथ ही दादा-दादी की सेहत पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अगली स्लाइड्स से जानिए दादा-दादी की छत्रछाया में किस तरह होता है बच्चों का विकास।